Jaisalmer |
कुछ लम्हे चुराकर
रेत में दबाने जा रही हूँ
रेत में डूबकर
ज़िन्दगी पाने जा रही हूँ
बवंडर यादों का
समंदर वादों का
सुनहरी शाम को
गुनगुनाने जा रही हूँ
हवा ने बुलाया है
नया रुख दिखाया है
सीमेंट में घुट ना जाए
सपनो को धुप
दिखाने जा रही हूँ
सुना है तन्हाई भी
गीत गाती है वहां
समय की घडी
रुक जाती है वहां
दफ़न होकर भी
मुक्त नहीं होते
उन सायों में
समाने जा रही हूँ
मैं आ रही हूँ
बहुत ही सुन्दर रचना.
ReplyDeletebhavon se bhri sundar kavita.
ReplyDeleteबहुत खूब्…………भावभीनी रचना।
ReplyDeleteसोनल जी, बहुत गहरी बात कह दी आपने। बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
ReplyDeleteदफन होकर भी
ReplyDeleteमुक्त नहीं होते
उन सायों में
समाने जा रही हूं...
सुंदर रचना।
बहुत गहरी बात कह दी आपने।
ReplyDeleteकुछ लम्हे चुराकर
ReplyDeleteरेत में दबाने जा रही हूँ ... ek paudha laga dena amaltaas ka ... un lamhon ke lambe kad ke liye
ise apne parichay aur tasweer ke saath bhejiye rasprabha@gmail.com per
ReplyDeleteati sundar rachana
ReplyDeleteसुन्दर.........
ReplyDeletevery nice poem...loved it...
ReplyDeletekeep writing and visiting my posts too...
अपने सायों में सिमट जाने का भाव बड़ा सुकून भरा होता है।
ReplyDeleteWow wht a thought
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर,कविता। कुछ लम्हे चुराकर रेत में दबाने की बात--बहुत सुन्दर्।
पैमाने में व्यग्र होते सोडे के बुलबुले!
बवंडर यादों का
ReplyDeleteसमंदर वादों का
सुनहरी शाम को
गुनगुनाने जा रही हूँ
well composed, truely said
congrate
कुछ लम्हे चुराकर रेत में दबाने जा रही हूं ...
ReplyDeleteवाह !
ji swagat h....!!
ReplyDeletebahut gahari baat...sundar rachna.
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteसुन्दर
समय की घडी
ReplyDeleteरुक जाती है वहां
दफ़न होकर भी
मुक्त नहीं होते
अंतर्मन को प्रभावित करती पंक्तियाँ ....सुंदर पोस्ट ..शुभकामनायें
दफ़न होकर भी
ReplyDeleteमुक्त नहीं होते
उन सायों में
समाने जा रही हूँ
...प्रभावित करती हैं ये पंक्तियाँ...सुन्दर कविता..बधाई.
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'शब्द-शिखर' पर पढ़िए भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर के बारे में...
"सीमेंट में घुट ना जाए
ReplyDeleteसपनो को धूप
दिखाने जा रही हूँ "
अच्छा प्रयोग है.
aapne bahut khubsurti se aane ka wada to kar diya, kab aa rahi hai aap.
ReplyDeleteBahut khubsurat .................
ReplyDeletekya khoob likha hai ji
ReplyDeletepadhkar man na jaane kaha chala gaya
bahut sundar rachna
badhayi
vijay
kavitao ke man se ...
pls visit my blog - poemsofvijay.blogspot.com