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Wednesday, September 28, 2011

मैं कुंदन हो जाउंगी



एक दिन पूरा तप जाउंगी
सच मैं कुंदन हो जाउंगी
जिस दिन तुमसे छू जाउंगी
हाँ मैं चन्दन हो जाउंगी
मीठे  तुम और तीखी  मैं
तुम पूरे और रीती  मैं
तुम्हे लपेटूं जिसदिन तन पर
मन से रेशम हो जाउंगी
नेह को तरसी नेह की प्यासी
साथ तुम्हारा दूर उदासी
फैला दो ना बाहें अपनी
सच मैं धड़कन हो जाउंगी
मंथर जीवन राह कठिन है
इन बातों की थाह कठिन है
तुम जो भर दो किरणे अपनी
सच मैं पूनम हो जाउंगी

31 comments:

  1. तुम्हारी उस एक छुवन से
    मै कभी कुंदन हो गया था
    सारा मेल मेरे अंतस का
    उस तपन से खो गया था

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  2. सुन्दर प्रस्तुति ||
    माँ की कृपा बनी रहे ||

    http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/09/blog-post_26.html

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  3. प्रेम ... विश्वास और आशा लिया ... लाजवाब अभिव्यक्ति ...

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  4. मीठे तुम और तीखी मैं
    तुम पूरे और रीती मैं
    तुम्हे लपेटूं जिसदिन तन पर
    मन से रेशम हो जाउंगी

    बहुत प्यारा लिखा है.

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  5. अरे वाह!!! कितनी प्यारी कविता है!!! एकदम रेशम-रेशम...वाह!! अद्भुत.

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  6. kyonki sabkuch tumse hai ... tummein samarpit hoker

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  7. मीठे तुम और तीखी मैं
    तुम पूरे और रीती मैं
    तुम्हे लपेटूं जिसदिन तन पर
    मन से रेशम हो जाउंगी

    ....बहुत कोमल अहसास...बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...

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  8. bahut khubsurat sonal ji.. pasand aayi rachna...

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  9. गजब है भाई
    खूब कविता रचाई

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  10. बहुत सुन्दर रचना
    प्रेम के इस कोमल अहसास पर बलिहारी
    बेहतरीन कविता

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  11. समर्पण की इन्तहां ...मीठी मीठी कोमल कोमल कविता.

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  12. मंथर जीवन राह कठिन है
    इन बातों की थाह कठिन है
    तुम जो भर दो किरणे अपनी
    सच मैं पूनम हो जाउंगी

    वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
    पढकर मन मग्न हो गया.

    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार,सोनल जी.

    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  13. मुझको इतने दिनों से .......लगती थी कुछ खास.....
    सोचता देखा है कहीं.........इतना था विश्वास...
    इतना था विश्वास..........आज सच समझ में आया...
    मुझ बिन खुद को तुमने ......कितना अधूरा पाया....
    देखो शादी शुदा हूँ..........मत कर अब फ़रियाद.....
    मुझको मेरी प्रेयसी........आज आ गई याद....

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  14. सुन्दर भावनाओं से रची रचना ... प्यार भरी अभिव्यक्ति

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  15. बहुत सुन्दर भावो से सजी रचना।

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  16. तुम जो भर दो किरणे अपनी
    सच मैं पूनम हो जाउंगी
    bahut sunder......

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  17. मंथर जीवन राह कठिन है
    इन बातों की थाह कठिन है
    तुम जो भर दो किरणे अपनी
    सच मैं पूनम हो जाउंगी..
    बेहद कोमल भाव युक्त कब्यांजलि ..शुभ कामनाएं
    सादर अभिनन्दन !!

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  18. apke blog per pehli baar ayi hoon...vatvriksh mei ye rachna dekhi or itni achhi lagi ki yahan bhi ayi,ye comment wahan bhi kiya hai,,
    apse mil ker achha laga...
    kya likhun ki ye lage ki mujhae ye kavita bahut zyada achhi lagi...sirf ye nahi likhna chah rahi ki rachna sunder hai,ya komal hai,ye sunder bhav hain....wo to hain hi...magar mei ye jitni khubsurat lagi, uske liye shabd nahi mil rahe....

    मीठे तुम और तीखी मैं
    तुम पूरे और रीती मैं
    ye line badi sunder ban padi hai
    or ye bhi

    मंथर जीवन राह कठिन है
    इन बातों की थाह कठिन है
    तुम जो भर दो किरणे अपनी
    सच मैं पूनम हो जाउंगी...
    actually to poori rachana hi bahut sunder likhi hai..or ye kam hota hai...

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  19. इतनी शिद्दत से कोई मांगे तो सारी कायनात उसके कदमों में रख दे कोई!! कमाल की कशिश है!!

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  20. सोनल जी,
    नमस्कार,
    आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

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  21. आपकी इस सुन्दर अभिव्यक्ति को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "काव्य मंच पेज " पर लिंक किया जा रहा है|

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  22. waah prem ke ras se oot prot lagi ye kavita.

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  23. बहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना !

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