मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
Saturday, January 30, 2010
आज यूँही
यार आज यूँही कुछ लिखने का मन कर रहा है ,बिना किसी विचार के बस मन में उठे भावों को शब्दों का चोला पहनाकर देखते है क्या रूप लेता है , कहते हैं मन की उड़ान हवा से भी तेज होती है तो आज कहाँ ले जा रहा है मेरा मन........आज मूड बहुत अच्छा है कुछ असर ठण्ड के कम होने का है और कुछ बसंत ऋतू का है.
आँखों में सपने चमकने लगे है और होठों पर अनायास ही मुस्कराहट खेल जाती है क्यों ना हो हवा हे कुछ बौराई सी है और मेरा मन इस हवा के साथ उड़ा जा रहा है, क्या आप को भी कभी बंधन मुक्त होने का एहसास हुआ है ...हुआ होगा अगर कभी किसी बंधन में पड़े होंगे ..फिर वही पागलपन
"कभी मन चाहे बाँध लूं अपने को हज़ार बंधन में ,और करूँ महसूस उनको अपने हर स्पंदन में "
चलिए बस ब्लॉग से गुज़रते हुए यूँही कुछ लिख दिया , बसंत के मद ने आप पर भी कुछ असर किया होगा ....
मैं तो ये पूरे जोश से मना रही हूँ
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"कभी मन चाहे बाँध लूं अपने को हज़ार बंधन में, और करूँ महसूस उनको अपने हर स्पंदन में"
ReplyDeleteआलेख में भी आपने भावनाओं को अच्छे से चित्रित किया है - मुझे विश्वास है की आप इसी बात को "गर" की तरह कविता के माध्यम से कह सकती थीं. लेखनी नित नए रंगों से सजे - शुभकामनाएं
"कभी मन चाहे बाँध लूं अपने को हज़ार बंधन में, और करूँ महसूस उनको अपने हर स्पंदन में"
ReplyDeletebahut hi sundar bhaav sanjoye hain in panktiyon mein.
sdह्रदय की संवेदन शीलता और उथल पुथल को बखूबी व्यक्ति किया है आप ने
ReplyDeleteसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
बहुत शानदार रचना.
ReplyDelete" sunder post "
ReplyDelete----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
मन का बंधन ...स्पंदन ...
ReplyDeleteवसंत दृष्टिगोचर है आपकी प्रविष्टि में ....!!
निश्चय ही स्पंदित होता है वातावरण वसन्त के आगमन से ।
ReplyDeleteवसन्त उतर गया है आँगन, झूम रहा है मन - शुभ है ।
आभार प्रविष्टि का ।
कभी मन चाहे बाँध लूं अपने को हज़ार बंधन में
ReplyDeleteऔर करूँ महसूस उनको अपने हर स्पंदन में ...
बसंत क आगमन ....... प्रेम की उन्मुक्त बयार ले कर आता है ..... जो नज़र आ रही है आपके शब्दों में ........
हवा ही कुछ बौराई सी है और मेरा मन इस हवा के साथ उड़ा जा रहा है...
ReplyDeleteखूब ये अहसास हुआ तो होगा मगर कहने का ये सलीका कभी नहीं आया.