तुम सरहद की बात करो
वो संसद में
चिल्लायेंगे
तुम प्याज के आंसू
रोओगे
वो मस्त बिरयानी
खायेंगे
तुम केदारनाथ में
बिलखोगे
वो दिल्ली में जश्न
मनाएंगे
तुम आज़ादी की बात
करो
तुम पर लाठी
बरसाएंगे
वो चार साल अय्याशी
कर
पांचवे साल फिर आयेंगे
वो हरी गड्डियां फेकेंगे
सारे जनमत बिक
जायेंगे
अभी वो दर दर आये हैं
दर दर तुमको भटकायेंगे
वो भी हममें से ही कोई होगा। :)
ReplyDeleteसब पता है..फिर भी
ReplyDeleteहम उनको ही चुन लायेंगे...
:-(
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं....
अनु
किसको चुने ? सब ही तो एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं ।
ReplyDeleteयह दुर्दिन भी भाग्य तुम्हारे..
ReplyDeleteजान कर अनजान बनते है हम लोग
ReplyDeleteकरारा व्यंग्य!
ReplyDeleteव्यंग्य अच्छा है
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteकरारा ... कडुआ ... और सच की अभिव्यक्ति है ...
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनायें ...
बहुत ही भावपूर्ण रचना... स्वतंत्रता दिवस पर बधाई शुभकामनाएं...
ReplyDelete
ReplyDeleteवो चार साल अय्याशी कर
पांचवे साल फिर आयेंगे
वो हरी गड्डियां फेकेंगे
सारे जनमत बिक जायेंगे
इन बिकाऊ टट्टुओं ने ही तो देश का कबाड़ा कर रखा है...
लेकिन इस बार हमें इन अय्याशों-घोटालेबाजों को उखाड़ फेंकना है...
अच्छी लघु रचना के लिए आदरणीया सोनल रस्तोगी जी आभार !
❣हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...❣
♥ रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं ! ♥
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteget your love back