(1)
तुम मुझे उम्मीद ला दो
है वही कम ज़िन्दगी में
आँखे मूंदे बैठे है कब से
अँधेरे या तेज़ रौशनी में
पड़ गए गहरे स्याह से
ख्वाब मेरे प्यार वाले
जमा किये पल खोले जब भी
राख निकली पोटली में
तुम मुझे उम्मीद ला दो ..
(2)
तुम मुझे उम्मीद ला दो
है वही कम ज़िन्दगी में
आँखे मूंदे बैठे है कब से
अँधेरे या तेज़ रौशनी में
पड़ गए गहरे स्याह से
ख्वाब मेरे प्यार वाले
जमा किये पल खोले जब भी
राख निकली पोटली में
तुम मुझे उम्मीद ला दो ..
(2)
उम्मीद की नयी किरण
ReplyDeleteमन में सन्नाटा सडको सा
ReplyDeleteउदासी में ना उम्मीद दिखे
तब ढलती शाम की उगती धूप
एहसास दिलाने आती है
achchi shaeri ke liye shukriya
वाह दोनों ही रचनाएं बहुत सुंदर हैं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहर रात की सुबह होती ही है..
ReplyDeleteपड़ गए गहरे स्याह से
ReplyDeleteख्वाब मेरे प्यार वाले
जमा किये पल खोले जब भी
राख निकली पोटली में
....बहुत खूब...दोनों ही रचनाएँ लाज़वाब...
mann chhoo liya....
ReplyDeleteजमा किये पल खोले जब भी
ReplyDeleteराख निकली पोटली में
तुम मुझे उम्मीद ला दो ...behatarin
waah ...bahut khub likha hai aapne ....
ReplyDeleteBahut khoob ..
ReplyDelete//पड़ गए गहरे स्याह से
ख्वाब मेरे प्यार वाले
जमा किये पल खोले जब भी
राख निकली पोटली में
waah..
Kabhi waq mile to mere blog par bhi aaiyega.. :)
http://palchhin-aditya.blogspot.com/
कितनी भी अंधियारी निशा रहे
ReplyDeleteपर सुबह जरूर आती ह……………इसी उम्मीद पर तो दुनिया कायम है।
बहुत खूब......
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी क्षणिकाएं ...तुम मुझे उम्मीद ला दो ..
ReplyDeleteसार्थक प्रयास है आपका
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
आस की सुबह ज़रूर आयेगी
ReplyDeleteएक बेचारी उम्मीद और उस उम्मीद में उनकी इतनी बेरुखी ,
ReplyDeleteउम्मीद को भी आघात लगता होगा.....
कितनी भी अंधियारी निशा रहे
ReplyDeleteपर सुबह जरूर आती है
..sach..."every dark cloud has silver shine"
..sundar prastuti..
सुबह ज़रूर आयेगी/सुबह का इंतज़ार कर!!
ReplyDeleteSach kaha hai ... Har Rabat ke baad subah jaroor ati hai ...umeed baki rahni chahiye ...
ReplyDeleteBEHTAR KAVITA
ReplyDeleteउम्मीद जगाती कविता...
ReplyDeleteवाह सोनल जी ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचनाएँ..
उम्मीद जगाती कविता.बहुत सुन्दर रचना..
ReplyDeleteकितनी भी अंधियारी निशा रहे
पर सुबह जरूर आती है
"उम्मीद की नयी किरण"