विश्व महिला दिवस की पूर्व संध्या पर ..अरुणा क्या कहूं तुमसे .तुम जिस परिस्थिति में हो और जितने समय से हो ....तुम्हे तुम्हारे नारी होने की जो सजा मिली है वो अंतहीन है ..आजीवन कारावास भी १४ साल में ख़त्म हो जाती है ...
मैं तुम्हे जानती नहीं हूँ ..जानती तो मैं उन सबको भी नहीं हूँ जो सडको से उठा ली जाती है ,घरो में मार खाती है , अपने करीबी रिश्तेदारों द्वारा कुचली जाती है ..पर हर खबर चुभती है बहुत गहरे तक ....हम जिन हादसों को सोच कर डर जाते है ..और मानाने लगते है हमारे साथ हमारे करीबियों के साथ वो कभी ना हो ..उनको तुम सबने झेला है ,कल सब नारी की महिमा गायेंगे ...मैं नहीं गा पाउंगी और ना गर्व कर पाउंगी अपने नारी होने पर ... अरुणा तुमको जीने नहीं दिया और अब मरने भी नहीं दे रहे ... जो लोग कामना कर रहे है तुम्हारे मरने की वो तुम्हारे मरने की कामना नहीं कर रहे बल्कि अपने इंसान होने की शर्मिंदगी दूर करना चाहते है ...तुम चली जाओ तो शायद अपने गिल्ट से छुटकारा पा जाए ... किसी की हवस किसी के लिए कदर भयावह हो सकती है .....
नारी के कपड़ों चरित्र व्यवहार की विवेचना करने वाले उन पशुओ के लिए कभी कुछ नहीं लिखते जो समाज में घूम रहे है ... जिनके लिए १८ साल की युवती और ६ माह की बच्ची में कोई अंतर नहीं है ..शील ,मर्यादा ,कर्त्तव्य की बात तो करेंगे पर सिर्फ नारी के लिए ...पर कभी समझ नहीं पायेंगे नारी होने का भय ..नारी होने की पीड़ा
--
मैं तुम्हे जानती नहीं हूँ ..जानती तो मैं उन सबको भी नहीं हूँ जो सडको से उठा ली जाती है ,घरो में मार खाती है , अपने करीबी रिश्तेदारों द्वारा कुचली जाती है ..पर हर खबर चुभती है बहुत गहरे तक ....हम जिन हादसों को सोच कर डर जाते है ..और मानाने लगते है हमारे साथ हमारे करीबियों के साथ वो कभी ना हो ..उनको तुम सबने झेला है ,कल सब नारी की महिमा गायेंगे ...मैं नहीं गा पाउंगी और ना गर्व कर पाउंगी अपने नारी होने पर ... अरुणा तुमको जीने नहीं दिया और अब मरने भी नहीं दे रहे ... जो लोग कामना कर रहे है तुम्हारे मरने की वो तुम्हारे मरने की कामना नहीं कर रहे बल्कि अपने इंसान होने की शर्मिंदगी दूर करना चाहते है ...तुम चली जाओ तो शायद अपने गिल्ट से छुटकारा पा जाए ... किसी की हवस किसी के लिए कदर भयावह हो सकती है .....
नारी के कपड़ों चरित्र व्यवहार की विवेचना करने वाले उन पशुओ के लिए कभी कुछ नहीं लिखते जो समाज में घूम रहे है ... जिनके लिए १८ साल की युवती और ६ माह की बच्ची में कोई अंतर नहीं है ..शील ,मर्यादा ,कर्त्तव्य की बात तो करेंगे पर सिर्फ नारी के लिए ...पर कभी समझ नहीं पायेंगे नारी होने का भय ..नारी होने की पीड़ा
--
बिलकुल सही कहा आपने नारी होने की पीड़ा सिर्फ नारी ही समझ सकती है.बहुत ही झकझोर देने वाला लेख लिखा है.
ReplyDeleteसादर
सही कह रही है सोनल जी……………कोई नही समझ सकता कम से कम तब तक जब तक उससे गुजरा ना हो…………नारी की दुर्दशा जारीहै फिर कैसा महिला दिवस?
ReplyDeletejanti nahin hun , per ankahe dard ko bhoga hai .... band syaah kamre mein aatma chikhi hai, chillayi hai
ReplyDeleteनारी का दर्द क्या जाने मर्द
ReplyDeleteये तो नारी ही समझ सकती है
क्या कहूं।
ReplyDeleteजिस तन लागे वो तन जाने। नारी दिवस पर मन की भावनाएं। चलो एक दिन तो है अपनी पीडा को कहने के लिये। शुभकामनायें।
ReplyDeleteshukriyaa is post kae liyae
ReplyDeletearuna ki peeda kaun samjh sakegaa
उफ़ ये पुरुष होने का दर्द भी
ReplyDeleteशायद नारी नहीं समझ पायेगी.... ;)he he he..
jokes apart, itz a nice article..loved it....
