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Monday, April 9, 2012

मेरा गाँव (हाइकु)

तेज  गति  से
बढ़ा है मेरा गाँव
पिछड़े लोग .....

तरक्की हुई
चमका मेरा  गाँव
सिमटे  लोग .....

रंगी दीवारे
जगमग चौराहे
भौचक लोग .....

गोली धमाके
ढोल ताशे बजे औ'
सिहरे लोग .....

नकली ख़ुशी
झूठे उत्सव मने
सिसके लोग .....

चौपालों पर
जो साथ रहे ,अब
बिखरे लोग ......

13 comments:

  1. भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति. रचना के माध्यम से सटीक बात ...आभार

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  2. बहुत बढ़िया सोनल जी.....
    वर्णों के नियम आपकी अभिव्यक्ति को रोक नहीं पाए....

    बहुत खूब.

    अनु

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  3. ये कैसी तरक्की ! जहाँ सबकुछ खो गया

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  4. गाँव और हाइकू ..कुछ कहते हैं.

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  5. विकास को अर्पित गाँव

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  6. गाँव की परम्पराएँ भी बदल गईं .... सुंदर हाइकु

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  7. वाह! ये बढिया हायकू लिख डाले। बहुत खूब!

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  8. नकली ख़ुशी / झूठे उत्सव मने / सिसके लोग .....
    चौपालों पर / जो साथ रहे ,अब / बिखरे लोग ......
    -
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    वाह .... कमाल के हायकू हैं
    बहुत सुन्दर व सटीक चित्रण किया है
    आभार !!!

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  9. बहुत सुन्दर रचना ...........आभार

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  10. सभी हाइकू रोज मर्रा के लोगों से जुड़े हैं ... लम्हों का सटीक चित्रण है ...

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  11. "चौपालों पर
    जो साथ रहे ,अब
    बिखरे लोग ......"
    हाइकु छंद में गाँव को बखूबी पेश किया है आपने सोनल! बधाई!
    "चौपालों पर
    जो साथ रहे ,अब
    बिखरे लोग ......"
    वाह !

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