अंगडाइयां कुछ और सुस्त ,जम्हाइयां लम्बी खिंचेगी क्या करे ये महीना ही ऐसा है जब सुबहें सबसे खुशनुमा और मुश्किल होनी शुरू होती है पंखों और ए सी का शोर बंद होते ही चिड़ियों की चहचहाहट साफ़ सुनाई देती है
..कमरे पे लगी दीवार घडी की टिकटिक हमारी धड़कन के साथ ताल मिलाकर अपने ज़िंदा होने का सबूत देती है कमाल है गर्मी के लम्बें महीनो में ये आवाजें कहीं गुम हो जाती है ..और अब हम जब चादर के भीतर सुकून पाते है तब ये आवाजें मुखर हो उठती है ...एक प्यारी सी आदत है सुबह आँख खुलते ही छत पर आना मानो सूरज से रेस लगा रहे हो ...हमेशा सूरज जीतता था ..आजकल हम :-) अपने इस दोस्त के साथ अब वक़्त बिताना दिन ब दिन ...दोपहर ब दोपहर और अच्छा लगेगा ....
कुछ दोस्त हर मौसम में अच्छे नहीं लगते ... तंग करते है और कुछ मौसम उनके इंतज़ार के नाम हो जाते है ...गहरी साँसे भरके ताज़ा होने के दिन है जब तक कोहरे की नमी भरी बूँदें आपके चेहरे पर ओस नहीं छिड़कती।। हवा का रुख भी बदला सा है गर्म लू की फुफकार के बाद सावन के समझाने पर कुछ सुधर सी गई थी ..पर आजकल कुछ रूखी-रूखी सी महसूस हो रही है ..ना रूकती है ना बात सुनती मेरा आँचल झटक कर चल देती है ...कभी कभी ऐसा तुनक जाती है अपने साथ पेड़ों के पत्ते भी उड़ा जाती है ..कहा था ना कुछ दोस्त हर मौसम में अच्छे नहीं लगते ...
मौसम का क्या कहें अपना शरीर भी पूरी तरह मूडी हो जाता है ...ज़रा सा गला बिगड़ा और सारा सिस्टम सर से पाँव तक हड़ताल पर आँख नाक कान सब एक सुर में .... और ये 206 हड्डियों की मशीन विश्राम मुद्रा में ... हॉस्पिटल और मेडिकल स्टोर्स का सीजन शुरू ... जो कष्ट से मरेंगे वही तो "कस्टमर" कहलायेंगे .
कुछ बेतरतीब ख्यालों को समेटते हुए आप सभी को नवरात्रि और शरद ऋतु के आगमन की शुभकामनाये ....अपना ख़याल रखिये
बरषा बिगत सरद ऋतु आई। लछिमन देखहु परम सुहाई॥
फूलें कास सकल महि छाई। जनु बरषाँ कृत प्रगट बुढ़ाई॥
जो कष्ट से मरेंगे वही तो "कस्टमर...waah :) good hai
ReplyDeleteमौसम बदल रहा है , हवाओं में ताजगी और ठंडक का समावेश है . इतने गुणों के साथ मौसम भी तो कस्टमर ढूढेगा. बचने वाले बचे.:)
ReplyDeleteगीज़र के दिन आ गए :) :) :)
ReplyDeleteजीवेत शरदः शतम् !!!!
फूलों के दिन आये
ReplyDeleteचलो,बंदनवार सजाएं.....
त्योहारों की आमद है......पर्वों की शुभकामनाएं...
सस्नेह
अनु
शरद ऋतू की एवं नवरात्री की शुभकामनाएँ....
ReplyDeleteबदलते मौसम में जो दोस्त अच्छे लगें उन्हीं के साथ रहो :) एक लाइना पञ्च बढ़िया मारे हैं.
ReplyDeleteप्रभावी प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार ||
' एंटी अलर्जिक ' लीजिये काम पर चलिए |
ReplyDeleteजो कष्ट से मरेंगे वही तो "कस्टमर" कहलायेंगे ...... सही है!!!!!
ReplyDelete:):) मौसम बदल रहा है .... बढ़िया पोस्ट
ReplyDeletemeri tippni spam men chali gayi :(:(
ReplyDeleteकुछ दोस्त हर मौसम में अच्छे नहीं लगते ...
ReplyDeleteजो कष्ट से मरेंगे वही तो "कस्टमर" कहलायेंगे .
wah bahut sundar vichar h aapke.. :)
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post_17.html
ऋतु परिवर्तन पर अच्छा लगा यह लेख ....हल्का फुल्का ...गुलाबी सर्दी सा
ReplyDeleteबदला मौसम, अधिक ख्याल...
ReplyDeleteऋतुयें भी रंग बदलने लगी हैं अब!
ReplyDeleteजो कष्ट से मरेंगे वही तो "कस्टमर" कहलायेंगे ..........
ReplyDeleteसच कहा आपने
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,
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ReplyDeleteमौसम के मिजाज़ से तालमेल बनी रहे
सुन्दर लिखा है तुम्हे भी नवरात्र की अनेकों शुभकामनाएं !!
Poetic Prose!
ReplyDeleteढ़
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ए फीलिंग कॉल्ड.....
सोनल जी आज रशिम जी के ब्लॉग से होते हुए आप तक पहुंची अभी तक जितनी रचनाये पढ़ी आपकी बहुत अच्छी लगी
ReplyDeleteआपके लेखन के लिए ढेरो शुभकामनाये ..