बेतरतीब मैं
२०.०९.२०१३
आज बरसों बाद हाँथ
में कलम उठाई तो लगा लिखना फिर सीखना पडेगा लैपटॉप के कीबोर्ड पर टकटक चलने वाली
उंगलिया ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे कभी कलम थामी ना थी ,जिस राइटिंग पर नोटबुक पर
सितारे जड़े होते थे आज वो बेहूदी और अजीब लग रही थी ,पहचान में नहीं आ रही थी
--
--
कितना तेज रफ़्तार हो
गया है ना सब कुछ जितनी तेजी से विचार मन मेंआते है उससे दुगुनी तेजी से वो टाइप
कर दिए और उससे भी तेजी से शेयर इस सारी प्रोसेस के बीच विचार मनन का समय कहाँ
बचा,पछतावा कितनी बार उभरता है और फिर उतनी तेजी से धुंधला होकर गायब, ये मन भी
आजकल पश्चाताप का बोझ ज्यादा देर अपने तक नहीं रखता
--
--
मुश्किलों का दौर चल
रहा हो और कोई रास्ता ना दिखे ऐसे हालात शायद जीवन का हिस्सा बन चुके है ज़िन्दगी सुकून में कम
बीती तकलीफ में ज्यादा , ऊपर वाले को क्या कहूं प्यार और मार दोनों उसने जी भर दिए
है जब प्यार पर नहीं रोका तो मार पर शिकायत कैसे कर सकते है
--
--
खालीपन उम्र के चौथेपन
में जन्मने वाला ये एहसास अभी से अपनी आमद दर्ज करा रहा है दौड़ते भागते आत्मबल के
घुटने दर्द कर रहे है रिटायर होने की इच्छा हो रही है ,पर रिटायर होकर क्या करेंगे
कुछ ना करने के लिए ही तो रिटायर होना चाहते है ,निष्क्रियता और खालीपन का कोई
रिश्ता नहीं ,उलझा से रहे है ये दो शब्द
--
--
एक डरावने सपने से
सुबह हुई है उसका असर अभी तक तारी है ना सुकून की नींद आई ना ताजगी भरी सुबह कोई
फूलों से कह दो हर रोज़ उनकी तारीफ़ में गीत नहीं गाये जा सकते वो सिर्फ मंदिर ही नहीं
मज़ार और मैय्यत भी याद दिला सकते है
सपने को हकीकत पर हावी न होने दो.....
ReplyDeleteएक फूंक मारो......उड़ा दो...
उड़ा दो उम्र के इस चौथेपन को.....
:-)
अनु
कल का दिन मेरा ऐसा ही बीता था...एक सपने से नींद खुली , लेकिन डरावना सपना नहीं था...बल्कि बेचैन करने वाला सपना था...पुरे दिन जबरदस्त बेचैन रहा था...रात थोड़ी सुकून वाली नींद आई थी, और आज की सुबह आप लोगों की मेहरबानी से हलकी हो गयी :)
ReplyDeleteबाकी हर बात मेरे मन की है इस पोस्ट में!!
मन के विचार ...सधे हुए शब्दों का साथ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..आप को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल परिवार की ओर से सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप को चर्चाकार के रूप में शामिल किया जाता है। आप techeduhub@gmail.com पर अपनी Email ID भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। सादर...ललित चाहार
ReplyDeleteसपने तो सपने होते हैं ...एक आह भरो और जाने दो.. सुबह जैसी भी हो होती जरुर है रात के बाद:)
ReplyDeletenaukari abhi shuru hi ki hai maine bhi aur retire hone ki ichcha man main hai. ghalib yaad aate hain bahut mushkil hai kisi kam ka aasan hona.
ReplyDeleteरिटाइर होने के भाव दिल की उदासी उसके थके होने को एहसास को बयाँ कर रहे हैं ... जीवन में ऐसा होता है कभी कभी पर फूलों के सुबह ताज़ा रूप को देखना जबरन देखना चाहिए ... आशा तो धूप में ही है ...
ReplyDeleteताज्जुब .....संयोग ही है ..आज ही आपने कतरे समेटे और आज ही मैने… यह कतरा बिखेर दिया ।
ReplyDeleteबेहतरीन अभिवयक्ति.....
ReplyDeletebahut umda........badhai sonalji
ReplyDeleteकल 22/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!