लिखूं क्या तुम्हारे बारे में ,कोई इतना बे-वफ़ा कैसे हो सकता है ..कितना कोसती हूँ तुम्हे जानकर शायद किसी पल नाराज़ होकर कह उठोगे "कुछ तो मजबूरिया रही होंगी ,कोई यूँही तो बे-वफ़ा नहीं होता ".. और मैं कहूँगी कम से कम शेर तो अपना use किया करो ..
पर तुम तो दुनिया की भीड़ में इस तरह गायब हुए जैसे कभी मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा थे ही नहीं ...माना मैंने भी तम्हे काट फेंका एक पल में पर तुम नाखून तो नहीं थे ना ..के ना दर्द होता ना अफ़सोस ..जहाँ से काटा था तुमको वो हिस्सा आज भी दुःख रहा है ..नहीं जानती थी ..एक पल का आवेश ज़िन्दगी भर का दर्द दे जाएगा
..सोचा था तुम्हारे बिना जीना आसान रहेगा ..आखिर ऐसा क्या है तुममें के तुम्हारे बिना मैं रह ना सकूं ..पर हर सुबह मुझे मेरे खालीपन का एहसास दिलाती है ..... माना मैं गलत थी पर क्या इतनी गलत के मेरी गलती तुम माफ़ ना कर पाओ..हर बार भ्रम होता है तुम मुझे देख रहे हो ...पर तुम कहीं नहीं होते .... सिवा मेरे दिल के ..
ये आग मैंने खुद लगाईं और मैं ही सुलग रही हूँ राख होने के इंतज़ार में पर पता नहीं कैसी लकड़ी है ये देह ये आत्मा सालो से सुलग रही है ..तुम्हारी दूरी की आंच ना बुझ रही है ना कम हो रही है ,
अक्सर लगता है तुम शायद अपनी दुनिया बसा चुके होगे ..प्यारी सी बीवी ..दो बच्चे सब होंगे तुम्हारे पास ...पर दिल डरता है तुम्हारे सुकूं से कहीं एक उम्मीद आज भी बाकी है के तुम भी मेरा इंतज़ार कर रहे होगे ..ये अहम् की दिवार इतनी बढ़ गई के मैं इस पार रह गई और तुम शायद उस पार ...लोग कहते है दुनिया बहुत छोटी है ...अक्सर लोग मोड़ों पर मिल जाया करते है पर तुम किस मोड़ पर रुक गए जहाँ से मैं तुम्हे ना देख पा रही हूँ ना ढूंढ पा रही हूँ
आखिर मुझमें ऐसा भी तो कुछ नहीं जो तुम लौट कर आ जाते या फिर जाते ही ना.......
पर तुम तो दुनिया की भीड़ में इस तरह गायब हुए जैसे कभी मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा थे ही नहीं ...माना मैंने भी तम्हे काट फेंका एक पल में पर तुम नाखून तो नहीं थे ना ..के ना दर्द होता ना अफ़सोस ..जहाँ से काटा था तुमको वो हिस्सा आज भी दुःख रहा है ..नहीं जानती थी ..एक पल का आवेश ज़िन्दगी भर का दर्द दे जाएगा
..सोचा था तुम्हारे बिना जीना आसान रहेगा ..आखिर ऐसा क्या है तुममें के तुम्हारे बिना मैं रह ना सकूं ..पर हर सुबह मुझे मेरे खालीपन का एहसास दिलाती है ..... माना मैं गलत थी पर क्या इतनी गलत के मेरी गलती तुम माफ़ ना कर पाओ..हर बार भ्रम होता है तुम मुझे देख रहे हो ...पर तुम कहीं नहीं होते .... सिवा मेरे दिल के ..
