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Tuesday, May 29, 2012

"दाग अच्छे है "



चेहरे पर चेचक के दाग
जो गढ़  दिए थे किसी देव ने
यूँही खेल खेल में
मन पर पड़े दाग जब
कहा उसने प्रिय तो हो
पर प्रियतमा ना कह सकूंगा
अब चरित्र पर लगाते है लोग
अपने मनोरंजन के लिए
कहकहे लगाते है पीठ पीछे
और  तुम कहते हो
"दाग अच्छे है "

15 comments:

  1. दाग अच्छे है.................मगर ज़माना खराब है...............

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  2. दाग खुद ले लगाए नहीं होते ... देवता या तुम ... दाग तो देते ही हो और कहते हो दाग अच्छे हैं ... क्या सच में ...

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  3. मुझे तो इस बात से ही परहेज है ..कि दाग अच्छे हैं...

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  4. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  5. क्या वाकई दाग देव दिया करते है या इंसान खुद ही अपने ऊपर दाग लगाने के लिए जिम्मेदार होता है। और बड़ी आसानी से दोष मड़ दिया जाता है बेचारे देवों को क्यूंकि पता है न वो कभी कुछ नहीं कहते बस सब देखते, सुनते हुए, भी मुसकुराते रहते हैं :-) खुद की गलती माने कैसे इसलिए दाग अच्छे हैं।

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  6. बहुत सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति...

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  7. चेरे के दाग हों या मन के दाग दूसरों के मनोरंजन के लिए होते हैं और लोग कहते दाग अच्छे हैं. पीर पराई कौन समझे? मार्मिक अभिव्यक्ति, बधाई सोनल.

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  8. .बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  9. जो दाग अच्छे हैं कहते हैं कभी खुद भी तो ये दाग लेकर जीएँ!

    कन शब्दों में बहुत बड़ी बात प्रभावशाली ढंग से कहने के लिए बधाई सोनल !

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  10. इक-इक शब्द ने झकझोर कर रख दिया...... क्या कहू निशब्द हूँ......

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  11. मन के दाग तो व्यथित कर जाते हैं, अन्दर तक..

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  12. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  13. चेहरे के दाग पर तो बस नहीं ...पर मन के दाग तो दाग ही हैं ....
    सुंदर रचना सोनल जी ...!!

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  14. इन दागदारों की दुनिया में बे-दाग भी कहाँ अच्छे है |

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