यूँही खुद को मैंने सदा तनहा रखा
खुशियों से महरूम औ रुसवा रखा
महफिलों से कतरा कर गुज़रे हम
दर्द से दिल इस कदर बोझिल रखा
सो ना जाए किसी शब् सुकून से
पलक में एक अश्क उलझा रखा
रौशनी ना मांगने लगे आँगन मेरा
चराग भी रखा तो बुझता रखा
ना कोई हमसफर हो जाए मेरा
अपनी हस्ती को मैंने मुर्दा रखा
जुर्म क्या था तेरा ये बता "सोनल "
सांस लेना इस कदर मुश्किल रखा
कैसे मिलेगा बहीखाता ज़िन्दगी का
पास बस दिल का एक टुकड़ा रखा
खुशियों से महरूम औ रुसवा रखा
महफिलों से कतरा कर गुज़रे हम
दर्द से दिल इस कदर बोझिल रखा
सो ना जाए किसी शब् सुकून से
पलक में एक अश्क उलझा रखा
रौशनी ना मांगने लगे आँगन मेरा
चराग भी रखा तो बुझता रखा
ना कोई हमसफर हो जाए मेरा
अपनी हस्ती को मैंने मुर्दा रखा
जुर्म क्या था तेरा ये बता "सोनल "
सांस लेना इस कदर मुश्किल रखा
कैसे मिलेगा बहीखाता ज़िन्दगी का
पास बस दिल का एक टुकड़ा रखा