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Tuesday, September 18, 2012

हथेली पे सूरज

हथेली पे सूरज 



अपने हिस्से का 
उगा लिया सूरज
खुश हूँ तुमने 
पा लिया सूरज 
कितनी बार 
बादलो ने 
छुपा लिया सूरज 
खुश हूँ तुमने 
पा लिया सूरज 
किस्मत ने 
जब दबा लिया सूरज 
खुश हूँ तुमने 
पा लिया सूरज 
सोनल 

18 comments:

  1. :) Beautiful...क्या शब्द दिए हैं तस्वीर को.

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  2. वाह......
    क्या इंस्टेंट रचनात्मकता है...
    सुन्दर!!!!!

    अनु

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  3. सुन्दर, काव्यात्मक सूर्य..

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  4. कौन चित्रकार है , सोनल शब्दकार है . अति सुन्दर

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  5. मतलब फोटो देख के कविता लिख डाली, शानदार !!!! :)

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  6. वाह अगर सूरज यूँ ही मिल जाए तो क्या कहना, गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं

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  7. दुआ मांगी हाथ उठा के रब से उसने जब ,
    एक नूर सा चमका और सारा जहां रोशन हो गया |

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  8. सूरज की चाह सभी को होती है ... उर वो मिल जाय तो जीवन रौशन हो जाता है ...
    बहुत खूब चाहत है ...

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  9. shayad yahi tasveer mere post ki inspiration hai....matlab jo aaj lagai hai post wo usi din likhi thi jis din ye photo upload hui thi...

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  10. aur kavita to pyaari hai hi :)

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  11. आफ़ताब को छू लेने भर से उसके छिपने का गुमान न कर ये वो आग है जिससे दुनिया रोशन होती है | शानदार .....

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  12. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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