होली ..हर उम्र में होली का अपना मज़ा होता है ..मन फागुन की बयार में बौराने लगता है आज भी बौइरा रही हूँ पर तुम पता नहीं कहा हो ..शायद कंधे पर लैपटॉप डाले ऑफिस की तरफ जा रहे होगे ...या अपनी शॉप पर बैठे होगे ..तुम कहाँ हो और आज क्या कर रहे हो मुझे कुछ भी नहीं पता पर हर होली दिल में टीस जरूर दे जाती है ..... मेरी भटकी आँखों को कई बार ... निलय ने पकड़ा है "किसे ढूंढ रही हो सपना " और मैं मज़ाक में कहती हूँ "जब तुम सामने हो तो मुझे किसी को ढूँढने की जरूरत नहीं ....
आज बरसो बाद सिगरेट पीने की इच्छा हो रही है ..मन कर रहा है दो कश भरु और और मुह से धुएं के साथ अपने अन्दर से तुम्हे भी बाहर निकाल दूं .. तुम्हारी यादें कसैली सी लगने लगी है ..तुमने जब हांथों में रंग लेकर मेरी तरफ पहली बार शरारत से देखा था तो सच मानो मेरे गाल भी उतने ही बेताब थे जितने तुम्हारे हाँथ ...और मैं बिलकुल नहीं चाहती थी कोई मेरे गालों पर तुमसे पहले गुलाल लगाये ...सारी रात इसी इंतज़ार में थी ...तुम कौन सा रंग लगाओगे ... सुर्ख लाल ..जो मैं तुम्हारे हांथो से अपनी मांग में देखना चाहती थी ,चमकीला हरा जो शायद मेरी कलाइयों में चूड़ी बन खनकेगा ..पीला जो हांथो में हल्दी बन सजेगा या फिर रुपहला मेरे सपनों की तरह.
तुम जब मेरी ज़िन्दगी में शामिल होने लगे थे तब बहुत कच्ची उम्र में थी मैं ..अल्हड पर तुमको देखते ही मानो किस अनुशासन से बंध जाती थी ..कितनी बार सोचती तुम कुछ कहो ..पर नहीं इसी अबोले पलो के बीच दिवाली से होली आ गई ....और मेरे मन में आकर्षण के बीज में अंकुर फूटने लगे ..कभी कभी जब तुम्हे सोचती तो शारीर से ना जाने कैसी सोंधी सी महक उठती और मैं कस्तूरी मृग की तरह बौरा उठती .... सब जादू सा लगता ...सपने सा ..सपना का सपना ...
तुम जब मेरी तरफ रंग लगाने के लिए बढे ..तो मैं सकुचा रही थी पर ..ये अनुभव बिलकुल वैसा नहीं था ...मेरे कोमल सपने एक पल में कुचल गए ...तुम्हारे हांथो में काला रंग था जो तुम बड़ी कठोरता से मेरे मुह पर मेरे गले पर लगा रहे थे ..और तुम्हारे दोस्तों की आवाजें "छोड़ना मत " ,"मौके का फायदा उठा यार ", "तेरी तो सेटिंग है "... कानो में पिघले सीसे की तरह उतर रहे थे मैं अपने को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी ..बीच बीच में उठती ..शराब की तीव्र गंध में जो कस्तूरी खोई वो आज तक नहीं मिली ....
उस होली ने छोड़ा मुह पर काला रंग जिसको कितना उतारने की कोशिश की पर आज भी ..कहीं मन के कोने में रह गया है ..जो हर होली रंगों को देखते ही पूरे अस्तित्व को अँधेरे में डाल देता है ........
आज फिर होली है हर तरफ रंग है निलय आने जाने वालो को बोल रहे है सपना को रंग पसंद नहीं है ..और गुलाल के टिके लगा रहे है ...निलय के मनपसंद त्यौहार पर मेरा ना होना उसे मायूस तो करता है पर कभी भी उसने जबरदस्ती नहीं की ..जब भी वो नए शादीशुदा जोड़ो को होली में मस्ती करते देखता तो उसकी उम्मीद भरी आँखे मेरी तरफ उठ जाती ..ये हमारी शादी के बाद दूसरी होली है ..मैं निलय का चेहरा देख रही हूँ ...कितना प्यार करता है मुझे ...कितना सुरक्षित महसूस करती हूँ उसकी बाहों में ....और मैं किस के लिए लिए निलय को तकलीफ दे रही हूँ जिससे मेरा कोई रिश्ता भी नहीं है
अचानक सारी कालिमा ख़त्म होने लगती है और थाली में सजे रंग मानो आवाज़ देते है आओ और सजा लो हमें अपनी ज़िन्दगी में ..मेरे हांथो में गुलाबी रंग लिए मैं निलय पर टूट पड़ती हूँ और बिना उसे संभलने का मौक़ा दिए रंगों में सराबोर कर डालती हूँ ... निलय की आँखों में कई रंग तैर जाते है ..भौचक्का .... विस्मय ...आश्चर्य .. शरारत ..फिर... कितनी देर हम दोनों होली खेलते रहे याद नहीं....इस होली की यादें ऐसी बनी की अब शायद कोई और होली कभी याद ना आये .....
