मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
पुनरावृति हताशा की एक मौन अपने होने पर एक पीड़ा नारी होने की वही अंतहीन अरण्य रुदन बस देह भर ये अस्तित्व छिद्रान्वेषण पुन: पुन: चरित्र हनन या वस्त्र विमर्श मैं बस विवश बस विवश ...