बहुत मर्मस्पर्शी आलेख..
ReplyDeletesahi kah rahi ho..
ReplyDeleteशील ,मर्यादा ,कर्त्तव्य की बात तो करेंगे पर सिर्फ नारी के लिए ...पर कभी समझ नहीं पायेंगे नारी होने का भय ..नारी होने की पीड़ा
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट , हमारी आँखें खोलने में सक्षम , बधाई
नारी मन की व्यथा को प्रदर्शित करती पोस्ट।
ReplyDeleteबधाई हो आपको।
महिला दिवस की शुभकामनाएं।
बहुत संवेदनशील बात ...नारी की दुर्दशा को समझना ही नहीं चाहते .....
ReplyDeleteक्या कहें...
ReplyDeleteकाश यह पीड़ा सब देख पाते।
ReplyDeleteसच कहा सोनल....यह समाज जीने तो नहीं ही देता....और मरने की भी इजाज़त नहीं
ReplyDeleteमार्मिक .... ये सब गलत है समाज में .. और संकल्प शक्ति से ही इस सोच को दूर किया जा सकता है ...
ReplyDeleteसभी को महिला दिवस की शुभकामनाएं ...
विरोध और विद्रोह का यह स्वर नारी के बदलते स्वरूप की दास्तां बयां कर रही है।
ReplyDelete.
ReplyDeleteसोनल जी ,
बहुत सही लिखा है आपने । ये नारी का दर्द तो समझते नहीं , बस मात्र दिखावा करते हैं । यदि सच में कभी स्त्री का दर्द समझा होता तो कन्या भ्रूण और बलात्कार की घटनाएं कम होती जातीं । लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा । स्त्री का शोषण बदस्तूर जारी है । आज पता नहीं किसका मन बहलाने के लिए महिला दिवस मना रहे है ये लोग। क्या स्त्रियाँ इतनी मूर्ख हैं की ये बहलायेंगे और हम बहल जायेंगे ?
.
महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteaapko Mahila Divas ki shubkamnaye!
ReplyDeleteaapne bahtu shai likha he, lekin aaj ki nari
itniashaye nhi he, ki usko kisi ke kandho ka
sahara lena pade, samaye badal raha he, aur bahut teji se badal raha he, aur jin gahtnao ka aapne jikr kiya, wo hoti hain, lekin kitni tadad me hoti he, me koi smarthan nhi kar raha in granit ghatnao ka! lekin mahilaye apne liye is samaaj me bahut achhe se jagha banane me kamyaab ho rahi hain! yahi sabse badi uplabdhi he! yun koi bhi cheez complete nhi hoti, kahi na kahi kcuh na kuch kami to hoti hi he!
आदरणीय सोनल रस्तौगी जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
..नारी होने की पीड़ा पढ़ कर मन उद्वेग और वितृष्णा से भर गया …
नारी के कपड़ों, चरित्र, व्यवहार की विवेचना करने वाले उन पशुओ के लिए कभी कुछ नहीं लिखते जो समाज में घूम रहे है ... जिनके लिए १८ साल की युवती और ६ माह की बच्ची में कोई अंतर नहीं है ..शील ,मर्यादा ,कर्त्तव्य की बात तो करेंगे पर सिर्फ नारी के लिए ...पर कभी समझ नहीं पायेंगे नारी होने का भय ..नारी होने की पीड़ा
हिला दिया आपने … ! गहरे तक कुछ एहसास कराते ये हृदयोद्गार भुलाए नहीं जा सकेंगे … … …
काश ! समाज में ऐसी व्यवस्था हो पाती जिनसे इन परिस्थितियों से हम सब रूबरू न हुए होते … काश !
उतरदायित्व बनता है क़लम थामने वालों का भी , समय मिले तो दृष्टिपात कीजिएगा …
♥
मां पत्नी बेटी बहन ; देवियां हैं , चरणों पर शीश धरो !
♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वाकई नहीं समझ सकते ...शायद नारी की पीड़ा का शतांश भी नहीं समझ सकते, इसे समझाने के लिए, सबसे पहली आवश्यकता तो एक संवेदनशील मन होना चाहिए ...वही आजकल दुर्लभ है !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
आदरणीया सोनल जी सादर अभिवादन |होली की सपरिवार रंगबिरंगी शुभकामनाएं |
ReplyDeletenice
ReplyDelete