मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
Sunday, November 8, 2009
एक बार फिर.......
जो हुई खता वो उसको भुला दो
एक बार फिर मुझको गले से लगा लो
बनी जो आसुओं की लकीरें उन्हें मिटा दो
एक बार फिर.......
कितनी तन्हाई महसूस की है तेरे खफा होने के बाद
दर्द के सैलाब में बहे है तेरे जुदा होने के बाद
ना देखो बे-रुखी से बस मुस्कुरा दो
एक बार फिर मुझको गले से लगा लो
नादानियां हो जाती है उम्र के इस मोड़ पर
कोई जाता है क्या अपने महबूब को यूँ छोड़कर
दौड़ कर लिपट जाऊं इतना तो हौसला दो
एक बार फिर मुझको गले से लगा लो
हम भी देखेंगे कितने दिन मुलाकात ना करोगे
सामने बैठोगे पर बात ना करोगे
इससे पहले मैं थक कर फना हो जाऊं
एक बार फिर मुझको गले से लगा लो
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कितनी तन्हाई महसूस की है तेरे खफा होने के बाद
ReplyDeleteदर्द के सैलाब में बहे है तेरे जुदा होने के बाद...
खूबसूरत कविता.
धन्यवाद किशोर जी
ReplyDeleteबस उम्मीद है तेरी और इंतज़ार है तेरा,
ReplyDeleteयह शिकवे-शिकायत क्या, नादां यार है तेरा.
क्या बात है, वाह
akelepan ke ehsaas mein doobi ........ lajawaab kavita...
ReplyDeleteखूबसूरत कविता.
ReplyDeleteVry Nice Post Sonal Ji..Dil Bhar Gaya..
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