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Wednesday, August 5, 2015

भय



भय का किल्ला फूटा  
मन के सहमें कोनें में 
कांटे क्यों  उग आये है 
रेशम जड़े  बिछोने में    
क्या मेरा है जो लूटेगा 
छोड़ दिया सो छूटेगा  
आँखों में सपने डूब गए 
हर दिन के रोने धोने में 
भारी साँसे भारी जीवन 
पीड़ा स्वप्न सजोने में  
कांटे क्यों  उग आये है 
रेशम जड़े  बिछोने में

21 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 6-8-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2059 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, १०१ साल का हुआ ट्रैफिक सिग्नल - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. कांटे क्यों उग आये है
    रेशम जड़े बिछोने में
    भय के चलते यही होता है।

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  4. मन की पीड़ा का सुन्दर विश्लेषण रचना में |

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  5. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....

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  6. क्या मेरा है जो लूटेगा
    छोड़ दिया सो छूटेगा

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  7. कांटे क्यों उग आये है
    रेशम जड़े बिछोने में
    ... शायद रेशम तभी वह सुरक्षित है
    सुन्दर प्रस्तुति
    आपको जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं

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  8. कांटे क्यों उग आये है
    रेशम जड़े बिछोने में

    जहाँ रेशम का बिछौना वहाँ काँटे ही उगते हैं... सभी सुख मयस्सर नहीं होता... बहुत भावपूर्ण, बधाई.

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  9. वक़्त की गिरह में बाँध के रख छोड़ा है मैंने ,,
    वो हर लम्हा जो तुम बिन गुज़रता नही था...

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  10. मन की पीड़ा की सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  11. मन की पीड़ा की सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  12. मन की पीड़ा की सुन्दर अभिव्यक्ति।

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