मुझे टूटा ही रहने दो
मुझे बिखरा ही रहने दो
संवर कर क्या करूंगी मैं
मुझे उजड़ा ही रहने दो
नहीं मेरे लिए दुनिया
ना दुनिया के मैं काबिल हूँ
जिला कर क्या करोगे तुम
मुझे मुर्दा ही रहने दो
मैं हो जाऊं जो खँडहर
तो बेहतर ही समझना तुम
सजेगी ना कभी महफ़िल
मुझे वीरां ही रहने दो
आंसू की चंद बूँदें है
गवाह मेरी तबाही की
यकीन क्योंकर करेगा वो
मुझे झूठा ही रहने दो
अरे....क्या है ये...???.पूरी कविता से मेरी असहमति दर्ज की जाये :(.
ReplyDeleteमेरी भी...........................
Deleteकल की संवेदना गहरे तक पैठ गई है। उसी का प्रभाव है। नैराश्य भाव जगाती कविता!
ReplyDeleteआंसू की चंद बूँदें है
ReplyDeleteगवाह मेरी तबाही की
यकीन क्योंकर करेगा वो
मुझे झूठा ही रहने दो ... भावमय करते शब्द
mujhe to lagta hai bass kisi baat ke gusse ko ya kisi bematlab ke dard ko shabd ka jama pahna diya gaya...:)
ReplyDelete.
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sonal rastogi jaise vyaktitva par ya uske pen se nikli rachnao se mel nahi kha rahi....!
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aage kuchh bhi likho kavi to us sse juda hi hota hai!
उम्दा काव्य चित्र,
ReplyDeleteहमारा सजना भी क्या सजना
आएंगे सजना तो होगा सजना
ऐसे ही पूर्णिमा को एक महाकाव्य रचा गया रामगढ में,
मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से।
सूरत प्यारी, प्यारी कलाकारी....
ReplyDeleteरस से भरी हैं सोनल..
इन्हें मीठा ही रहने दो.....
:-)
कभी कभी गुस्सा यूँ भी बह निकलता है...
ReplyDeleteझूठा ही रहने दो ..... मुझे इत्मीनान से रहने दो
ReplyDeleteगज़ब लिखती हो सोनल, यूँ ही जीने दो झूठा ही रहने दो...
ReplyDeleteआंसू की चंद बूँदें है
गवाह मेरी तबाही की
यकीन क्योंकर करेगा वो
मुझे झूठा ही रहने दो
Nirash dil Nikli sada ....man ke bhav kyon aise ho jaate hai kabhi kabhi ... Pata nahi chal pata ...
ReplyDeleteयथास्थिति की कामना... पर संभव नहीं है
ReplyDeleteकमाल का लिखा सोनल ...बहुत खूब।
ReplyDeleteये भी एक रंग है ज़िन्दगी का ...
ReplyDeleteउकेरी हुई आकृति के पीछे का चित्रण ( जो खोखला होता है ) | उत्कृष्ट रचना |
ReplyDeleteचलो , झूठा ही रहने दिया !
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
सहेजने में कितना कुछ खोना पड़ता है।
ReplyDeletebehtareen lekhan
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