ये आग मैंने खुद लगाईं और मैं ही सुलग रही हूँ राख होने के इंतज़ार में पर पता नहीं कैसी लकड़ी है ये देह ये आत्मा सालो से सुलग रही है ..तुम्हारी दूरी की आंच ना बुझ रही है ना कम हो रही है ,
अक्सर लगता है तुम शायद अपनी दुनिया बसा चुके होगे ..प्यारी सी बीवी ..दो बच्चे सब होंगे तुम्हारे पास ...पर दिल डरता है तुम्हारे सुकूं से कहीं एक उम्मीद आज भी बाकी है के तुम भी मेरा इंतज़ार कर रहे होगे ..ये अहम् की दिवार इतनी बढ़ गई के मैं इस पार रह गई और तुम शायद उस पार ...लोग कहते है दुनिया बहुत छोटी है ...अक्सर लोग मोड़ों पर मिल जाया करते है पर तुम किस मोड़ पर रुक गए जहाँ से मैं तुम्हे ना देख पा रही हूँ ना ढूंढ पा रही हूँ
आखिर मुझमें ऐसा भी तो कुछ नहीं जो तुम लौट कर आ जाते या फिर जाते ही ना.......
आखिर मुझमें ऐसा भी तो कुछ नहीं जो तुम लौट कर आ जाते या फिर जाते ही ना....... jab dard badhta hai to aadmi khud mein kami batata hai, per aisa hota nahi- dard apni jagah hai , samnewale ki soch apni jagah !
ReplyDelete:) एक एक शब्द दर्द मे भीगा हुआ, हर पंक्ति से लहू सा टपकता हुआ, दिल के दर्द को दिल तक पहुचाते हुए, और आप हमेशा की ही तरह चंद आंसू आँखों मे बुलाते हुए ..अपने विशेष अंदाज मे थोड़े शब्दों इतना कह गई है की अब कुछ कहने और सुनने की जगह ही नहीं बची
ReplyDeleteकिनारों के इन्तजार में लहरें अपना जीवन व्यर्थ नहीं करती हैं।
ReplyDeleteक्या कहूं और कहने को क्या रह गया???
ReplyDelete:( :( :(
बेहद खुबसूरत लिखा है
ReplyDeleteBahut khub.........................
ReplyDeleteDil ka dard shabdo me kaise bayan kiya jaye ye koi apse seekhe, Magar kuch logo ko hi ye ada aati hai aur baaki log apne gamo ko seene me dabaye hue hi duniya se cooch kae jate hai.
Bahuthi khubsurat lekh hai
बहुत मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteSuna jo dard ka kissa..
ReplyDeleteHua hai dard seene main..
Bina uske, use bhi to..
Rahega dard jeene main...
.................
Agar wo pyaar karta to...
Kabhi na chhodkar jata...
Bhale sathi galat hota..
Nahi mukh mod kar jata..
Aham deewar na banta..
Agar jo pyaar hota to..
Jo hoti shiddat-e-ulfat..
Na dil ko tod kar jata...
Khatak par chonkte na wo...
Koi dar par jo aaye to..
Jo rishta aatma ka wo..
Jo khud se jod kar jata...
Use na thi muhabbat yaar ki...
Na pyaar thoda tha..
Gaya ek roz chahe wo....
To bneshaq lautkar aata....
................
Deepak Shukla..
दिल को छू भी लिया और दिल के आर पार भी निकल गया |
ReplyDelete:(:(
ReplyDeleteaah ! dard bhari aur dil me utarnewale alfazo se bhari ye post ...
ReplyDeleteYe dairy ke panne hain ya jeeta jaagta jeevan ... Ufff .... Kitna gahre mein doob ke likha hai .... Simply speechless ...
ReplyDeleteएक पुरानी कहावत है..
ReplyDeleteकोइ तुम्हें छोड़कर चला जाए तो अफ़सोस मत करो..
अगर वो तुम्हारा था तो लौटकर ज़रूर आएगा..
और अगर नहीं लौटा, तो वो तुम्हारा कभी था ही नहीं..
kya kahun... Dard hai ya shabd samajh nahi aa raha hai...
ReplyDeleteअगर ये जीवन की सच्चाई है तो ...दुखद है ..क्या कहूँ समझ नहीं आरहा
ReplyDeleteभावनाओं का एक सुन्दर और प्रभावशाली कोलाज। वैसा ही गीत। ज़िन्दगी सपाट भी है, उलझट्टा भी और गोल भी। पुराने लोग ठीक थे, जो समझ न आये वह पूर्वजन्म के कर्म, संज्ञानात्मक मतभेद की कोई गुंजाइश ही नहीं। सलिल जी की बात में जोड़ना चाहूंगा, जो अपना था वह तो कभी गया ही नहीं।
ReplyDeletenice
ReplyDeletebehad acchi lagi rachna.. dard mehsoos hua.. :)
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