सच में वैसे तो हर माशूक को अपना महबूब ज़माने से प्यारा लगता है पर वो थी ही पूरा चाँद उसके आते ही आसपास की सारी लडकिया तारों सी लगती और वो उनमें एक दम अलग से जगमगाती हुई .... एक दम धुली -धुली एक दम ताज़ा , पर उसका रुझान सिर्फ इस नाचीज़ शायर में था ..शायरी में बिलकुल नहीं , वो भविष्य की बातें करती और ये सपनो की ,ये कहती सपने बंद आँखों से देखे जाते है और उन्हें पूरा करने के लिए आँखे खोलनी पड़ती है .... अब इसे फितूर कहे या इश्क का सुरूर उसको ना समाज में आना था और ना आया ... दिन ,महीने फिर साल ...
आज वो दुल्हन बनी है सर से पाँव तक सजी हुई ...पूनम का चाँद जिससे निगाह चाह कर भी नहीं हट पा रही थी वो तोहफा लेकर स्टेज पर चढ़ा कुछ तो चुभा दिल में ..पर लबों पर मुस्कराहट उभर आई ..एक साथ चले थे दोनों पर मंजिल अलग अलग थी तो जुदा हो गए .... धीरे से उसके पास जाकर फुसफुसा उठा "क्या तुम थोड़ी कम खूबसूरत नहीं लग सकती " ..और थोड़ी देर के लिए दोनों की आँखे धुंधली हुई और बचे हुए ख्वाब आँखे छोड़कर बह चले .....
halke se pyaar ... pratyaksh mein judaai
ReplyDeleteमासूमियत और प्यार भरा प्यारा सा लेख किंतुअ अंत में विरह की चिर वेदना ! बहुत अच्छा लगा ।
ReplyDelete.और थोड़ी देर के लिए दोनों की आँखे धुंधली हुई और बचे हुए ख्वाब आँखे छोड़कर बह चले ....……………अब इसके बाद कोई क्या कहे?
ReplyDeleteऔर थोड़ी देर के लिए दोनों की आँखे धुंधली हुई और बचे हुए ख्वाब आँखे छोड़कर बह चले ....
ReplyDeleteमजिल अलग थीं ..राहें भी जुदा हो गयीं ..पर मन उसी मोड़ पर खड़ा है .. सुन्दर भाव लिए हुए अच्छी प्रस्तुति
वाह ..
ReplyDeletethori kam khubsurat lagti to kya ho jata ???:)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDelete'खुश रहे तू सदा,यह दुआ है मेरी'
ReplyDeleteबहुत भावुक है आपकी प्रस्तुति.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा, सोनल जी.
ठंडी हवा के झोंके सा..
ReplyDelete:)
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 07-11-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeletecool cool...
ReplyDeletea very common feature, fact and fate of every "love-story"
bhaut khub...
ReplyDeletelove it......
ReplyDeleteआखिरी पंक्ति के बाद कोई क्या कहे..
ReplyDeleteबढ़िया जी बहुत बढ़िया.
बहुत अच्छा लेख,भावपूर्ण !
ReplyDeleteek dard me doobi ....
ReplyDeletebahut sunder abhivyakti...
टीस में छोड़ जाती...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति...
सादर....
सुन्दर प्रयास सरहनीय है , शुक्रिया जी
ReplyDeleteसोनल जी यह आलेख तो बहुत काव्यमयी होगया. बहुत भावनात्मक और संवेदनशील.
ReplyDeleteबधाई इस सुंदर प्रस्तुति के लिये.
वाह ... क्या नाजुक सी अदा से कहा होगा उसने ... हर बार ...
ReplyDeleteबहुत भावनात्मक!
ReplyDeleteसुन्दर रचना|
bahut he badhiya bhavnatmak prastuti.... sach hee to hai antim line ke baat koi kya kahe :-)
ReplyDeleteBahut sundar rachna.. achha laga yaha aake !..
ReplyDeletesachi karun vedna
ReplyDeleteबेचारा शायर, बेचारी ग़ज़ल! :(
ReplyDeleteकुछ याद आ गया .... ऐसा लगा की जो घटना आज से ६ महीने पहेले देखी वो आज पढ़ रहा हु. बहुत खूब ..
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