मुझे टूटा ही रहने दो
मुझे बिखरा ही रहने दो
संवर कर क्या करूंगी मैं
मुझे उजड़ा ही रहने दो
नहीं मेरे लिए दुनिया
ना दुनिया के मैं काबिल हूँ
जिला कर क्या करोगे तुम
मुझे मुर्दा ही रहने दो
मैं हो जाऊं जो खँडहर
तो बेहतर ही समझना तुम
सजेगी ना कभी महफ़िल
मुझे वीरां ही रहने दो
आंसू की चंद बूँदें है
गवाह मेरी तबाही की
यकीन क्योंकर करेगा वो
मुझे झूठा ही रहने दो