चढ़ा आषाढ़ पर बुखार सावन का
कैसा है ये बवाल सावन का
सूखी पड़ी है पगडंडियाँ गाँव की
सबको है इंतज़ार सावन का
गर्म लू में भी फुहारों की बातें
अज़ब है ये खुमार सावन का
जहां देखो टंगी है आँखे अम्बर पर
हर शख्स है तलबगार सावन का
झूले हांथों में चर्चे उसकी आमद के
जाने कब हो जाए दीदार सावन का
अम्बर पे बादलों की आहट से चौकना
कितना मुश्किल है इंतज़ार सावन का
जिसके पिया इस बरस नहीं आयेंगे
पूछो उससे कहर बेकरार सावन का
इस तीज बुलावा आएगा मां के घर से
बिटिया को है झूठा ऐतबार सावन का
फसल होगी, जलेगा चूल्हा इस साल
उसकी ज़िन्दगी पे है इख्तियार सावन का
बहा था चढ़ती कोसी में पिछले बरस
करता है वो कातिलों में शुमार सावन का
कुछ छण जो तुम पास बैठो
ReplyDeleteलगे हर पल फिर सावन सा :)
वैसे आखिरी २ पंक्तियों में कोसी का प्रयोग बहुत प्यारा लगा.
इस तीज बुलावा आएगा मां के घर से
ReplyDeleteबिटिया को है झूठा ऐतबार सावन का
सिर चढ़ बोला है खुमार सावन का .... सुंदर रचना
हाय हाय हमें तो कब है इंतज़ार सावन का ...
ReplyDeleteबढिया जी बहुत खूब
सावन का इंतज़ार तो है पर वो सावन अब कहाँ
ReplyDeleteउम्मीद नहीं छोड़ी,अब तलक हमने,
ReplyDeleteघटा झूम के बरसेगी,इंतजार सावन का !
ये बादल ही हैं जो खुमारी लेकर आ रहे हैं।
ReplyDeleteसावन अब पतझर लेकर आता है....अब वो बात कहाँ?न तो हरी चूडियाँ,ना कागज के नाव,ना किसानों कि आँखों कि चमक,ना मन को तृप्त करती प्यारी बरसात...सब सूना लगता है...बहुत हीं प्यारी रचना...
ReplyDeleteआभार,
स्वाति वल्लभा राज
किसी दैवीय संयोग से आपके ब्लॉग पर आना हुआ बेहद खुबसूरत संतुलित और गुम्फित आपकी कविता ने कैलाश गौतम जी की कविताओ की याद ताज़ा कर दी
ReplyDeleteबानगी के लिए -लगे फूकने आम के बौर गुलाबी शंख ,कैसे रहे किताब में हम मयूर के पंख .
बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......
ReplyDeleteसच में अब तो इंतज़ार मुश्किल है सावन का ... पिघलने लगे हैं सब ... अब तो आ जाओ ... ठंडक जाओ ...
ReplyDeletePls. check the spam !
ReplyDeletechecked....
Deleteसावन के आगमन पर शुभकामनाएं
ReplyDeleteSawan ka intezar hamein bhi hai....garm ret pe hawayein nage paanv bhabhi hain aur unke chhalon ki tees hamein hoti hai......aise me sawan ke fuhar ka intezar to hai hi....aapki kavita ne us intezar ko khatm kar dia hai...behad bhaag se bheengi huyi man pran ko sin chit karti rachna....aabhaar!!
ReplyDeleteइस तीज बुलावा आएगा मां के घर से
ReplyDeleteबिटिया को है झूठा ऐतबार सावन का
वाह ... अनुपम भावों के साथ सावन का स्वागत अच्छा लगा ..
सावन को आने दो ................अभी बहुत लोग इंतजार में हैं पर आपके शब्द आशा बढा रहे हैं
ReplyDeleteआशाये पूरी हों ...
ReplyDeleteअपनी अपनी कहानी, अपना अपना सावन! सोना बनी घास और झुलसे पौधे यहाँ भी सावन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, शायद कल बरसे!
ReplyDeleteकितना मुश्किल है इंतज़ार सावन का ...wah kya baat hai
ReplyDeleteapki sawan series bahut he umda hai