बेतरतीब मैं (०१. ०८. १६ )
(१)
अगस्त का महीना आ गया जब आसमान में बादल दिल में उमंग और बाज़ार सेल सेल चिल्ला रहा होगा ,
बस आज आई है कल ना रहेगी ५०% से ७०% तक लूट लो ,रस्ते का माल सस्ते में ,कहाँ चल दिए बाबू ,ये गुडगाँव है ,मरा हांथी भी सवा लाख का होता है, आप जो उल्लास भरे चमचमाते मॉल के भीतर चल दिए है वहां सब ९९ का फेर है ९९९ से लेकर ९९९९ तक या उससे भी ऊपर , २ के साथ ३ फ्री ,१ खरीदों ३०% ३ खरीदों ५०% , सारा हिसाब किताब यहीं फेल।
(२)
अगस्त के मायने कितने बदल गए कभी अगस्त याद करके "भारत छोडो आंदोलन " और स्वतंत्रता दिवस याद आता था आज कैलेंडर में महज छुट्टी का दिन बन गया है आस पास शनिवार या इतवार मिल जाए तो एक लॉन्ग वीकेंड ,फिर बाज़ार हावी ,हॉलिडे पैकेज खरीद लो २००० हज़ार का कमरा १०००० में , ट्रेन के टिकेट नदारद ,हवाई टिकेट सातवें आसमान पर ,
(३)
"जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी "
साल दर साल पंद्रह अगस्त पर ख़ुशी ख़ुशी स्कूल जाना ,तिरंगे को लहराते हुए देखना ,शहीदों के बारे में जानना ,लोकप्रिय शहीदों के साथ उन गुमनाम शहीदों की बातें जिनका नाम आज कोई लेता भी नहीं ,वो तो कह गए
"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मारने वालों का यही आखिरी निशा होगा "
(४)
अगस्त शहीदों के नाम होना चाहिए ,आज़ादी का जश्न मानाने के लिए , क़ुरबानी याद करने के लिए ,पर सिर्फ गाल पर तिरंगा पेंट करवाकर या माल में घूमकर ये जश्न नहीं मनता ना
लहू दिया माँ रहे सुहागन
साँसे वारी महके आँगन
पर निर्लज्ज हम वंशज तेरे
फंसे है किस व्यापार में
अपना उत्सव भूल भुलाकर
खोये हैं बाज़ार में
(१)
अगस्त का महीना आ गया जब आसमान में बादल दिल में उमंग और बाज़ार सेल सेल चिल्ला रहा होगा ,
बस आज आई है कल ना रहेगी ५०% से ७०% तक लूट लो ,रस्ते का माल सस्ते में ,कहाँ चल दिए बाबू ,ये गुडगाँव है ,मरा हांथी भी सवा लाख का होता है, आप जो उल्लास भरे चमचमाते मॉल के भीतर चल दिए है वहां सब ९९ का फेर है ९९९ से लेकर ९९९९ तक या उससे भी ऊपर , २ के साथ ३ फ्री ,१ खरीदों ३०% ३ खरीदों ५०% , सारा हिसाब किताब यहीं फेल।
(२)
अगस्त के मायने कितने बदल गए कभी अगस्त याद करके "भारत छोडो आंदोलन " और स्वतंत्रता दिवस याद आता था आज कैलेंडर में महज छुट्टी का दिन बन गया है आस पास शनिवार या इतवार मिल जाए तो एक लॉन्ग वीकेंड ,फिर बाज़ार हावी ,हॉलिडे पैकेज खरीद लो २००० हज़ार का कमरा १०००० में , ट्रेन के टिकेट नदारद ,हवाई टिकेट सातवें आसमान पर ,
(३)
"जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी "
साल दर साल पंद्रह अगस्त पर ख़ुशी ख़ुशी स्कूल जाना ,तिरंगे को लहराते हुए देखना ,शहीदों के बारे में जानना ,लोकप्रिय शहीदों के साथ उन गुमनाम शहीदों की बातें जिनका नाम आज कोई लेता भी नहीं ,वो तो कह गए
"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मारने वालों का यही आखिरी निशा होगा "
(४)
अगस्त शहीदों के नाम होना चाहिए ,आज़ादी का जश्न मानाने के लिए , क़ुरबानी याद करने के लिए ,पर सिर्फ गाल पर तिरंगा पेंट करवाकर या माल में घूमकर ये जश्न नहीं मनता ना
लहू दिया माँ रहे सुहागन
साँसे वारी महके आँगन
पर निर्लज्ज हम वंशज तेरे
फंसे है किस व्यापार में
अपना उत्सव भूल भुलाकर
खोये हैं बाज़ार में
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " पिंगली वैंकैया - भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पक “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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