तेज गति से
बढ़ा है मेरा गाँव
पिछड़े लोग .....
तरक्की हुई
चमका मेरा गाँव
सिमटे लोग .....
रंगी दीवारे
जगमग चौराहे
भौचक लोग .....
गोली धमाके
ढोल ताशे बजे औ'
सिहरे लोग .....
नकली ख़ुशी
झूठे उत्सव मने
सिसके लोग .....
चौपालों पर
जो साथ रहे ,अब
बिखरे लोग ......
बढ़ा है मेरा गाँव
पिछड़े लोग .....
तरक्की हुई
चमका मेरा गाँव
सिमटे लोग .....
रंगी दीवारे
जगमग चौराहे
भौचक लोग .....
गोली धमाके
ढोल ताशे बजे औ'
सिहरे लोग .....
नकली ख़ुशी
झूठे उत्सव मने
सिसके लोग .....
चौपालों पर
जो साथ रहे ,अब
बिखरे लोग ......
भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति. रचना के माध्यम से सटीक बात ...आभार
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सोनल जी.....
ReplyDeleteवर्णों के नियम आपकी अभिव्यक्ति को रोक नहीं पाए....
बहुत खूब.
अनु
ये कैसी तरक्की ! जहाँ सबकुछ खो गया
ReplyDeleteगाँव और हाइकू ..कुछ कहते हैं.
ReplyDeleteविकास को अर्पित गाँव
ReplyDeleteगाँव की परम्पराएँ भी बदल गईं .... सुंदर हाइकु
ReplyDeleteवाह! ये बढिया हायकू लिख डाले। बहुत खूब!
ReplyDeleteनकली ख़ुशी / झूठे उत्सव मने / सिसके लोग .....
ReplyDeleteचौपालों पर / जो साथ रहे ,अब / बिखरे लोग ......
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वाह .... कमाल के हायकू हैं
बहुत सुन्दर व सटीक चित्रण किया है
आभार !!!
बहुत सुन्दर रचना ...........आभार
ReplyDeleteसभी हाइकू रोज मर्रा के लोगों से जुड़े हैं ... लम्हों का सटीक चित्रण है ...
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDelete"चौपालों पर
ReplyDeleteजो साथ रहे ,अब
बिखरे लोग ......"
हाइकु छंद में गाँव को बखूबी पेश किया है आपने सोनल! बधाई!
"चौपालों पर
जो साथ रहे ,अब
बिखरे लोग ......"
वाह !
nice
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