आईने में अक्स जिसका है
मुझसे इसका एक रिश्ता है
देखकर अक्सर मुस्कुराता है
किसकी सूरत से मिलता है ?
रोक देता है सरेराह मुझको
आप बनता कभी बिगड़ता है
सामने बैठो तो वादे हज़ार
वरना पहचान से मुकरता है .
मासूम ऐसा शक ना हो ज़रा
सांस की आंच से पिघलता है
संग फिरता है हमसाया होकर
मुझे तो मुझ सा ही लगता है .
मासूम ऐसा शक ना हो ज़रा
ReplyDeleteसांस की आंच से पिघलता है
संग फिरता है हमसाया होकर
मुझे तो मुझ सा ही लगता है .बेहतरीन पंक्तियाँ सोनल जी आईना कभी झूठ नहीं बोलता :)
bahut sundar संग फिरता है हमसाया होकर
ReplyDeleteमुझे तो मुझ सा ही लगता है .
संग फिरता है हमसाया होकर
ReplyDeleteमुझे तो मुझ सा ही लगता है .
वाह ... बहुत खूब।
जो शक्स मुझसा है
ReplyDeleteउसकी बात ही जुदा है ...
अक्स कमाल का
ReplyDeleteकभी-२ आईना हमारी आँखें और अक्स किसी दूसरे का होता है...
ReplyDeleteमासूम ऐसा शक ना हो ज़रा
सांस की आंच से पिघलता है
संग फिरता है हमसाया होकर
मुझे तो मुझ सा ही लगता है...
खूबसूरत पंक्तियाँ... :)
कभी तो पहचान में ही नहीं आता है..
ReplyDeleteवाह यह भी खूब रही ... :)
ReplyDeleteकभी कभी कितना अनजाना भी तो लगता है...नहीं???
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ...
अनु
आपको देख कह उठता है "आई--ना " |
ReplyDeletemujhe to bilkul tum sa hi lag raha hai ...sundar.
ReplyDeleteआपकी उम्दा पोस्ट बुधवार (07-11-12) को चर्चा मंच पर | जरूर पधारें |
ReplyDeleteसूचनार्थ |
मासूम ऐसा शक ना हो ज़रा
ReplyDeleteसांस की आंच से पिघलता है
संग फिरता है हमसाया होकर
मुझे तो मुझ सा ही लगता है .
वाह वाह ...क्या बात है आपकी ये पोस्ट बेहद अच्छी लगी.
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत हैं...
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html
आइना न देखें हुज़ूर अभी
ReplyDeleteहो जाए न ये चूर कहीं
..... सुन्दर रचना सोनल जी!
सोनल जी खूबसूरत रचना है दिल में उतर गई
ReplyDeleteWe love your site so much .So ,we stay with you friend bangla choti,
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सामने बैठो तो वादे हज़ार
ReplyDeleteवरना पहचान से मुकरता है .
क्या बात है! कहने का अंदाज़ एकदम अलग! बहुत अच्छी रचना। अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आकर।
आईने में अक्स जिसका है
मुझसे इसका एक रिश्ता है
देखकर अक्सर मुस्कुराता है
किसकी सूरत से मिलता है ?
बहुत सुंदर सोनल जी !
तस्वीर भी आकर्षक है …
आप ही हैं ?
माशाअल्लाऽऽह्…
अच्छा लगा लिखा हुआ
मां सरस्वती और श्रेष्ठ सृजन कराए …
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
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सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान
**♥**♥**♥**●राजेन्द्र स्वर्णकार●**♥**♥**♥**
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कनफर्म्ड आप ही हैं!
ReplyDeleteआईने की किस्मत से रश्क है मुझे!
ढ़
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द स्पिरिचुअल कनेक्ट: ए ट्रिब्यूट टू मम्मी
शब्दों की जीवंत भावनाएं.सुन्दर चित्रांकन,पोस्ट दिल को छू गयी..कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब.
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावनायें और शब्द पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने...बहुत खूब.आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
फोटू और कविता दूनो चकाचक हैं।
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