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Sonal Rastogi
आज बरसो बाद सिगरेट पीने की इच्छा हो रही है ..मन कर रहा है दो कश भरु और और मुह से धुएं के साथ अपने अन्दर से तुम्हे भी बाहर निकाल दूं .. तुम्हारी यादें कसैली सी लगने लगी है ..तुमने जब हांथों में रंग लेकर मेरी तरफ पहली बार शरारत से देखा था तो सच मानो मेरे गाल भी उतने ही बेताब थे जितने तुम्हारे हाँथ ...और मैं बिलकुल नहीं चाहती थी कोई मेरे गालों पर तुमसे पहले गुलाल लगाये ...सारी रात इसी इंतज़ार में थी ...तुम कौन सा रंग लगाओगे ... सुर्ख लाल ..जो मैं तुम्हारे हांथो से अपनी मांग में देखना चाहती थी ,चमकीला हरा जो शायद मेरी कलाइयों में चूड़ी बन खनकेगा ..पीला जो हांथो में हल्दी बन सजेगा या फिर रुपहला मेरे सपनों की तरह.
तुम जब मेरी ज़िन्दगी में शामिल होने लगे थे तब बहुत कच्ची उम्र में थी मैं ..अल्हड पर तुमको देखते ही मानो किस अनुशासन से बंध जाती थी ..कितनी बार सोचती तुम कुछ कहो ..पर नहीं इसी अबोले पलो के बीच दिवाली से होली आ गई ....और मेरे मन में आकर्षण के बीज में अंकुर फूटने लगे ..कभी कभी जब तुम्हे सोचती तो शारीर से ना जाने कैसी सोंधी सी महक उठती और मैं कस्तूरी मृग की तरह बौरा उठती .... सब जादू सा लगता ...सपने सा ..सपना का सपना ...
तुम जब मेरी तरफ रंग लगाने के लिए बढे ..तो मैं सकुचा रही थी पर ..ये अनुभव बिलकुल वैसा नहीं था ...मेरे कोमल सपने एक पल में कुचल गए ...तुम्हारे हांथो में काला रंग था जो तुम बड़ी कठोरता से मेरे मुह पर मेरे गले पर लगा रहे थे ..और तुम्हारे दोस्तों की आवाजें "छोड़ना मत " ,"मौके का फायदा उठा यार ", "तेरी तो सेटिंग है "... कानो में पिघले सीसे की तरह उतर रहे थे मैं अपने को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी ..बीच बीच में उठती ..शराब की तीव्र गंध में जो कस्तूरी खोई वो आज तक नहीं मिली ....
उस होली ने छोड़ा मुह पर काला रंग जिसको कितना उतारने की कोशिश की पर आज भी ..कहीं मन के कोने में रह गया है ..जो हर होली रंगों को देखते ही पूरे अस्तित्व को अँधेरे में डाल देता है ........
आज फिर होली है हर तरफ रंग है निलय आने जाने वालो को बोल रहे है सपना को रंग पसंद नहीं है ..और गुलाल के टिके लगा रहे है ...निलय के मनपसंद त्यौहार पर मेरा ना होना उसे मायूस तो करता है पर कभी भी उसने जबरदस्ती नहीं की ..जब भी वो नए शादीशुदा जोड़ो को होली में मस्ती करते देखता तो उसकी उम्मीद भरी आँखे मेरी तरफ उठ जाती ..ये हमारी शादी के बाद दूसरी होली है ..मैं निलय का चेहरा देख रही हूँ ...कितना प्यार करता है मुझे ...कितना सुरक्षित महसूस करती हूँ उसकी बाहों में ....और मैं किस के लिए लिए निलय को तकलीफ दे रही हूँ जिससे मेरा कोई रिश्ता भी नहीं है
अचानक सारी कालिमा ख़त्म होने लगती है और थाली में सजे रंग मानो आवाज़ देते है आओ और सजा लो हमें अपनी ज़िन्दगी में ..मेरे हांथो में गुलाबी रंग लिए मैं निलय पर टूट पड़ती हूँ और बिना उसे संभलने का मौक़ा दिए रंगों में सराबोर कर डालती हूँ ... निलय की आँखों में कई रंग तैर जाते है ..भौचक्का .... विस्मय ...आश्चर्य .. शरारत ..फिर... कितनी देर हम दोनों होली खेलते रहे याद नहीं....इस होली की यादें ऐसी बनी की अब शायद कोई और होली कभी याद ना आये .....
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Sonal Rastogi
होली के रंगो मे भिगो दिया……………ऐसे ही भीगी रहें ता-उम्र्…………होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteकुछ यादें ऐसी ही होती हैं जिन्हें भुला देना ही श्रेयष्कर होता है ....अच्छी प्रस्तुति ...
