मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
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Thursday, February 2, 2012
हे दशानन !
है वो मनुष्य
गुण-अवगुण से भरा
नहीं जुड़ता मन
राम से मेरा
बहन के अपमान से
पीड़ित होता है
भाई के धोखे से
दुखभर रोता है
सुख दुःख सब
सच्चे है उसके
प्रतिशोध में भरा नहीं जुड़ता मन
राम से मेरा ....
:)
ReplyDelete???
Deleteराम की बात तो सबने कही...आपने रावन की कही..
ReplyDeleteबहुत खूब..
सुंदर रचना ...बधाई
ReplyDeleteहम्म रावन भी सादाहरण मनुष्य नहीं था :).
ReplyDeleteगहन अभिवयक्ति..........और सार्थक पोस्ट.....
ReplyDeletebahut gehre bhav............
ReplyDeleteKya baat hai.. lajawaab drishtikon.. :)
ReplyDeleteWaise bhi kaun jaanta hai ki sach kya tha.. jo jeet gaya wo hi maahaan hai yahan.
कभी कभी ऐसे ख़याल भी मन में आते हैं..
ReplyDeleteरावण है तभी राम है,
ReplyDeleteश्वेत है तभी श्याम है |
सब जानता हुआ दशानन..
ReplyDeleteएक नजरिया यह भी ..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteमो सम कौन कुटिल खलि कामी .....
ReplyDeleteपढ़ रहा हूँ ...समझ रहा हूँ ..सोच रहा हूँ
ReplyDeleteगहन ...मर्मस्पर्शी ...
वाह सोनल ! कितना मज़बूत त्तार्किक पक्ष और गहरी वेदना समेटे है ये छोटी सी अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteइस सार्थक प्रविष्टि के लिए बधाई स्वीकार करें.
Deleteअपेक्षा करता हूँ कि आप मेरे ब्लॉग"MERI KAVITAYEN" पर पधारकर मुझे भी अपना स्नेह प्रदान करेंगे .
ऐसे में राम दोषी क्यों हुवे और दशानन पूज्य क्यों ...
ReplyDeleteगहन अर्थ खोजती है ये रचना ...
दशानन के दिल की बात समझने की भी कोशिश किसी ने की
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteदशानन के नजरिये का एक पहलु दर्शाती.
आभार
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