मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
सूरज भी मुश्किलों से उगा आज सुबह चिड़िया नहीं निकली अपने घोसलों से बच्चे म्यूट मोड में लगातार बिलखे गाय दूध देने से कर रही थी इनकार तीन दिनों से ठहर -ठहर कर वो भर रही थी सांस इस घबराहट में क्या पता खुदा आक्सीजन की भी सप्लाई रोक दे ...
आह सोनल....
ReplyDeleteसाँस रुक ही गयी....
अनु
उफ् ये मुश्किलें भी !!
ReplyDeleteऐसा क्या हुआ . की प्रकृति की दिनचर्या भी थम गई ?
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ReplyDeleteखुदा तो बेचारा क्या बंद करेगा .... हाँ मनुष्य ही कोई ऐसी तकनीकी ईज़ाद कर दे कि सब बंद हो जाये ... जब चाहे चालू और जब चाहे बंद ... बढ़िया व्यंग्य
ReplyDelete:):)..सोनल व्यंग्य पर हाथ आजमाओ.जबरदस्त लिखा है.
ReplyDeleteबहुत बढ़ियाँ ...
ReplyDelete:-)
थांबा!!!!!!! :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
ReplyDeleteमौन प्रकृति का घातक होगा..
ReplyDeleteये मुश्किलें ये उलझनें
ReplyDeleteअरुन शर्मा - www.arunsblog.in
वाह प्रकृति तक स्तब्ध,
ReplyDeleteलंबा ग्रहण पड़ा जैसे .
ऐसा ग्रहण न लगे कभी! .. सुन्दर अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
कितना भयावाह मौन है ये......
ReplyDeleteएक मौन ऐसा भी ....बहुत खूब ...चुप्पी जो दिल को छू गई
ReplyDeleteअच्छा है। वाह। खत्तरनाक मौन।
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