कुछ तुम पागल
कुछ मैं पागल
साथ बटोरें
चल कुछ बादल
कभी तुम अंधड़
कभी मैं बिजली
कहीं तुम गरजे
कहीं मैं तड़की
जब तुम रूठे
कुछ तुम बरसे
जब मैं बिगड़ी
कुछ मैं पिघली
तेरी बाते
जामुन जामुन
मेरी बाते
इमली इमली
दिन बीता
तुझे मनाते
रूठी रूठी
रात भी छिटकी
आओ अब तो
साथ निभाओ
कहती है
पाँव की चुटकी
दिन बीता
तुझे मनाते
रूठी रूठी
रात भी छिटकी
आओ अब तो
साथ निभाओ
कहती है
पाँव की चुटकी
@ सोनल जी..
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
बधाई.
hamesha ki tarah....kuch kash ahsas aapki pangtiyo m dikhe...swagat hai...!!
ReplyDeletemere nyi post "Dhyan ka mahatv" paden or pratikriya dain..
Jai Ho Mangalmay HO
कुछ तुम पागल
ReplyDeleteकुछ मैं पागल
यह भी ठीक है ...
अच्छी रचना.
---
मनोज खत्री
यूनिवर्सिटी का टीचर'स हॉस्टल-अंतिम भाग
झूम जाने का मन कर रहा है.. बहुत सुन्दर .. बहुत रोमांटिक ..
ReplyDeletetumharee sari baaten badi pyaari pyaari
ReplyDeleteभाई वाह !
ReplyDeleteअति सुंदर कविता........
कुछ नया सा...
बधाई दे दी जाए ..
बधाई हो.
वाह वाह ! मन के भावों का सुन्दर समन्वय्।
ReplyDeleteकोमल कोमल सी रचना है
ReplyDeleteतेरी बाते
ReplyDeleteजामुन जामुन
मेरी बाते
इमली इमली
vah vah kya baat hai
जब तुम रूठे
ReplyDeleteकुछ तुम बरसे
जब मैं बिगड़ी
कुछ मैं पिघली
....bahut sundar jitani bhi taarif ho kam hai.
वाह... जामुन-इमली का साथ होगा
ReplyDeleteतब तो जरूर खट्टा-मीठा हर लम्हा होगा...
कहानी लिखने वाले भावुक मन में जब शब्दों की सीमाओं में अभिव्यक्ति तड़फती है तब ऐसी कविता जनमती है, इस कथाकारा को मेरा सलाम. कहते हैं पद्य, गद्य की कसौटी है, धन्यवाद इस सुन्दर कविता के लिए.
ReplyDeleteजब तुम रूठे
ReplyDeleteकुछ तुम बरसे
जब मैं बिगड़ी
कुछ मैं पिघली
samayojan ka achha chitran ,badhai
ये पागल ही ऐसी रूमानी बातें कर सकते हैं अब की दुनिया में
ReplyDeleteजामुन सुनकर जामुन खाने का मन कर आया
ReplyDeleteक्योंकि ये फल डायबिटीज में लाभदायक है।
आपने जामुन की प्रशंसा में गीत लिखकर
अंगूरी पसंद करने वालों के कलेजे पर
नश्तर चला दिया होगा
ऐसा सोच रहा हूं
क्योंकि मुझे अंगूरी नहीं
भाते अंगूर हैं
पर डायबिटीज के कारण
मैं खाता जामुन हूं।
बेबस बेकसूर ब्लूलाइन बसें कोई इन बसों की सुनो
कहां कहां से चुनकर चुनकर लायी हैं आप!!सब कि सब नायाब!
ReplyDeleteअच्छी कविता है.
ReplyDeletebahut khoob.......
ReplyDeleteBy chance aaj hi imli khaai hai ....wo bhi Lal waai....aapki jamuni kavita achchi lagi
ReplyDeletewah! man moh liya aapki rachna ne. fursat me baaki bhi padhugi.
ReplyDeletechhitki chhitki si nazm, bohot bohot khoobsurat nazm hai, hamesha ki tarah
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना है... दिल को छू गई.. बहुत खूब!
ReplyDeleteतेरी बाते
ReplyDeleteजामुन जामुन
मेरी बाते
इमली इमली
वाह..! वाह..! वाह..!
तेरी बाते
ReplyDeleteजामुन जामुन
मेरी बाते
इमली इमली
वाह..! वाह..! वाह..!
सोनल जी
ReplyDeleteकुछ तुम पागल !
कुछ मैं पागल !!
अहा ! बहुत ख़ूबसूरत रूमानी रचना है …
तीसरी बार पढ़ने आया हूं , जामुन-इमली जो मन पर छा गए थे , देख रहा हूं … बहुतों को सम्मोहित कर चुके …
आओ अब तो
साथ निभाओ
कहती है
पाँव की चुटकी
मैं तो वैसे भी शुरू से आख़िर तक की पंक्ति के ज़ादू से बंधा ही हूं … बहुत ख़ूब !!
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
itni sari pyari baaten... waah
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लगा।
ReplyDeleteमोहतरमा,
ReplyDeleteइरादा क्या है?
पागलपन पर हमारा कॉपीराईट है! केस कर देंगे बता रहे हैं!
सोनल,
खूबसूरत! और क्या?
आशीष
--
नौकरी इज़ नौकरी!
sundar
ReplyDeleteआदरणीय सोनल जी
ReplyDeleteआपकी कविता गहरे अर्थ संप्रेषित करती है ...बहुत बढ़िया लिखती है आप ...अपने भावों को यूँ ही अभिव्यक्ति देते रहें ...और ब्लॉग जगत को समृद्ध करते रहें .......
waah! kitni pyaari si rachna ban padi hai... jaamun ki mithaaas aur imli ki khattas dono kaaa mazaa ek saath de gayi...
ReplyDelete