tag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post2843426791569308420..comments2024-03-15T13:41:35.195+05:30Comments on कुछ कहानियाँ,कुछ नज्में: सीटी बज गईsonalhttp://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-66471253748690019262019-12-19T21:13:19.194+05:302019-12-19T21:13:19.194+05:30Planning to package your following dastardly packa...Planning to package your following dastardly package? Thrilled Jackson�s Wonderful Tips A5 notebook computer is definitely the ideally suited container. <a href="https://imgur.com/a/4X4UFv0" rel="nofollow">https://imgur.com/a/4X4UFv0</a> <a href="https://imgur.com/a/CgCLWke" rel="nofollow">https://imgur.com/a/CgCLWke</a> <a href="https://imgur.com/a/QSWCQt9" rel="nofollow">https://imgur.com/a/QSWCQt9</a> <a href="https://imgur.com/a/GeViAyP" rel="nofollow">https://imgur.com/a/GeViAyP</a> <a href="https://imgur.com/a/60T8yxA" rel="nofollow">https://imgur.com/a/60T8yxA</a> <a href="https://imgur.com/a/I9czEWp" rel="nofollow">https://imgur.com/a/I9czEWp</a> <a href="https://imgur.com/a/wa1gMRp" rel="nofollow">https://imgur.com/a/wa1gMRp</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-16996120445738997592012-09-21T12:50:21.385+05:302012-09-21T12:50:21.385+05:30वैसे करने को कमेन्ट आया था, पर ऊपर पढ़े कमेन्ट देखक...वैसे करने को कमेन्ट आया था, पर ऊपर पढ़े कमेन्ट देखकर लिखने का मन कुछ और कर गया !!!<br /><br />मैंने बहुत लोगो को पढ़ा-सुना है अपनी संस्कृति और सभ्यता की महानता के लिए | लोग ये भी कहते हैं कि हमने बाहर के लोगो को स्वीकार किया इसीलिए हमारे देश के टुकड़े हुए , सभ्यता संस्कृति विकृत हो गयी | पूरी तरह से उन लोगो से असहमत हूँ |<br /><br />मुझे अपने देश और इसकी संस्कृति से कोई दुश्मनी नहीं है, पर वो संस्कृति, रीति-रिवाज़ ही क्या जो इन्सान को इन्सान न रहने दें ? जो कभी धर्म के नाम पर, कभी जाति के नाम पर लोगो को बांटते फिरें ? किसी बाहर की ताकत ने नहीं हमें हमारी खुद की कमजोरी और मानसिकता ने बांटा है | "पूरा नाम" जानने की कोशिश क्यूँ करते हैं हम ? <br /><br />इतना ही नहीं, जिन वेदों, शास्त्रों की बातें की गयी हैं , यकीनन उम्दा हैं, पर क्या समय के साथ उनमे सुधार या बदलाव नहीं किये जा सकते ? किये जाने ही चाहिए | <br /><br />हम आज़ादी के दिन बड़ी लम्बी लम्बी बातें करते हैं कि हमें आज़ादी खून-पसीना एक करके मिली | पर कभी क्यूँ नहीं सोचा कि हम गुलाम ही क्यूँ हुए थे ?<br /><br />ये सब सोचने के बाद कम से कम मैं तो इस सभ्यता , संस्कृति , धर्म आदि की उतनी इज्ज़त नहीं कर पाता | <br /><br />खैर !!! ये सब तो थी बातें जो कमेन्ट पढ़ कर मन में आ गयी |<br /><br />पोस्ट चकाचक है और मुलायम सिंह तो वैसे भी रोज़ टीवी पर आना चाहते हैं :)देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-30361759602381805502010-03-27T08:20:00.117+05:302010-03-27T08:20:00.117+05:30चुटीली बात! मजेदार अंदाज! लचीलेपन के तर्क से सहमत!...चुटीली बात! मजेदार अंदाज! लचीलेपन के तर्क से सहमत! :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-61330582648851366882010-03-26T16:24:07.512+05:302010-03-26T16:24:07.512+05:30सोनलजी,
