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Thursday, January 12, 2012

उदास है कोई

सुर्ख  मौसम में भी उदास है कोई
होश गुम है बदहवास है कोई
आसुओं  से जल गए रुखसार जिसके
अपने साए को भी  भी नागवार है कोई
आहटों को तौलता रहता है
सन्नाटे को तोड़ता रहता है
सडको पर दौड़ता रहता है
मानो गुनाहगार है कोई

23 comments:

  1. सुन्दर कविता... बहुत सुन्दर...

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  2. गर रहे यकीं खुद पर.तो जल्द ही फिर मुस्काएगा कोई.

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  3. गर रहे यकीं खुद पर.तो जल्द ही फिर मुस्काएगा कोई.

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  4. सन्नाटे को तोड़ता रहता है
    सडको पर दौड़ता रहता है ... आगे मुस्कान है

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  5. आपको लोहड़ी की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
    ----------------------------
    कल 13/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  6. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  7. उदासी का क्या सबब है ? मौसम फिर मुस्कान दे जायेगा

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  8. Kai baar doodh ka jala chaach ko Bhi foonk Maar ke peeta hai ...

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  9. बेजोड़ भावाभियक्ति....

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  10. सुन्दर और स्पष्ट भाव
    सार्थक कविता

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  11. वाह...
    बहुत सुन्दर...

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  12. बहुत सुन्दर ..

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  13. अज़ब कशमकश है, अपने साये से नागवार है जिन्‍दगी; वाह.

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  14. आहटों को तौलता रहता है
    सन्नाटे को तोड़ता रहता है ...
    kya gajab ki line likhi gai he jo sidhe dil ko chedti he...

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  15. वाह ! नज़्म का ये टुकड़ा बेहतरीन लगा।

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  16. बहुत ही सटीक और भावपूर्ण नज़्म...धन्यवाद।

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  17. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना !

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  18. छोटी सी मगर अच्छी सी कविता

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  19. sundar kavita...gaagr me saagar si....bdhaai aap ko

    gau raksha hetu nirmit blog par aap saadr aamntrit hai....pdhaariyega..


    http://gauvanshrakshamanch.blogspot.com/

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