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Wednesday, August 14, 2013

दर दर तुमको भटकायेंगे

तुम सरहद की बात करो
वो संसद में चिल्लायेंगे
तुम प्याज के आंसू रोओगे
वो मस्त बिरयानी खायेंगे
तुम केदारनाथ में बिलखोगे
वो दिल्ली में जश्न मनाएंगे
तुम आज़ादी की बात करो
तुम पर लाठी बरसाएंगे
वो चार साल अय्याशी कर
पांचवे साल फिर आयेंगे
वो हरी गड्डियां फेकेंगे
सारे जनमत बिक जायेंगे
अभी वो दर दर आये हैं
दर दर तुमको भटकायेंगे