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें
अच्छी प्रस्तुति ...
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें
wo jo holi thi wo kahan , wo rang kahan , wo khushboo kahan , haye hum kahan aur tum kahan ....holi ki shubhkamnayen
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी कहानी है. निराशा से आशा के रंगों की ओर ले जाती हुयी .....
ReplyDeleteसोनल, आप बहुत अच्छा लिखती हैं| आपकी कहानियाँ, नज्में सब रूमानियत की जमीं पर बहुत ही सच्ची लगती हैं..
बड़ी मीठी सी कहानी है...
ReplyDeleteबहुत संवेदनशील कोमल भावमयी प्रस्तुति..होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteदिल को छू गयी .....
ReplyDeleteजीवन में रंग भरे रहें ,होली मुबारक !!!
कडवी यादों को भुलाना और आगे बढ़ना यही जिंदगी है ...!
ReplyDeleteवाह सुंदर कवितात्मक.
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें।
ReplyDelete"छोड़ना मत " ,"मौके का फायदा उठा यार ", "तेरी तो सेटिंग है "...
ReplyDelete...मेरे कोमल सपने एक पल में कुचल गए
काश! ये कहानी ही हो, किसी के जीवन की घटना ना हो।
मगर अफसोस ऐसी घटनायें बहुत ज्यादा होती हैं, होली पर।
अंत बहुत-बहुत पसन्द आया।
प्रणाम स्वीकार करें
होली की शुभकामनायें ...।।
ReplyDeleteअदभुत और अदिवितीय और क्या कहूँ
ReplyDeleteये है ही ऐसा त्यौहार
होली है भाई होली है बुरा ना मानो होली है............ ऐसे कुछ शब्द जो कभी तो और रिश्तों में ऐसी कड़वाहट डाल देते है जिसका असर जाते जाते अरसा निकल जाता है
और कभी रिश्तों की गरिमा में एक ऐसी मिठास घोल दे जिसका जायका सालो साल फीका न पड़े,
और जो कड़वाहट इन शब्दों से आती है वो शायद जा भी इन्ही शब्दों से सकती है ...
होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteब्लॉग पर अनियमितता होने के कारण सभी से माफ़ी चाहता हूँ ..
ओह्ह....ऐसे खुशगवार मौके पर ऐसा कुछ क्यूँ पढ़ा दिया.... वैसे कहीं न कहीं ऐसा होता है ज़रूर.... अरे नहीं गलत मत समझिये...हम ऐसे नहीं हैं...:)
ReplyDeleteहोली की मुबारकबाद...
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
ReplyDeletehttp://vangaydinesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html
बहुत बढ़िया .....होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबीती को बिसार के ...। बढ़िया कहानी!
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें!
wish u a happy holi dear...jaane kya kya yaad dila diya........
ReplyDeleteअरे होली मुबारका मुबारका ..... कोंन कोंन सा रंग रखा है बैग में....
ReplyDeleteholi ki haardik shubhkaamnaae....
ReplyDeleteदिल को बहुत करीब से छूती है आप की भावात्मक होली की यादे
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें
कमाल लिखती हैं आप सोनल जी.
ReplyDelete"उसके हाथ में काला रंग था....कितनी आसानी से विपरीत भावों को व्यक्त कर दिया आपने. बहुत सुन्दर.
रंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.
सोनल जी आपका ब्लॉग देखा। मैं मेरठ से जनवाणी अखबार से हूं। डॉ अनुराग आर्य से पता चला कि आपका ताल्लुक मेरठ से है। मैं अखबार के लिए मेरठ के ब्लॉगर पर एक स्टोरी कर रहा हूं। संभव हो तो 09045582472 पर कांटेक्ट करें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, आपको अनेकानेक शुभकामनायें
ReplyDeleteहोली पर उम्दा प्रस्तुती! लाजवाब पोस्ट!
ReplyDeleteBAHUT SUNDAR POST.....HAPPY HOLI..
ReplyDeleteYuva hi kya badi umre ke log bhee mauke ka laabh utha kar tyohar ka mantavya kalushit kar dete hai. aachchhe vishye ke lie badhai.
ReplyDeleteआप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteDil ko chhuu gayi aapki ye kahani...man bheeng gaya holi ke fuharon mein....
ReplyDeleteWakai, bahut badhiya aur samayochit.
"....इस होली की यादें ऐसी बनी की अब शायद कोई और होली कभी याद ना आये ....."
ReplyDeletethis line derives the force and passion of life !!!!
Wish you a very happy Holi in advance :) :) :)!!!!
subhkamnayen holi ki.. :)
ReplyDeleteएक लड़की के मन की भावना को आपने जिस प्रकार अपनी इस कहानी में प्रदर्शित किया है वह बहुत ही काबिले तारीफ है | वास्तव में अगर कोई लड़की किसी से प्यार करती है तो वह मरते दम तक उसे नहीं छोडती है | Talented India News
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा ,धन्यवाद ... BNR News
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