Pages

Showing posts with label टी वी. Show all posts
Showing posts with label टी वी. Show all posts

Thursday, February 7, 2013

सारा टाइम काँय-काँय



फलाना बैंड नहीं चलेगा
ढिमाकी फिल्म नहीं चलेगी
कला प्रदर्शनी नहीं चलेगी
ये लेखक नहीं चलेगा
वो निर्देशक नहीं चलेगा
तू बोला तो क्यों बोला
मुंह खोला तो क्यों खोला
ऐसे कपडे नहीं चलेंगे
पुतले पुतली रोज जलेंगे
ख़बरों के छोटे टुकड़े कर
ब्रेकिंग न्यूज़ में रोज़ तलेंगे 
इसके विचार  हाय हाय
उसका घर बार हाय हाय
फुर्सत कितनी इनको देखो
सारा टाइम काँय-काँय-काँय-काँय

Tuesday, December 4, 2012

हरि अनंत हरी कथा अनंता !!!


जीवन का आरम्भ क्या है पर जीवन का अंत क्या है ..आप कहेंगे वो भी पता है ,और मैं कहूँगी जो आप सोच रहे है वो सरासर गलत है अच्छा इस सवाल को ऐसे पूछती हूँ एक नारी के जीवन का अंत क्या है उद्देश्य क्या है ... कृपया आपके मन में उठ रही भाषण की स्क्रिप्ट अपने पास फोल्ड कर के रख लीजिये ...बघारने के लिए हमारे पास भी बहुत बड़ा ज्ञान का पिटारा है :-) और वो ही बघारने जा रहे है .

कल टी वी देखते हुए हमें जीवन के परम सत्य की प्राप्ति हुई वो तो पतिदेव आ गए वरना मोक्ष भी मिल गया होता ...

हर नारी के जीवन का अंतत: उद्देश्य ससुराल में हो रहे षड़यंत्र झेलना,छुपकर सुनना और फाइनली खुद षड़यंत्र रचना ही है यकीन नहीं आता तो गौर फरमाइए, हम जानते है आप सब भी जितनी बुराई कर ले पर दिमाग उन सजी धजी बहुओं में लगा रहता है, अरे मुझपर आँखे मत तरेरिये अगर मैंने भी नहीं देखा होता तो ये पोस्ट नहीं चेप रही होती :-)

 ये दुनिया दो तरह के लोगों से बनी है जो पहले जो सास-बहु ,बहन-बेटी सिरिअल पसंद करते है और दुसरे जो नापसंद करते है पर दोनों ही प्रेम और घृणा से ही सही पर देखते ज़रूर है।
अब मेरे जैसा दूसरी कैटेगरी वाला प्राणी इस विषय पर दूसरी पोस्ट लिख रहा है तो मतलब यही है ना देखते तो है ना :-)

पहली पोस्ट  टीवी मेरी तौबा.

अब बहनों ,बहुओं और उनके रिश्तेदारों हांथो में अक्षत लो और कुछ देवियों के बलिदान की कहानी संक्षेप में सुनो .( नायिकाओ/सीरियल के नाम नहीं दे रही हूँ आप सब समझदार हो , अभी जेल जाने का मूड नहीं है )

(1)
पहले -  एक खूंखार डाकू आँखों में गहरे काजल के साथ बदले की आग ,होंठों पर लिप्ग्लास के साथ गलियाँ ,जीवन का मकसद बदला- बदला -बदला !
बाद में -शादी ,आँखों में आंसू ,करवाचौथ का व्रत ,भारी साड़ियाँ जेवर ,षड़यंत्र झेलना,छुपकर सुनना और फाइनली खुद षड़यंत्र रचना।

(2)
पहले- एक आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की बेटी ,जीवन का मकसद प्रशासनिक सेवा में जाना ,देश के लिए कुछ करना।
बाद में -शादी ,आँखों में आंसू ,करवाचौथ का व्रत ,भारी साड़ियाँ जेवर ,षड़यंत्र झेलना,छुपकर सुनना और फाइनली खुद षड़यंत्र रचना।

(3)
पहले- एक दबे कुचले तबके से ,मकसद अपने परिवार को हर संकट से उबारना।
बाद में -शादी ,आँखों में आंसू ,करवाचौथ का व्रत ,भारी साड़ियाँ जेवर ,षड़यंत्र झेलना,छुपकर सुनना और फाइनली खुद षड़यंत्र रचना।

भैया हरि  अनंत हरी कथा अनंता .... तो आप कुछ भी कर लो कोई भी मकसद तय कर लो फाइनली जीवन का उद्देश्य करवाचौथ का व्रत रखना और सजधज के रहना ही है
(ये सुविचार-कुविचार सब मेरे अपने ही है और इनका रोज़ रोज़ टीवी पर चलने वाली कहानियो से पूरा सम्बन्ध है )