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Wednesday, September 14, 2011

कहो प्रिये क्या लिखूं

कुछ शब्दों के अर्थ लिखूं
कुछ अक्षर  यूँही  व्यर्थ लिखू
एक प्रेमकथा ,संवाद लिखू
संबंधो के सन्दर्भ लिखूं
इस जीवन का सार लिखूं
अंतर्मन का प्रतिकार लिखूं
नयनो में उपजा रोष लिखूं
या अपनों से  प्रतिशोध लिखूं
भस्म हुई वो निशा लिखूं
दग्ध ह्रदय की व्यथा लिखूं
हतप्रभ हूँ मैं और क्षोभित भी
मन मेरा है उद्वेलित भी
भेजूं मैं मेघ या पत्र लिखूं
प्रियतम प्रियतम सर्वत्र लिखूं

28 comments:

  1. कुछ भी लिखें पर लिखें अवश्य।

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  2. अभी बाकी है कुछ ??? गज़ब करती हो.इतना सुन्दर तो लिख दिया.

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  3. बिना लिखे तो आपने कुछ नहीं छोड़ा, लिख दिया तो क्या होगा!!

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  4. ऐसा लिखा जाए कि लिखते लिखते लव हो जाए..

    बाय द वे लय बड़ी अच्छी बन पड़ी है

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  5. भेजूं मैं मेघ या पत्र लिखूं
    प्रियतम प्रियतम सर्वत्र लिखूं

    वाह! बहुत सुन्दर लिखतीं है आप.
    प्रियतम प्रियतम का गुंजन हो रहा है आपकी
    इस पोस्ट से.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  6. जब भूमिका इतनी प्रभावशाली है तो पत्र कैसा होगा?

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  7. वाह बहुत गज़ब का लिखा है| धन्यवाद|

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  8. ये कुश ने हमारे डायलाग का अधन्ना चुरा लिया है। :)

    वैसे इत्ते सवाल पूछे जाते हैं कहीं प्रिय से?

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  9. Bas likhna hai.... sabkuch simatker vistrit ho jayega

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  10. देखी रचना ताज़ी ताज़ी --
    भूल गया मैं कविताबाजी |

    चर्चा मंच बढाए हिम्मत-- -
    और जिता दे हारी बाजी |

    लेखक-कवि पाठक आलोचक
    आ जाओ अब राजी-राजी |

    क्षमा करें टिपियायें आकर
    छोड़-छाड़ अपनी नाराजी ||

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  11. बहुत ही बढ़िया।
    -------
    कल 16/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  12. अब अंत में तो लिख ही दिया ..सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  13. कुछ शब्दों के अर्थ लिखूं
    कुछ अक्षर यूँही व्यर्थ लिखू... कुछ-कुछ लिखते-लिखते सब कुछ लिख दिया आपने....

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  14. वह ... क्या बात है ये पंक्तियाँ अचानक यद् आ गयी आपकी रचना पढते हुवे ..
    क्या भूलूँ क्या याद करू ...

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  15. कुछ भी लिखना बस "प्रिय" जरूर लिखना "तम" दूर हो "प्रियतम" बन ही जायेगा :)

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  16. शुक्रवार
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  17. तुम्ही कहो मैं क्या लिखूँ ...बहुत सुंदर और प्रभावशाली रचना । धन्यवाद

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  18. अब तो कुछ लिख ही डालिए.......ताकि बात आगे बढे

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  19. ऐसा लिखियेगा तो लेखनी को भी प्रियतम ढूँढना पड़ जायेगा....शब्दों के इस माणिक को साधुवाद ...

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  20. अंत में लिख ही लिया.. जो लिखा अच्छा लिखा...... सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  21. जो भी लिखे ऐसे ही सुंदर लिखे. सुंदर कविता और सुंदर अभिव्यक्ति.

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  22. जब मैं फुर्सत में होता हूँ , पढ़ता हूँ और तहेदिल से इन भावनाओं का शुक्रगुज़ार होता हूँ ....

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  23. सुन्दर प्रस्तुति.सुंदर और प्रभावशाली रचना । धन्यवाद

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