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Wednesday, January 27, 2010

गर

गर ज़िन्दगी इतनी आसान होती


तो हर लैब पर खिची मुस्कान होती

गर होता आसान सपने सजाना

न पड़ता फिर पलकों पे आँसूं उठाना



जीना है फिर भी जिए जा रहे हैं

अपने दर्दों को सीने में पाले हुए है

शायद कभी रौशनी हो मयस्सर

सुना है अंधेरों के बाद ही उजाले हुए हैं

7 comments:

  1. बहुत ही सुन्‍दर भाव लिये हुये अनुपम प्रस्‍तुति ।

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  2. जीवन की सच्चाई को मुखरित करती हुई अच्छी प्रस्तुती मै तो यही कहूँगा

    इतना नहीं सरल ,,,,

    ये बड़ा तिक्ष्न गरल ,

    सुधामयगर पान करना है ,,,,

    सत्य का ज्ञान करना है

    द्वैत की छोड़ आद्वेत को बांध ,,

    एकीकार होकर,,,,,,,,,,,

    अन्यन्यता खोकर ,,,,,

    सुधा मय से मुह मोड़ ले ॥

    मय स्रस्ति दामन छोड़ ले ,,,

    बन जा स्रस्ति का भर्ता,,,,

    बन जा जग का कर्ता,,,,,,

    मिटेगा क्रंदन ,,,,,,,,

    होगा नूतन ,,,,,,

    यही है जीवन,,,,,,

    गर यह ज्ञान हो गया ,,,

    अभिमान खो गया,,,,

    मिलेगा सुख,,,,

    होगा न दुःख...

    मिटेगी अंतस वेदना ,,,

    मिलेगी सत्य चेतना ,,,,

    जव सत्य का आरम्भ होगा ।

    तभी जीवन प्रारम्भ होगा ,,,

    सत्य ज्योति जगा दो....

    भ्रान्ति सब मिटा दो,,,

    पाप धो कर,,,

    निज आस्तित्व खोकर/

    करो साधना....

    जिसे करते है कुछ विरल॥

    इतना नहीं सरल,,,

    ये बड़ा तिक्ष्न गरल ,,,,,,,,,,,,,
    सादर
    प्रवीण पथिक
    9971969084

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  3. खूबसूरत प्रविष्टि ! प्रवीण जी की रचना भी अच्छी लगी । आभार ।

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  4. गर होता आसान सपने सजाना
    न पड़ता फिर पलकों पे आँसूं उठाना
    ...
    गर होता आसान सपने सजाना
    न पड़ता फिर पलकों पे आँसूं उठाना
    सार्थक सोच के साथ अच्छा प्रयास - शुभकामनाएं

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  5. शायद कभी रौशनी हो मयस्सर
    सुना है अंधेरों के बाद ही उजाले हुए हैं ..

    सच ही तो है ......... हर रत के बाद सुबह आती है ....... रोशनी साथ लाती है .... बस उमीद का दामन साथ रखना चाहिए ,,,,,,,,

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  6. पहली पंक्ति में ही अजब सा सम्मोहन है, गर...

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