कुछ शब्दों के अर्थ लिखूं
कुछ अक्षर यूँही व्यर्थ लिखू
एक प्रेमकथा ,संवाद लिखू
संबंधो के सन्दर्भ लिखूं
इस जीवन का सार लिखूं
अंतर्मन का प्रतिकार लिखूं
नयनो में उपजा रोष लिखूं
या अपनों से प्रतिशोध लिखूं
भस्म हुई वो निशा लिखूं
दग्ध ह्रदय की व्यथा लिखूं
हतप्रभ हूँ मैं और क्षोभित भी
मन मेरा है उद्वेलित भी
भेजूं मैं मेघ या पत्र लिखूं
प्रियतम प्रियतम सर्वत्र लिखूं
वाह बहुत खूब ...
ReplyDeleteकुछ भी लिखें पर लिखें अवश्य।
ReplyDeleteअभी बाकी है कुछ ??? गज़ब करती हो.इतना सुन्दर तो लिख दिया.
ReplyDeleteबिना लिखे तो आपने कुछ नहीं छोड़ा, लिख दिया तो क्या होगा!!
ReplyDeleteऐसा लिखा जाए कि लिखते लिखते लव हो जाए..
ReplyDeleteबाय द वे लय बड़ी अच्छी बन पड़ी है
भेजूं मैं मेघ या पत्र लिखूं
ReplyDeleteप्रियतम प्रियतम सर्वत्र लिखूं
वाह! बहुत सुन्दर लिखतीं है आप.
प्रियतम प्रियतम का गुंजन हो रहा है आपकी
इस पोस्ट से.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
beautiful writeup
ReplyDeleteजब भूमिका इतनी प्रभावशाली है तो पत्र कैसा होगा?
ReplyDeleteवाह बहुत गज़ब का लिखा है| धन्यवाद|
ReplyDeleteये कुश ने हमारे डायलाग का अधन्ना चुरा लिया है। :)
ReplyDeleteवैसे इत्ते सवाल पूछे जाते हैं कहीं प्रिय से?
Bas likhna hai.... sabkuch simatker vistrit ho jayega
ReplyDeleteदेखी रचना ताज़ी ताज़ी --
ReplyDeleteभूल गया मैं कविताबाजी |
चर्चा मंच बढाए हिम्मत-- -
और जिता दे हारी बाजी |
लेखक-कवि पाठक आलोचक
आ जाओ अब राजी-राजी |
क्षमा करें टिपियायें आकर
छोड़-छाड़ अपनी नाराजी ||
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDelete-------
कल 16/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
अब अंत में तो लिख ही दिया ..सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteकुछ शब्दों के अर्थ लिखूं
ReplyDeleteकुछ अक्षर यूँही व्यर्थ लिखू... कुछ-कुछ लिखते-लिखते सब कुछ लिख दिया आपने....
वह ... क्या बात है ये पंक्तियाँ अचानक यद् आ गयी आपकी रचना पढते हुवे ..
ReplyDeleteक्या भूलूँ क्या याद करू ...
कुछ भी लिखना बस "प्रिय" जरूर लिखना "तम" दूर हो "प्रियतम" बन ही जायेगा :)
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...बधाई
ReplyDeleteशुक्रवार
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/
तुम्ही कहो मैं क्या लिखूँ ...बहुत सुंदर और प्रभावशाली रचना । धन्यवाद
ReplyDeleteअब तो कुछ लिख ही डालिए.......ताकि बात आगे बढे
ReplyDeleteऐसा लिखियेगा तो लेखनी को भी प्रियतम ढूँढना पड़ जायेगा....शब्दों के इस माणिक को साधुवाद ...
ReplyDeleteअंत में लिख ही लिया.. जो लिखा अच्छा लिखा...... सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteजो भी लिखे ऐसे ही सुंदर लिखे. सुंदर कविता और सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteजब मैं फुर्सत में होता हूँ , पढ़ता हूँ और तहेदिल से इन भावनाओं का शुक्रगुज़ार होता हूँ ....
ReplyDeletebada hi pyara andaz.......
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.सुंदर और प्रभावशाली रचना । धन्यवाद
ReplyDeletegazab ka sabdkhosh hai apka
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