मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
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Tuesday, September 22, 2009
मजबूर
बनाया हमने आशियाना पत्थरों का जो मजबूत था क्या थी खबर वो हमारे ख्वाबो का ताबूत था , चाहा अपने आप को बचा लूं ज़माने से खुदा से की गुजारिश पर वो भी मजबूर था
वाह !!
ReplyDeleteSUNDER ATI SUNDER
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