गर ज़िन्दगी इतनी आसान होती
तो हर लैब पर खिची मुस्कान होती
गर होता आसान सपने सजाना
न पड़ता फिर पलकों पे आँसूं उठाना
जीना है फिर भी जिए जा रहे हैं
अपने दर्दों को सीने में पाले हुए है
शायद कभी रौशनी हो मयस्सर
सुना है अंधेरों के बाद ही उजाले हुए हैं
happu republic day...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव लिये हुये अनुपम प्रस्तुति ।
ReplyDeleteजीवन की सच्चाई को मुखरित करती हुई अच्छी प्रस्तुती मै तो यही कहूँगा
ReplyDeleteइतना नहीं सरल ,,,,
ये बड़ा तिक्ष्न गरल ,
सुधामयगर पान करना है ,,,,
सत्य का ज्ञान करना है
द्वैत की छोड़ आद्वेत को बांध ,,
एकीकार होकर,,,,,,,,,,,
अन्यन्यता खोकर ,,,,,
सुधा मय से मुह मोड़ ले ॥
मय स्रस्ति दामन छोड़ ले ,,,
बन जा स्रस्ति का भर्ता,,,,
बन जा जग का कर्ता,,,,,,
मिटेगा क्रंदन ,,,,,,,,
होगा नूतन ,,,,,,
यही है जीवन,,,,,,
गर यह ज्ञान हो गया ,,,
अभिमान खो गया,,,,
मिलेगा सुख,,,,
होगा न दुःख...
मिटेगी अंतस वेदना ,,,
मिलेगी सत्य चेतना ,,,,
जव सत्य का आरम्भ होगा ।
तभी जीवन प्रारम्भ होगा ,,,
सत्य ज्योति जगा दो....
भ्रान्ति सब मिटा दो,,,
पाप धो कर,,,
निज आस्तित्व खोकर/
करो साधना....
जिसे करते है कुछ विरल॥
इतना नहीं सरल,,,
ये बड़ा तिक्ष्न गरल ,,,,,,,,,,,,,
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
खूबसूरत प्रविष्टि ! प्रवीण जी की रचना भी अच्छी लगी । आभार ।
ReplyDeleteगर होता आसान सपने सजाना
ReplyDeleteन पड़ता फिर पलकों पे आँसूं उठाना
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गर होता आसान सपने सजाना
न पड़ता फिर पलकों पे आँसूं उठाना
सार्थक सोच के साथ अच्छा प्रयास - शुभकामनाएं
शायद कभी रौशनी हो मयस्सर
ReplyDeleteसुना है अंधेरों के बाद ही उजाले हुए हैं ..
सच ही तो है ......... हर रत के बाद सुबह आती है ....... रोशनी साथ लाती है .... बस उमीद का दामन साथ रखना चाहिए ,,,,,,,,
पहली पंक्ति में ही अजब सा सम्मोहन है, गर...
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