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Monday, January 30, 2012

फिर आये रूठते मनाते दिन ..

गुनगुनी धुप में
गुनगुनाते  दिन
फिर  आये
रूठते मनाते  दिन ..
उलझाकर लटें
ताव में आते दिन
तिरछी भवों पर
भाव खाते  दिन
फिर  आये
रूठते मनाते  दिन ..

कमर के बल पर
निसार जाते दिन
सुर्ख रुखसार पर
तमतमाते दिन
फिर  आये
रूठते मनाते  दिन ..
छिटक कर
दूर जातें दिन
सुबक कर
पास आते दिन
फिर  आये
रूठते मनाते  दिन ..
भरी दोपहर में

उकताते दिन 
उनबिन उबासियों से 
काटे दिन
फिर  आये
रूठते मनाते  दिन ..

Thursday, January 12, 2012

उदास है कोई

सुर्ख  मौसम में भी उदास है कोई
होश गुम है बदहवास है कोई
आसुओं  से जल गए रुखसार जिसके
अपने साए को भी  भी नागवार है कोई
आहटों को तौलता रहता है
सन्नाटे को तोड़ता रहता है
सडको पर दौड़ता रहता है
मानो गुनाहगार है कोई

Monday, January 9, 2012

तुम मुझे उम्मीद ला दो ..

(1)
तुम मुझे उम्मीद ला दो
है वही कम ज़िन्दगी में
आँखे मूंदे बैठे है कब से
अँधेरे या तेज़ रौशनी में
पड़ गए गहरे स्याह से
ख्वाब मेरे प्यार वाले 
जमा किये पल खोले जब भी
राख निकली पोटली में
तुम मुझे उम्मीद ला दो ..
(2)

जब गहन कुहासा छाया हो
और देर शाम सूरज ना दिखे
मन में सन्नाटा सडको सा
उदासी में ना उम्मीद दिखे
तब ढलती शाम की उगती धूप
एहसास दिलाने आती है
कितनी भी अंधियारी निशा रहे
पर सुबह जरूर आती है