सुर्ख मौसम में भी उदास है कोई
होश गुम है बदहवास है कोई
आसुओं से जल गए रुखसार जिसके
अपने साए को भी भी नागवार है कोई
आहटों को तौलता रहता है
सन्नाटे को तोड़ता रहता है
सडको पर दौड़ता रहता है
मानो गुनाहगार है कोई
होश गुम है बदहवास है कोई
आसुओं से जल गए रुखसार जिसके
अपने साए को भी भी नागवार है कोई
आहटों को तौलता रहता है
सन्नाटे को तोड़ता रहता है
सडको पर दौड़ता रहता है
मानो गुनाहगार है कोई
सुन्दर कविता... बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteगर रहे यकीं खुद पर.तो जल्द ही फिर मुस्काएगा कोई.
ReplyDeleteगर रहे यकीं खुद पर.तो जल्द ही फिर मुस्काएगा कोई.
ReplyDeleteसन्नाटे को तोड़ता रहता है
ReplyDeleteसडको पर दौड़ता रहता है ... आगे मुस्कान है
यह 'कोई' है कौन ... ???
ReplyDeleteख़ूब..!
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteसादर
आपको लोहड़ी की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ReplyDelete----------------------------
कल 13/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
यह उदासी मिटे अब तो।
ReplyDeleteउदासी का क्या सबब है ? मौसम फिर मुस्कान दे जायेगा
ReplyDeleteKai baar doodh ka jala chaach ko Bhi foonk Maar ke peeta hai ...
ReplyDeleteबेजोड़ भावाभियक्ति....
ReplyDeleteसुन्दर और स्पष्ट भाव
ReplyDeleteसार्थक कविता
वाह...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteअज़ब कशमकश है, अपने साये से नागवार है जिन्दगी; वाह.
ReplyDeleteआहटों को तौलता रहता है
ReplyDeleteसन्नाटे को तोड़ता रहता है ...
kya gajab ki line likhi gai he jo sidhe dil ko chedti he...
वाह ! नज़्म का ये टुकड़ा बेहतरीन लगा।
ReplyDeleteबहुत ही सटीक और भावपूर्ण नज़्म...धन्यवाद।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना !
ReplyDeleteछोटी सी मगर अच्छी सी कविता
ReplyDeletesundar kavita...gaagr me saagar si....bdhaai aap ko
ReplyDeletegau raksha hetu nirmit blog par aap saadr aamntrit hai....pdhaariyega..
http://gauvanshrakshamanch.blogspot.com/