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Monday, September 2, 2013

मंज़र तेरी कब्र पर


दो दिन जुटेंगे मज़ार पर
तेरे चाहने वाले
दिन चार चक्कर लगायेंगे
दुआ मांगने वाले
सूखे फूल और सूखे अश्क
फकत बाकी रहेंगे
कुछ कबूतर के सुफेद जोड़े
तेरे साथी रहेंगे
होकर पत्थरो की कैद में
तू आज़ाद रहेगा
मंज़र यही तेरी कब्र पर
तेरे बाद रहेगा
जीतेजी जो एक दिल भी
रोशन किया तूने
वो नूर इस जहाँ में
तेरे बाद रहेगा

13 comments:

  1. वाह...
    क्या खूबसूरत नज़्म पढ़वाई है सोनल...
    बहुत ही प्यारी...

    अनु

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  2. बहुत सुन्दर है रचना..
    जीतेजी जो एक दिल भी
    रोशन किया तूने
    वो नूर इस जहाँ में
    तेरे बाद रहेगा..
    गजब :-)

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  3. ये अपनी निशानी ले जाना
    वो मेरी कहानी ले जाना
    जब दाना-पानी छूट गया
    सब याद पुरानी ले जाना

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  4. जीतेजी जो एक दिल भी
    रोशन किया तूने
    वो नूर इस जहाँ में
    तेरे बाद रहेगा...

    :)

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  5. सच है किसी एक दीप को भी रोशन कर दिया तो रौशनी रहेगी जाने के बाद भी ...
    अपने होने का एहसास लिए ... भावपूर्ण रचना ...

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  6. बहुत सुंदर रचना....

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  7. हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |

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  8. वाह..सुन्दर!!!!

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  9. bahut hi sundar rachna..........badhai

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  10. bahut hi khoobsurat likha ha aapne.

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  11. बहुत खुब, बहुत अच्छा रचना है।

    मैं एक Social worker हूं और समाज को स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां देता हुं। मैं Jkhealthworld संस्था से जुड़ा हुआ हूं। मेरा आप सभी से अनुरोध है कि आप भी इस संस्था से जुड़े और जनकल्याण के लिए स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां लोगों तक पहुचाएं। धन्यवाद।
    HEALTHWORLD

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