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Saturday, November 5, 2011

तुम थोड़ी कम खूबसूरत नहीं लग सकती



क्या तुम थोड़ी कम खूबसूरत नहीं लग सकती ...उसने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा ..कह तो गया फिर मुस्कुरा कर बोला इसमें तुम्हारा क्या दोष इतनी सादगी में भी गज़ब ढाती हो, शायद तुम्हारे जैसे रूप को ज़माने से बचने के लिए परदे का चलन हुआ होगा ... तुम पर शायरी सवार हो रही है ये लो पेन और लिखना शुरू कर दो ..मुझे नहीं समझ आती तुम्हारी सपनो की बातें वो खिलखिला दी .
सच में वैसे तो हर माशूक को अपना महबूब ज़माने से प्यारा लगता है पर वो थी ही पूरा चाँद उसके आते ही आसपास की सारी लडकिया तारों सी लगती और वो उनमें एक दम अलग से जगमगाती हुई .... एक दम धुली -धुली एक दम ताज़ा , पर उसका रुझान सिर्फ इस नाचीज़ शायर में था ..शायरी में बिलकुल नहीं , वो भविष्य की बातें करती और ये सपनो की ,ये कहती सपने बंद आँखों से देखे जाते है और उन्हें पूरा करने के लिए आँखे खोलनी पड़ती है .... अब इसे फितूर कहे या इश्क का सुरूर उसको ना समाज में आना था और ना आया ... दिन ,महीने फिर साल ...
आज वो दुल्हन बनी है सर से पाँव तक सजी हुई ...पूनम का चाँद जिससे निगाह चाह कर भी नहीं हट पा रही थी वो तोहफा लेकर स्टेज पर चढ़ा कुछ तो चुभा दिल में ..पर लबों पर मुस्कराहट उभर आई ..एक साथ चले थे दोनों पर मंजिल अलग अलग थी तो जुदा हो गए .... धीरे से उसके पास जाकर फुसफुसा उठा
"क्या तुम थोड़ी कम खूबसूरत नहीं लग सकती " ..और थोड़ी देर के लिए दोनों की आँखे धुंधली हुई और बचे हुए ख्वाब आँखे छोड़कर बह चले .....



27 comments:

  1. मासूमियत और प्यार भरा प्यारा सा लेख किंतुअ अंत में विरह की चिर वेदना ! बहुत अच्छा लगा ।

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  2. .और थोड़ी देर के लिए दोनों की आँखे धुंधली हुई और बचे हुए ख्वाब आँखे छोड़कर बह चले ....……………अब इसके बाद कोई क्या कहे?

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  3. और थोड़ी देर के लिए दोनों की आँखे धुंधली हुई और बचे हुए ख्वाब आँखे छोड़कर बह चले ....

    मजिल अलग थीं ..राहें भी जुदा हो गयीं ..पर मन उसी मोड़ पर खड़ा है .. सुन्दर भाव लिए हुए अच्छी प्रस्तुति

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  4. 'खुश रहे तू सदा,यह दुआ है मेरी'

    बहुत भावुक है आपकी प्रस्तुति.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा, सोनल जी.

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  5. ठंडी हवा के झोंके सा..

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  6. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 07-11-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  7. cool cool...

    a very common feature, fact and fate of every "love-story"

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  8. आखिरी पंक्ति के बाद कोई क्या कहे..
    बढ़िया जी बहुत बढ़िया.

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  9. बहुत अच्छा लेख,भावपूर्ण !

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  10. ek dard me doobi ....
    bahut sunder abhivyakti...

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  11. टीस में छोड़ जाती...
    सुन्दर अभिव्यक्ति...
    सादर....

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  12. सुन्दर प्रयास सरहनीय है , शुक्रिया जी

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  13. सोनल जी यह आलेख तो बहुत काव्यमयी होगया. बहुत भावनात्मक और संवेदनशील.

    बधाई इस सुंदर प्रस्तुति के लिये.

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  14. वाह ... क्या नाजुक सी अदा से कहा होगा उसने ... हर बार ...

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  15. बहुत भावनात्मक!
    सुन्दर रचना|

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  16. bahut he badhiya bhavnatmak prastuti.... sach hee to hai antim line ke baat koi kya kahe :-)

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  17. Bahut sundar rachna.. achha laga yaha aake !..

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  18. बेचारा शायर, बेचारी ग़ज़ल! :(

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  19. कुछ याद आ गया .... ऐसा लगा की जो घटना आज से ६ महीने पहेले देखी वो आज पढ़ रहा हु. बहुत खूब ..

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