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Tuesday, November 20, 2012

मौन


सूरज भी मुश्किलों
 से उगा आज सुबह 
चिड़िया नहीं निकली
अपने  घोसलों से
बच्चे म्यूट मोड में
लगातार बिलखे
गाय दूध देने से
कर रही थी इनकार
तीन दिनों से
 ठहर -ठहर कर
वो भर रही थी सांस
इस घबराहट में
क्या पता खुदा
आक्सीजन की भी
सप्लाई रोक दे ...

Tuesday, July 10, 2012

रिश्तों की पैरहन.

उसे प्यार नहीं था पर कर रही थी कोशिश प्यार करने की क्योंकि यही रिवाज़ है, हर लड़की को चाहना होता है अपने होने वाले पति को, और और समझाना होता है यही है वो राजकुमार जिसका इंतज़ार करती आ रही है सदियों से,जब नख से शिख तक माप तौल चल रही होती है लड़की की, उसके पिता के बजट की, तब भी उसे अपने होने वाले पति में ढूंढना होता है महान आदर्श पुरुष.जो हर तरह से उसके योग्य है ,उसके माँ पिता तो बस माध्यम है चुना तो स्रष्टि ने है ना उसके लिए, अपने सपनो के खांचे में फिट करके देखती है नहीं होता ,तो  अटाने की कोशिश करती है वैसे ही जैसे कोई नया सूट जो एक साइज़ छोटा हो उसे शरीर पर चढ़ा लिया जाए 

...क्योंकि बस वही है उसके पास वही सर्वश्रेष्ट है ,ये कोशिश जिसे अडजस्ट करना कहते है चलती रहती है ताउम्र, कुछ खुद को घोल देती है रोज़ थोडा थोडा और सुकून से सांस लेती है अब घुटन नहीं होती पर अपने को खोने का दर्द और टीस सालती है हमेशा जिसे एक नकली मुस्कान से ढका करती है ,

जो नहीं घुल पाती उनका शरीर झाँकने लगता है उधडी सिलाइयों से और पड़ते है गहरे निशान, देखने वाले निगाहों से और इशारों से कोंचते है ,उधडे रिश्तों को ,और वो बिता देती है पूरी उम्र घुटन में ,उनके भीतर की उमस उन्हें ही भिगोती है पसीजती है ,सूखती है पर उतार नहीं पाती वो रिश्ते कैसे सामना करेंगी दुनिया का रिश्तों की पैरहन के बिना निर्वस्त्र रह जायेंगी,
कुछ के पास वो पैरहन भी नहीं होता बेलिबास होती है क्योंकि उनका रिश्ता किसी और को ढक रहा होता है और वो सोचती है कोई नहीं देख रहा ,मांग के सिन्दूर को गहरा करती है ,मंगलसूत्र कुछ और बड़ा, आत्मविश्वास का पाउडर चेहरे पर कुछ ज्यादा जिससे चेहरा सफ़ेद दिखे ,पर चेहरा सफ़ेद दिखने की कोशिश में पीला दिखता है रक्तहीन, वे दिखाती है मेरे पास सब है ,उस राजा की तरह जो हवा का लिबास ओढ़े सड़क पर निकल गया था ...खुद को मुगालते में रखती है,

एक नई कौम अंकुरित हुई है हाल में उसी मिट्टी से,संस्कारों की खाद से सींची हुई, जिसके चेहरे पर आत्मविश्वास थोपा हुआ नहीं है,जड़े ज्यादा गहरी है, प्यार करने की कोशिश की बजाय प्यार करने में यकीन करती है,अडजस्ट करने के नाम पर इनकार करती है एक नाप बड़े या छोटे रिश्तो में उतरने के लिए या खुद चुनती है अपने नाप जिससे सांस ले सके या चुने हुए रिश्तों को परखती है, किसी भी घुटन,उमस को झेलने की बजाय आज़ाद कर लेती है खुद को, रिवाज़ खुद गढ़ने लगी है,रिश्तो के लिबास के बिना भी खुश रहती है क्योंकि वो जान गई है निर्वस्त्र रहना शर्म की बात नहीं है ईश्वर ने रचा है आपको एक खूबसूरत जीवन दिया है ,उसे उसके साथ जियो जिससे प्यार कर सको नाकि प्यार करने की कोशिश में ज़िन्दगी गुज़ार दो ......


Thursday, March 29, 2012

चलो कुछ भूल जाएँ ......

इंसा पैदा हुए थे हम
हुए ना जाने कब विषधर
किसी अंधियारे कोने में
केंचुली छोड़ आयें
चलो कुछ भूल जाएँ  ...... 

उम्र बीती जिरह करते
जब भी उगला ज़हर उगला
किसी गुमनाम पीर पर
ज़हर का तोड़ पाए
चलो कुछ भूल जाएँ ..........
 
युग बदले ना तू बदला
रहा उथले का तू उथला
किसी गंगा में यूँ डूबें
के  मुक्ति पा ही जाए
चलो कुछ भूल  जाएँ............
 
बड़ी  रंजिश सहेजी हैं 
तुमने अपनी किताबों में
किसी पार्क की बेंच पर
इरादतन छोड़ आयें
चलो कुछ भूल जाएँ ....
 
मनभर  बोझ  लेकर
सफ़र कैसे करोगे तय
मंजिल पास में ही है
अंत आसाँ बनाये
चलो सब  भूल जाएँ ....

Monday, March 22, 2010

वो जिद पे अड़ा है

वो जिद पे अड़ा है


वो सबसे बड़ा है

मुद्दत से यही तो

वो दोहरा रहा है



दुनिया का बोझ लिए

अपने दिमाग पर

अपने ही घर को

भूला जा रहा है



बात करता है हरदम

वो मजहब खुदा की

इंसानियत तो उसको

याद ही नहीं है



चुन चुन कर निशाना

वो साधे हुए है

किसी की सुनने को

तैयार ही नहीं है



पैगम्बरों ने हमेशा

जोड़ा है दिलो को

बेबसों को हर दम

गले से लगाया



मोहब्बत तो हर

दीन का फलसफा है

ये नफरत के किस्से

कहाँ से सीख़ आया



वो जिद पे अड़ा है