सोचकर बैठे थे इस बार बारिश का ना इंतज़ार करेंगे ना बारिश को याद
करेंगे ..पर कमबख्त दिल है जो बार बार बादलों के साथ उड़ चलता है और बचपन
सामने आकर खडा हो जाता है कैसे दूर रहेगी इस चौमासे की दीवानगी से नहीं
रहने देंगे ...तब से अबतक क्या बदला कुछ भी नहीं ... नहीं मानते तो सुनो
रेनी डे ....
बचपन में इस मौसम सबसे बड़ा दुःख ये था जब हम क्लास में होते है तब सबसे देर तक ज़ोरदार बारिश होती है, आज ऐसी बारिशों में ऑफिस में कैद होते है शनिवार इतवार तो बस इन बेवफा बादलो के बरसने के इंतज़ार में बीत जाते है
बचपन में इस मौसम सबसे बड़ा दुःख ये था जब हम क्लास में होते है तब सबसे देर तक ज़ोरदार बारिश होती है, आज ऐसी बारिशों में ऑफिस में कैद होते है शनिवार इतवार तो बस इन बेवफा बादलो के बरसने के इंतज़ार में बीत जाते है
हाय पकोड़े ...
आस्मां में बादल और चूल्हे पर कढाई दुनिया के बेहतरीन कॉम्बिनेशन में से है भीगे सर गरम पकोड़े जो सुख देते है वो अवर्णनीय है ..कान तक लगने वाली मिर्च के पकोड़े उफ़
सोंधी मिटटी ...
पहली बारिश का इंतज़ार इस खुशबू के इंतज़ार से जुडा है,लाख कमरों में बंद हो ,भले ही टीन की छत ना हो जो टिप टिप का संगीत सुनाये ,पर भीगी मिटटी की सोंधी खुशबू ,आपके कदम बरबस आँगन की तरफ मोड़ देते है
इस
मौसम की दीवानगी के चलते कितनी कवितायें और गीत रच गई ... इस मौसम में
फैलने वाले वायरल की तरह बारिश की दीवानगी का वायरल आपको भी लगा देती हूँ... आनंद लीजिये पहली बारिश के खुमार में भीगी एक पुरानी कविता का ...पहली बारिश और हम तुम....
बहुत ही बेहतरीन और सुन्दर प्रस्तुती ,धन्यबाद।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-06-2013) के चर्चा मंच 1277 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति .आभार .
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
भारतीय नारी
.बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN "झुका दूं शीश अपना"
ReplyDeleteअन्दर या बाहर, बारिश सदा ही आनन्द देती रही है...सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुती !
ReplyDeletelatest post पिता
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
बारिश की अनंत यादें ... सोंधी खुशबू, पकोडे, चाय ...
ReplyDeleteपता नहीं क्या क्या ... लाजवाब प्रस्तुति ...
fir bhi bachpan kee barish ka koi mukablaa nahi :)
ReplyDeletechhap chhap chhapaak :)
very nice
ReplyDeleteबरसात का स्वागत और बरसात में भींगकर बरसात की स्मृतियों को
ReplyDeleteताजा करने का अपना ही सुखद अनुभव है
सुंदर प्रस्तुति
सादर
आग्रह है
पापा ---------
'उफ़', बिलकुल सटीक वर्णन , सच में बिलकुल ऐसा ही होता है, शुभकामनाये
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
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