फलाना बैंड नहीं चलेगा
ढिमाकी फिल्म नहीं चलेगी
कला प्रदर्शनी नहीं चलेगी
ये लेखक नहीं चलेगा
वो निर्देशक नहीं चलेगा
तू बोला तो क्यों बोला
मुंह खोला तो क्यों खोला
ऐसे कपडे नहीं चलेंगे
पुतले पुतली रोज जलेंगे
ख़बरों के छोटे टुकड़े कर
ब्रेकिंग न्यूज़ में रोज़ तलेंगे
इसके विचार हाय हाय
उसका घर बार हाय हाय
फुर्सत कितनी इनको देखो
सारा टाइम काँय-काँय-काँय-काँय
क्या बात है वाह! ये कविता तो खूब चलेगी। :)
ReplyDeleteअब कुछ ओर काम नहीं है इन ठेकेदारों को तो क्या करें ये सब ...
ReplyDeleteये खुला सोनल का पिटारा.........
ReplyDelete:-)
too good !!
अनु
:) कान पक गए न ..
ReplyDeleteगज़ब लिखा है सोनल.
सचमुच
ReplyDeleteदेखिये, कहीं कविता बन्द न कर दें ये लोग..
ReplyDeletehahaha....very nice
ReplyDeleteबिल्कुल सच्ची... खाली-पीली टाईम खोटी करते हैं... निकम्मे कहीं के... जाता है या हम भगाएं क्या
ReplyDeleteशाबाश ! एकदम खरी खरी मगर पूरी तरह सच
ReplyDeletekamaal hai sonal ji, hamesha ki tarah!
ReplyDeletebaat mein dam hai!
ReplyDeleteबात मेरे मन की कही
ReplyDeleteऔर कही मुझ से बेहतर ...
शुक्रिया!
बहुत सुंदर कविता ....
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