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Tuesday, September 11, 2012

एक बात कहूं गर करो यकीं



(पुरानी डायरी के पन्नो से ......)
एक बात कहूं  गर करो यकीं
ऐसा पहले कुछ हुआ नहीं
जैसा पल पल अब होता है
जैसा हर पल अब होता है
मैं जगते जगते सोती हूँ
और सोते से जग जाती हूँ
रातों को  करवट लेती हूँ
ना जाने क्यों मुस्काती हूँ
अन्जानी सी सिरहन कोई
भीतर से अक्सर उठती है
जो कह देते हो बात कोई
क्यों मेरी आँखे झुकती हैं
जादू तो तुमने किया नहीं
ख़ामोशी मैं सुन लेती हूँ
गुमसुम सी  मैं हो जाती हूँ
लगता है कुछ पा जाती हूँ
खुद जाने क्यों खो जाती हूँ
पूछूं गर तो सच कहना
प्यार यही तो होता है :-)



--
Sonal Rastogi


14 comments:

  1. सोलह आने यही होता है |

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  2. उम्मीद है उसने यकीं कर लिया होगा . पंक्तियाँ प्रेम पंक में डूबी हुई और हम आह्लादित .

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  3. एक गीत याद आया ...एक बात कहूँ गर मनो तुम ...
    सुन्दर ..
    तुम्हारी डायरी में बहुत रत्न हैं निकालो सब एक एक करके.

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  4. अरे पुरानी डायरी का पन्ना ????
    हम तो लेटेस्ट समझ कर एक्साइटेड हो गए थे :-)

    खैर प्यार जब भी हो...
    सुन्दर अति सुन्दर....
    अनु

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  5. Sach kaha hai ... Pyar yahi hai ..
    Sab kuch kho jata hai ... Kya se kya ho jata hai ...
    Lajawab diary ke panne ...

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  6. हाँ यही प्यार है ... मीठा - मीठा प्यारा - प्यारा .......

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  7. लगभग हर डायरी के पुराने पन्नो या पुरानी डायरी के पन्नो में प्यार यूँ ही सुरक्षित मिलता है बचकाना- सा!
    सुन्दर !

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  8. :):) सहेज कर रखिए पन्नों को .... सुंदर अभिव्यक्ति

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  9. यही सच है प्यार कुछ ऐसे ही होता है, कुछ अलग सा कुछ जुदा सा

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  10. बड़ी खूबसूरती से प्यार के सच को दिखाया है आपने।

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  11. pyar jab bhi hota hai...sab kuch aisa hi hota hai...ek baat kahun gar karo yakeen....pehle pyar sa ehsaas koi nahin

    naaz

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  12. वाकई आपने सही कहा था , आपको अपनी डायरी संभाल के रखनी भी चाहिए और कुछ हिस्से शेयर भी करने चाहिए !!! अच्छी कविता है !!!!

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  13. सुंदर अभिव्यक्ति
    प्यार के किस्से हमको निराले लगे ,बोलने के समय मुहँ में ताले लगे
    हाल दिल का बताने जब हम मिले ,उस समय को हुयें हम लाचार हैं

    प्यार से प्यारे मेरे जो दिलदार है ,जिनके दम से हँसीं मेरा संसार है
    उनकी नजरो से नजरें जब जब मिलीं,उस पल को हुए उनके दीदार हैं

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