बवाल है बवाल है
बड़ा अजब हाल है
लापता से तंत्र में
ये कौम बेहाल है
पटरी से उतर गई
राष्ट्र के गले पड़े
राष्ट्रीय दामाद है
बड़ा अजब हाल है
लापता से तंत्र में
ये कौम बेहाल है
पटरी से उतर गई
मालामाल कर गई
मामा की रेल है
भांजा निहाल है
राष्ट्र के गले पड़े
राष्ट्रीय दामाद है
मौन है सारे देवता
खुजली है खाज है
नेता भी भीतर है
अभिनेता भी जेल में
भारतीय कारागार अब
राष्ट्रीय ससुराल है
बैट बॉल छोड़कर
गड्डियों का खेल है
खेल खिलाडियों का
अब ठिकाना जेल है
सबके बंद कान है
जनता हैरान है
समझ लो भैया ये
भारत निर्माण है
:-)
ReplyDeleteकरारा थप्पड़ है ये तो!!!
अनु
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Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
Deleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (22-05-2013) के कितनी कटुता लिखे .......हर तरफ बबाल ही बबाल --- बुधवारीय चर्चा -1252 पर भी होगी!
सादर...!
नेता भी भीतर है
ReplyDeleteअभिनेता भी जेल में
भारतीय कारागार अब
राष्ट्रीय ससुराल है
ताखे .. चुटीले ... सभी बाण तेज धार लिए हैं ... पर सटीक हैं ... सामयिक हैं ...
हाँ जी बड़ा बवाल है .
ReplyDeleteक्या बात है! वाह !
ReplyDeletegovt ne khamakhah apni sarakar ki uplabdhiyon pe paisa foonka hai...tumhari ye poem hi le letey bas... :)gud job!!
ReplyDeleteसुंदर और सटीक!
ReplyDeleteदेश बचे बस, हम तो नित नित डूब रहे हैं।
ReplyDeleteजय हो भारत निर्माण के बाद होगी इंडिया शाइनिंग :)
ReplyDeleteभारत महिमा के साक्षात् दर्शन करा दिया आपने ..बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत सटीक और सार्थक रचना !
ReplyDeleteअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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भाई वाह, करारा व्यंग.
ReplyDeleteहो रहा भारत निर्माण
bahut sateek vyangy samsaamyik ghatnaaon par!!
ReplyDeletebahut achchha prastuti.
ReplyDeletedhanyawaad
बहुत खूब! वाकई बवाल है!
ReplyDeleteha ha...jabardast :)
ReplyDeleteBawal hai bawal hai lutere malamal hai
ReplyDeleteDes ka paisa dakaarkar bante ye khushaal hai
Janta ki kaun sune , janta trast aur behal hai
kya khel, kya rail inka kya ghar kya jail.
Thode din ki charcha hai fir pehle jaisa hal hai
Bawal hai bawal hai.:-) :-) :-) .:-)
विभिन्न क्षेत्रों में चल रही राष्ट्रीय हलचल पर तीखी और सटीक रचना
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