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Tuesday, August 30, 2011

ईद ऐसी भी

जब भी ईद आती है तो जुबां पर  सेवईयों की मिठास उभर आती है और साथ में याद आता है डिग्री कालेज  जहाँ मैं  कंप्यूटर पढ़ा रही थी दिवाली पर एक बड़ा आयोजन किया था तो ईद पर उम्मीदें बढ़ गई थी स्टुडेंट्स की कुछ तो ख़ास होगा ...समझ में नहीं आ रहा था कैसे मनाये कुछ संकोच भी था काफी स्टुडेंट्स थे ..... ईद मनाने के नाम पर सिर्फ  सेवईयों और चाँद के अलावा कुछ भी नहीं पता था ,कंप्यूटर क्लास की फीस मात्र 80 /- रुपये थी हर वर्ग की छात्राएं थी ...जब कोई हल नहीं मिला तो छात्राओ से ही सुझाव मांगे गए और उनका उत्साह और जोश देखकर मानो हमारी सारी परेशानिया छूमंतर हो गई ... स्टुडेंट्स ने हमको सारी तैयारी से बरी कर दिया ईद मनाने का मौक़ा ज्यादातर स्टुडेंट्स को कभी नहीं मिला था तो वो भी बेहद उत्साहित थी ईद के एक दिन बाद का दिन तय हुआ ...जब हम पहुंचे क्लास का सारा फर्नीचर बाहर था ..फर्श पर दरी के ऊपर खुबसूरत फूलों और बूटों से सजी चादरें बिछी थी बोर्ड पर नमाज़ पढ़ती लड़की का स्केच था, सेवियों की मीठी मीठी खुशबू आ रही थी सब एक दुसरे से गले मिले और ईद की मुबारकबाद दी,कुछ छात्राओ ने ईद की अहमियत भी बताई संकोच के परदे हट रहे थे अब मौहोल बेहद सहज हो चला था ....सारी मुस्लिम छात्राए अपने घरों से सेवइया लाइ थी ... डिब्बे खुले पर हर डिब्बा अलग किसी में केसर ,कोई मेवे से भरा ,तो किसी में सिर्फ सेवइया, कुछ चेहरों में संकोच उभर आया ...फिर धर्मसंकट ईद में अगर एक दिल में भी कसक रह गई तो दिल में हमेशा खटकेगा .... तभी एक छात्रा एक बड़ा बर्तन ले आई और सारी सेवइया मिला दी ....कुछ निगाहें तल्ख़ हुई ,कुछ मायूस और कुछ में मासूमियत भरी मुस्कान बिखर  गई ......और वो ईद बेहद मीठी और यादगार ईद बन गई ... उसके बाद हर ईद पर सेवईयों को मिस करते है
आप सभी की ईद मीठी हो ...