ये मोहब्बत जो ना कराये थोडा
अभी अभी मिली खबर के अनुसार एक हसीना का का दिल एक हसीं पर आ गया है अब आप कहेंगे इसमें क्या खास है दिलों का कारोबार तो आम है ...हसीन/हसीना लगना पूरी तरह दिल का मामला है इसमें दोनों पार्टी का वास्तव में हसीन होना मायने नहीं रखता ... लड़का भी बेनजीर है और लड़की भी हिना की तरह सुर्ख उफ़ ..क्या कहें मुल्क के मुल्क फ़िदा है यहाँ तक हमारे कृष्णा पर भी ऐसी मोहनी डाली है के बेचारे खुद माया में फंस गए है ... बेचारे अब्बू जान की जान सांसत में फसी है क्या क्या संभाले घर-आँगन दोनों आफत में है ... अब मोम और आग को साथ रखोगे तो यही होना है और भारतीय उपमहाद्वीप प्रेम के मामले में बहुत उपजाऊ है ..यहाँ प्यार बस प्यार देखता है उसे शादी ...उसके साथ जुडी आबादी ..धर्म जाति और आजकल जेंडर कुछ दिखाई नहीं देता . अब सारे चैनल एक सुर में राग बिलावल बजायेंगे और खुद भी झूमेंगे और जनता को भी झुमायेंगे ...भस्मासुर टाइप कहानी नहीं हो गई जो हथियार विदेशो को तबाह करने के लिए तैयार किया था बस ...वापस खुद पर चल गया... इनकी माने तो दोनों प्रेमी कुछ सुनने को तैयार नहीं है...
अंधे इश्क के कहाँ सुनते है
दिन रात आह भरा करते है
अक्स दिलबर का आँखों में
भरे बाज़ार मजनू बने फिरते है
रिश्ते पुराने अजीब लगते है
अजनबी सबसे करीब लगते है
फूंककर आशियाँ हँसते है
यही दिलो को नसीहत करते है
चाहो कहो दीवाना या आशिक
हर रोज़ नई हद से गुज़रते है
अब्बू कहे या अम्मी समझाए
बिगड़े ऐसे कहाँ सुधरते है
रंग-ए-हिना चढ़ जाए दिलपर
दाग बड़े गहरे पड़ा करते है
सुर सधे जब मोहब्बत वाला
राग विलाबल में तान भरते है