पतला पतला काटों चाँद
मुझसे भी तो बाटों चाँद
ओस बन टपके आंसूं ऐसे तो ना डाटों चाँद
सिन्दूरी सुबह कजरारी रात
अपना रंग भी छाटों चाँद
करवा चौथ पे तू भी देखे
इस धरती पर कितने चाँद
बरसे जो सिक्को की माफिक
बारातों में लूटो चाँद
लटके लटके थके नहीं तुम
कभी तो नभ से टूटो चाँद
लटके लटके थके नहीं तुम
ReplyDeleteकभी तो नभ से टूटो चाँद
वाह क्या बात है। कल्पनायें भी कितनी दूर तक उडान भरती हैं। ाच्छी लगी कविता।शुभकामनायें।
kya baat hai kya baat hai ...umdaa khayaal hain sabhi ke sabhi..bas ghazal kee bandishon men kaid ho jaate to dogune behtar ho jata hai ...fir bhi maza to bahut aaya... patla patla kaato chaand ..mujhse bhi to baanto chaand...waaah.. luvd it.....
ReplyDelete@swapnil
ReplyDeletemeri nazmein abhi kachhi hai ... jyada soch kar nahi likh paati ...padhne ka jayda time nahi milta ..yahi kami dikhti hai
सोच जरूरी सबसे ज्यादा,
ReplyDeleteवो पास आपके सौ-सौ चाँद ...
ग़ज़ल तकरीबन बहर के अंदर ,
है दूर नहीं ये, कोसों चाँद,
धीरे धीरे होगी मकम्मल,
तब तक यही परोसो चाँद,
जारी रखिये .... बाकी सब खुद ब खुद ही जगह पर आ जाएगा ....
@MAJAAL
ReplyDeletebehad khoobsurat panktiyaan
बहुत खूबसूरत नज़्म ..
ReplyDeleteलटके लटके थके नहीं तुम
कभी तो नभ से टूटो चाँद
पतला पतला काटो चाँद ...बहुत सुन्दर
bahut sundar gazal .
ReplyDeletechaand se manuhaar
ReplyDeletechaand se shikayat
chaand kee chah ...... shabd shabd chaandni se
लटके लटके थके नहीं तुम
ReplyDeleteकभी तो नभ से टूटो चाँद
वाह क्या कल्पना है…………बहुत सुन्दर्।
sonal..iska ek hissa mujhe bhi chahiye..bahut sundar likha hai!
ReplyDelete@parul
ReplyDeletehome delivery hai apnki khidki pe aaj raat thik 8 baje...
cheers!
4.5/10
ReplyDeleteकमाल के ख्याल .. :)
उनकी उड़ान जारी रखिये
रचना में नयापन है
सारा माहौल माहताबी हो गया। उत्कॄष्ट रचना।
ReplyDeleteचाँद पा लेने को सब हैं आतुर।
ReplyDeleteBeautiful as always.
ReplyDeleteIt is pleasure reading your poems.
दिलचस्प सोनल......खास तौर से ये लाइने .....
ReplyDeleteपतला पतला काटों चाँद
मुझसे भी तो बाटों चाँद
and this one too....
लटके लटके थके नहीं तुम
कभी तो नभ से टूटो चाँद
सोनल जी!! नये ख़्याल से सजी ग़ज़ल(?)... थोड़ा तराश लेतीं (चाँद तराशने से फ़ुर्सत निकालकर)तो चार चाँद लग जाते... फिर भी शानदार हैं सारे अशार!!
ReplyDeleteHi..
ReplyDeleteNazm main dekha humne tere..
Harfon main tha utra chand..
Ahsaason se man ke tere..dekha humne nikhra chand..
Koi kahta daag hain usme,
koi kahta raat ka chand..
Chanda sa hi nirmal, sheetal,
paya hai 'sonal' ka ka chand..
I'm back.. Apni tippaniyon se aapko bore karne..
Sundar nazm..
Deepak..
aapki kavitao me apki soch ek dam hat ke jhalakti hai.
ReplyDeletesunder abhivyakti.
@deepak ji
ReplyDeletebahut bahut dhanyawaad
बहुत सुन्दर... सरल शब्दों में मोहक प्रस्तुति
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर
डोरोथी.
पतला पतला काटों चाँद
ReplyDeleteमुझसे भी तो बाटों चाँद
wahhh..........!! by god kya thought hai...killer...!!!
bohot bohot khoobsurat...too good
पतला पतला काटों चाँद
ReplyDeleteमुझसे भी तो बाटों चाँद
-बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.
बेहतरीन अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteप्रेमरस.कॉम
करवा चौथ पे तू भी देखे
ReplyDeleteइस धरती पर कितने चाँद
वाह ... ये तो गज़ब की रचना है ... chaand के अनेकों अंजाद पढ़े हैं .. आपका अंदाज़ भी जुदा है ... बहुत खूब ....
मिल जाये अगर आपको चाँद
ReplyDeleteथोडा टुकड़ा हमें भी दे दो चाँद ........अच्छी रचना
बेहतरीन अभिव्यक्ति...................
ReplyDeleteबेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........
ReplyDeletehttp://saaransh-ek-ant.blogspot.com
sundar kavit badhai sonalji
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