आपका जवाब मुझे अच्छा लगा। धन्यवाद किंतु ए...सोनलजी, <br />आपका जवाब मुझे अच्छा लगा। धन्यवाद किंतु एक बार फिर क्षमा चाहता हूँ। सहिष्णुता के गुण एवं इसकी शक्ति से मुझे इन्कार नहीं किंतु सहिष्णुता का परिणाम क्या हुआ? एक समय था जब हिन्दुकुश पर्वत से लेकर बर्मा, जावा, सुमात्रा, बाली, बोर्नियो, स्याम आदि द्वीप भारत राष्ट्र के अंतर्गत गिने जाते थे किंतु आज उस भारत में से कितने देश अलग हो चुके। अफगानिस्तान गया, पाकिस्तान गया, बांगलादेश गया, नेपाल गया, भूटान गया, बर्मा गया। जावा, सुमात्रा, बाली, बोर्नियो, स्याम आदि द्वीप गये। कहीं धार्मिक उन्माद तो कहीं आतंकवाद। कहीं माओवाद तो कहीं नक्सलवाद। फिर भी हम सहिष्णु होकर गीत गायें कि रोम, मिश्र और यूनान मिट गये जहां से, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी! हद हो गई और कितनी हस्ती मिटायेंगे? कहां तक जायेंगे? हमारे लिये कोई जगह छोड़ेंगे कि नहीं? उदारता और सहिष्णुता सगी बहिनें हैं और हर भारतवासी के हृदय में निवास करती हैं किंतु दुनिया वाले कितने कठोर हैं यदि हमने शठ शाठ्यम समाचरेत की नीति नहीं अपनाई तो दुनिया वाले हमें खा जायेंगे। भेडि़यों के समक्ष हिरणों की सहिष्णुता भेडि़यों को लाभ ही पहुंचाती है और रहे हिरण, उनकी भी हस्ती संसार से कभी समाप्त नहीं होती। हम किसी को जीतना नहीं चाहते, किसी को सताना नहीं चाहते किंतु कोई हमें न सताये, इसके बारे में भी तो हमें सोचना चाहिये। सब सुखी रहें हम यही तो चाहते हैं किंतु सब में से हम अपने आप को क्यों घटा देते हैं? <br />पुन: आभार प्रदर्शन के साथ–<br />डॉ. मोहनलाल गुप्ता<br />www.rajasthanhistory.comDr. Mohanlal Guptahttps://www.blogger.com/profile/14804752307502533855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-35423839134125112552010-03-26T11:49:00.374+05:302010-03-26T11:49:00.374+05:30मोहनजी ,
आपका रोष जायज़ है ,पीड़ा तो उठती है ,पर ...मोहनजी ,<br />आपका रोष जायज़ है ,पीड़ा तो उठती है ,पर मेरा विश्वास सहिष्णुता पर हमेशा से रहा है जो जितना लचीला होता है वह उतने ही तूफ़ान झेल जाता है और अंत में अपनी अनूठी पहचान के साथ खडा रहता है,इसी लोच के साथ आज हम अपनी सहस्त्र वर्षो पुरानी अस्मिता के साथ जीवित है, मेरे लिए भारतीय संस्कृति सदैव अजर अमर रहेगी, रही बात राजनैतिक स्वार्थ सिद्ध करने वालों की तो उनको हमने खुद चुना है चुनना हमारे हाँथ था ,पर वहां जाकर वो अगर वो अपनी स्वार्थसिद्धि में लग जाते है तो हम ५ साल के लिए मजबूर हो जाते है उनके उचित अनुचित झेलने के लिए.<br />दोष उनका नहीं जो यहाँ आकर बस रहे है जिम्मेदार वो है जो बसा रहे है अब बन्दर के हाँथ में तलवार दे दी है तो झेलिये भी ................<br />रावण को राम ने नहीं मारा ...विभीषण ने माराsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-342398791784773222010-03-26T11:06:58.122+05:302010-03-26T11:06:58.122+05:30:):) बढ़िया व्यंग...:):) बढ़िया व्यंग...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-79855739940109734592010-03-26T11:06:26.637+05:302010-03-26T11:06:26.637+05:30सोनलजी,
मैं यह टिप्पणी आपके लेख पर नहीं कर रहा हू...सोनलजी, <br />मैं यह टिप्पणी आपके लेख पर नहीं कर रहा हूँ। आपने कल मेरे ब्लॉग पर जो टिप्पणी की है उसका जवाब देने के लिये आपके ब्लॉग पर आकर टिप्पणी कर रहा हूँ। यहाँ टिप्पणी करना कुछ असंगत सा अवश्य है किंतु आप तक मेरी बात पहुंचाने के लिये मेरे पास यही एक मार्ग है। अत: क्षमा करें। <br />टिप्पणी और सहमति हेतु आभार किंतु मेरी दृष्टि में यह बात ही गलत है कि जो जिससे मिला सीखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने। हमें किसी भी अभारतीय सभ्यता से ऐसा क्या मिल सकता था जिसे अपनाने की हमें आवश्यकता पड़ गई थी। वेद समस्त सत्य ज्ञान की पुस्तकें हैं। उपनिषदों