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Wednesday, August 14, 2013

दर दर तुमको भटकायेंगे

तुम सरहद की बात करो
वो संसद में चिल्लायेंगे
तुम प्याज के आंसू रोओगे
वो मस्त बिरयानी खायेंगे
तुम केदारनाथ में बिलखोगे
वो दिल्ली में जश्न मनाएंगे
तुम आज़ादी की बात करो
तुम पर लाठी बरसाएंगे
वो चार साल अय्याशी कर
पांचवे साल फिर आयेंगे
वो हरी गड्डियां फेकेंगे
सारे जनमत बिक जायेंगे
अभी वो दर दर आये हैं
दर दर तुमको भटकायेंगे


13 comments:

  1. वो भी हममें से ही कोई होगा। :)

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  2. सब पता है..फिर भी
    हम उनको ही चुन लायेंगे...
    :-(

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं....
    अनु

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  3. किसको चुने ? सब ही तो एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं ।

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  4. यह दुर्दिन भी भाग्य तुम्हारे..

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  5. जान कर अनजान बनते है हम लोग

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  6. करारा व्यंग्य!

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  7. व्यंग्य अच्छा है
    स्‍वतंत्रता दि‍वस की शुभकामनाएँ

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  8. खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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  9. करारा ... कडुआ ... और सच की अभिव्यक्ति है ...
    स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनायें ...

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  10. बहुत ही भावपूर्ण रचना... स्वतंत्रता दिवस पर बधाई शुभकामनाएं...

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  11. वो चार साल अय्याशी कर
    पांचवे साल फिर आयेंगे
    वो हरी गड्डियां फेकेंगे
    सारे जनमत बिक जायेंगे

    इन बिकाऊ टट्टुओं ने ही तो देश का कबाड़ा कर रखा है...

    लेकिन इस बार हमें इन अय्याशों-घोटालेबाजों को उखाड़ फेंकना है...
    अच्छी लघु रचना के लिए आदरणीया सोनल रस्तोगी जी आभार !



    हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...

    ♥ रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं ! ♥
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  12. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर किसी भी प्रकार की चर्चा आमंत्रित है ये एक सामूहिक ब्लॉग है। कोई भी इनका चर्चाकार बन सकता है। हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल का उदेश्य कम फोलोवर्स से जूझ रहे ब्लॉग्स का प्रचार करना एवं उन पर चर्चा करना। यहॉ भी आमंत्रित हैं। आप @gmail.com पर मेल भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। प्रत्येक चर्चाकार का हृद्य से स्वागत है। सादर...ललित चाहार

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  13. खुबसूरत अभिवयक्ति.....

    get your love back

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