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Friday, May 4, 2012

अधूरी

कुछ अधपढ़ी किताबें ,कुछ अधूरे लिखे ख़त , कुछ बाकी बचे कामों की लिस्ट के साथ आँख बंद करके लेटी मैं ....सोच रही हूँ आज किसी अधूरे सपने को पूरा कर लूं ..पर ये अधूरापन मुझे कभी पूरा होने नहीं देगा ,याद नहीं आता कभी कोई काम अंजाम तक पहुँचाया हो ..किताबों के मुड़े पन्ने इस बात की गवाही देते नज़र आते है के दुबारा उन्हें खोला नहीं गया है, एक पात्र के साथ दूसरा पात्र गड्ड मड्ड,  सब खुला दरबार कभी शरत चन्द्र की कहानियों में शिवानी की नायिकाएं चली आती और बंगाल से एक क्षण में भुवाली पहुंचा देती ...तो प्रेमचंद्र के हीरा मोती ..यहाँ वहा टहलते दिखाई पड़ते ...इन दिवास्वप्नो में कभी किसी नाटक का कोई पात्र अपने मंगलसूत्र की कसम खाता लगता ...और अचानक मेरा माथा झन्ना उठता .
मैं ऊन की लच्छी सी उलझ गई हूँ सिरा ना-मालूम कहाँ है ..और ना इतना संयम के इत्मीनान से सिरा खोज लूं ,
सच तो कहता था वो , ये अधूरापन ,confusion तुम्हारी परेशानी नहीं है तुम्हारा शौक है ,तुम्हे पसंद है ऐसे ही रहना ..तुमको सीधा सहज कुछ भी भाता ही कहाँ है ...तुम चीज़ों को अधूरा इसलिए छोडती हो के उसमें उलझी रहो ..और साथ में जो हो उसे भी उलझा लो के वो तुम्हारे अलावा कुछ ना सोच पाए .छोड़कर चला गया वो उसे सब पूरा चाहिए था ,मैं मेरा प्यार मेरा समय और मेरा समर्पण ...पर मैं राज़ी नहीं हुई इतनी आसानी से अपना अधूरापन छोड़ने के लिए बस वो चला गया मुझे इस अधूरेपन के साथ , पहली बार उसके जाने के बाद महसूस हुआ शायद वही है जो मेरी इस अंतहीन यात्रा को एक सुखद अंत दे सकता है ...उसके साथ मैं पूरी होना चाहती हूँ , मोबाइल में नंबर है ..पर उंगलियाँ कई बार अधूरा नंबर मिलाकर रुक चुकी है ..... कितना बिगड़ के पूछा था उसने , क्या तुम नहीं चाहती मैं तुम्हारे साथ रहूँ ...उफ़ कितने मासूम से लगे थे तुम और दिल किया तुम्हे गले लगा लूं ...पर ठहर गई  आज अचानक  मेरे भीतर उभर आता है तुम्हारा अक्स मैं किसी जादू से बंधी ....अधूरे ख़त फाड़ती हूँ ,अधपढ़ी  किताबें शेल्फ में लगाती हूँ , इस बार नंबर पूरा मिलाती हूँ .. सुनो मुझसे मिल सकते हो अभी .... बस दस मिनट में ....

18 comments:

  1. ohhh....padhte padhte rongate khade ho gaye...jane kya kuchh yaad aa gaya

    thank u fr sharing d pain, this too shall pass

    Love

    Naaz

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  2. कहाँ पूरा होता है कोई अधूरापन !

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  3. Behad khubsurat likha hain aapne sonal ji.. asha karte hain... mulakaat hui hogi aur silsile fir jud gaye honge..

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  4. fir se samay bhi adhura sa........ itna kam samay!! :-D
    behtareen abhivyakti!

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  5. इस बार बात पूरी ही कर लेना .... पर फिर भी कुछ न कुछ तो छूट ही जाएगा ... मन के द्वंद्व को बखूबी अभिव्यक्त किया है

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  6. उफ़ |
    सुन्दर प्रस्तुति ।

    आभार ।।

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  7. पूरे और अधूरेपन की कशमकश का शानदार चित्रण

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  8. बस दस मिनिट और........................
    फिर कुछ अधूरा नहीं रहेगा..................

    पूर्णता भी मिलेगी और उलझनें भी सुलझेंगी.....

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  9. पूर्णता की चाह क्यों है ..
    बहुत सुन्दर

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  10. गहन प्रस्तुति

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  11. पढते पढते अचानक खो गया कुछ देर कों ... बहुत ही लाजवाब ... अधूरेपन की मुकम्मल तलाश तो रहती ही है ...

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  12. वाकई लाजबाव ...
    शुभकामनायें आपको !

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  13. सबको अपने निष्कर्ष मिलें...

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  14. भावो की अभिवयक्ति......

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  15. तुम्हारा लेखन सदा ही भाता है । बहुत सुंदर !

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  16. पढते पढते अजीब सी उलझन में खो गई. सच है कभी कभी लगता है अधूरा रहना शौक ही तो है कि जो साथ में है वो भी उलझा रहे हमारे साथ और...
    ये अधूरापन एक उम्मीद की तरह है जीवित रहने के लिए और सम्पूर्ण होने की संभावना है भले उम्र बीत जाए... पर इस बार इतनी शक्ति कि नंबर पूरा मिला लें और कह दें कि आ जाओ अभी के अभी... ये ख्वाब भी अधूरा ही... बहुत उम्दा लेखन, बधाई सोनल.

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  17. तुम्हारी परेशानी नहीं है तुम्हारा शौक है ,तुम्हे पसंद है ऐसे ही रहना ..तुमको सीधा सहज कुछ भी भाता ही कहाँ है ...तुम चीज़ों को अधूरा इसलिए छोडती हो के उसमें उलझी रहो ..और साथ में जो हो उसे भी उलझा लो के वो तुम्हारे अलावा कुछ ना सोच पाए .

    ये शब्द तो मानो मेरे लिए लिखे गए हों :(

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