का गहरा दर्शन उपलब्ध है हमारे पास। उपनिषदों को निचोड़कर भगवान कृष्ण ने गीता और तुलसीदासजी ने रामचरित मानस हमारे सामने धर दी। फिर भी यदि हम यह गायें कि जो जिससे मिला सीखा हमने... हास्यास्पद बात है। अपने आप को नीचा दिखाने की बात है। रही बात गैरों को भी अपनाया हमने की सो बात यह है कि हमारे लिये गैर कोई नहीं था, वसुधैव कुटुम्बकम् का उद्घोष हमने ही किया था। ये तो वे बुरे लोग ही थे जो गैर बनकर हमारे सामने आये और हमें युद्धों के मैदानों में परास्त करके बोले कि गैरों को भी अपनाना सीखो और हम गाने लगे– गैरों को भी अपनाया हमने। क्यों तो कोई गैर बनता है और क्यों फिर अपनाये जाने के के लिये हमसे जबर्दस्ती करता है। मेरी बात को इस उदाहरण से समझना सरल होगा कि 1947 में कुछ लोगों ने बलपूर्वक लड़–झगड़ और जीत कर, हमारा खून बहाकर हमसे अलग होकर पाकिस्तान बनाया। अब पाकिस्तानी और बांगलादेशी घुसपैठिये इस देश में आकर रहना चाहते हैं। इसलिये मेरा विचार यही रहा है कि ऐसे मत बनिये जो हर किसी से सीखना पड़े, ऐसे मत बनिये जो हर किसी को अपनाना पड़े। ऐसे बनिये जो लोग हमसे गैर बनने की बात ही न सोचें। प्रेम उतना ही और उस तरीके से ही बरसाइये कि लोग उस प्रेम की कीमत समझें और और उस प्रेम को हमारी कमजोरी न समझें। बात कुछ लम्बी हो गई इसके लिये क्षमा चाहता हूँ। मुझे प्रसन्नता है कि आपने इस पीड़ा को इतनी गहराई से अनुभव किया है कि कुछ लोग अब माँ शब्द पर ही बवाल मचा देते हैं। पुन: धन्यवाद।<br />आपका आलेख सीटी बज गई, केवल व्यंग्य भर नहीं है, इसमें ललित निबंध की सुगंध उपस्थित है। बधाई।<br /> – डॉ. मोहनलाल गुप्ताDr. Mohanlal Guptahttps://www.blogger.com/profile/14804752307502533855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-12852666171245302072010-03-26T09:45:10.890+05:302010-03-26T09:45:10.890+05:30वाकई सीटी बज गई।वाकई सीटी बज गई।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-24189730126865339862010-03-26T06:05:58.416+05:302010-03-26T06:05:58.416+05:30Mazedaar raha neta ji ke seeti bajane par ek thapp...Mazedaar raha neta ji ke seeti bajane par ek thappad rasheed karne ka andaaz..दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-12484393133564966472010-03-25T21:34:55.872+05:302010-03-25T21:34:55.872+05:30Hoth ghuma, seeti baja, seeti bajake bol!
Ke bhaiy...Hoth ghuma, seeti baja, seeti bajake bol!<br />Ke bhaiyya: "All is Well"!<br />Umda lekhan, behatareen chtki lee hai aapne!<br />Aanand aaya!<br />www.myexperimentswithloveandlife.blogspot.comसूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-77249649873002141142010-03-25T13:37:32.214+05:302010-03-25T13:37:32.214+05:30अखाड़ों में कसरत की बजाये सिट्टी बज रही है,.....और...अखाड़ों में कसरत की बजाये सिट्टी बज रही है,.....और कोई काम रह गया है क्या ?...हाँ , जेंडर चेंज करा सकते हैं....<br />..........................<br />यह पोस्ट केवल सफल ब्लॉगर ही पढ़ें...नए ब्लॉगर को यह धरोहर बाद में काम आएगा...<br />http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_25.htmlकृष्ण मुरारी प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/00230450232864627081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9182726119409953881.post-33556572346093238252010-03-25T12:32:10.931+05:302010-03-25T12:32:10.931+05:30KOSISH JAROOR KARENGEKOSISH JAROOR KARENGEसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com