बेतरतीब मैं (सोलह
अक्टूबर)
बीते दशहरे रावण जला
,जिनको जलना था वो इस बार भी बच गए अंतत: सिद्ध हुआ सतयुग में की गई एक गलती आपको
जन्म-जन्मान्तर तक अपराधी घोषित करवा सकती है , कलयुग में अपराध को अपराध और
अपराधी को अपराधी सिद्ध करना आम मनुष्य के बस की बात नहीं .
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कन्या पूजन हुआ,
सुबह से बेटियाँ ढूंढी गई ,जिनके जन्मने पर पड़ोस की भाभी दिलासे देने और चाची ऊपर
वाले की मर्ज़ी का ज्ञान बाटने आई थी, आज उनकी पूछ सबसे ज्यादा थी, धन्यवाद देवी
माँ अपनी पूजा के नौ दिनों में से एक दिन अपनी बेटियों को देने के लिए
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मेले में घूमते
हुए बचपन अचानक हाँथ थामकर साथ चलने लगा,
उसकी ढेरो जिद रेत नमक में भुने पोपकोर्न, बांस से बना सांप , पलके खोलने मूंदने
वाली गुडिया आज सब मेरे साथ घर चलने को तैयार , पर इस घर में जब मैं बचपन को नहीं
ले जा सकती तो बचपन के साथी कैसे जायेंगे .
फिर मिलना ऐसे ही
किसी मेले में .
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ज़िन्दगी महंगी है और
उससे भी महंगे जीने के सवाल
कमाल है हमें वो सब
चाहिए जो हमारे हाँथ की पहुँच से दूर है एडी उचकाकर भी जो ना छू पाए, हम लालसा
करते है निराशा की, हमें मायूसी भाती है जानते हुए के सितारे आस्मां में है और दिए
हाँथ की पहुँच में , हम दिए नहीं सितारों की चाह करते है ,और आँखों में दो बूँद
मायूसी डालकर सो जाते है
वाह , अच्छा लगा । "दिए हाँथ की पहुँच में , हम दिए नहीं सितारों की चाह करते है ,और आँखों में दो बूँद मायूसी डालकर सो जाते हैं "।
ReplyDeleteज़िन्दगी के तमाम प्रश्न मासूम चेहरे लिए कलम में उतर आये हैं - बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteबस एक शब्द ... वाह ..
ReplyDeleteस्माइल कर देते हैं... :)
ReplyDeleteकृपा है माँ कि कन्यों को कुछ दिन पूजवाने के दिए। … बचपन अक्सर अंगुली पकड़कर खड़े दीखता है , पहली बार स्कूल जाते बच्चे की तरह जबरदस्ती अंगुली छुड़ानी पड़ती है !
ReplyDeleteहर अगली पंक्ति पढ कर लगा कि पहले वाली से बेहतर है लेकिन सभी अलग हैं... incomparable!!
ReplyDeleteटुकड़ों टुकड़ों में बिखरे विचार भी लगा एक कड़ी दूसरे से जुड़ी है ।
ReplyDeleteबहुत खूब ... सभी प्रश्न वाजिब ... अपने आप से जवाब मागता समाज शायद इनसब का जवाब कभी दे पाए ...
ReplyDeletekuchh bhi :)
ReplyDeletepar betartibi achchi lagi ..........!!
विचारणीय छिटकन, मेले में बचपन साथ चलने लगता है, हाथ पकड़ कर।
ReplyDeleteइन शब्दों को सुननेवाले बहरे है ! भैस के आगे बीन क्यों बजाती हो ! लड़का हो तो अच्छा मगर लड़की हो तो और भी अच्छा !
ReplyDeletenice...........
ReplyDeleteअच्छी सामयिक प्रस्तुति...दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@जब भी जली है बहू जली है