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Wednesday, October 12, 2011

माँ व्यस्त रहती है

वो सोच सोच कर रखती है
हर बात मुझे बताने के लिए
मेरे हां, अच्छा कहने  भर से
सार्थक हो जाता है उसका याद रखना
 
बात बड़ी या छोटी कोई फर्क नहीं
बस बात होनी चाहिए जिससे
वो सुन सके और कह सके मुझसे
थोड़ी ज्यादा देर तक

जबसे महसूस किया है उसने
मैं उसके हाल चाल पूछता हूँ
और वो मेरी तबियत पूछती है
और पसर जाता है सन्नाटा
 
दोस्तों के बीच जिस बेटे की बातें
ख़त्म नहीं होती घंटों तक
अपनी माँ से बात करने पर
विषय शब्द ढूंढें नहीं मिलते 
 
पर माँ तो सहेजती है हर घटना
हर विषय हर रंग और हर स्वर
जिससे एक फोन के कटने से
दूसरा फोन आने तक व्यस्त रहती है


28 comments:

  1. जिससे एक फोन के कटने से
    दूसरा फोन आने तक व्यस्त रहती है


    सही कहा. माँ व्यस्त रहती है.

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  2. सच को ब्यान करती मार्मिक एवं स्वेदन शील प्रस्तुति.... मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका आभार ...कृपया यूं हीं संपर्क बनाये रखें :)

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  3. माँ ऐसी ही होती है....

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  4. बहुत सच कहा है...माँ बहुत कुछ कहना चाहती है, पर फोन पर बात करते समय भूल जाती है क्या बात कहनी थी...बहुत मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति..

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  5. khoobsurat zazbaat....jahan maa hai vahan apne aap hi sab sahaj aur sundar hai!!

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  6. क्या बात है! वाह! बहुत सुन्दर

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  7. माँ बच्चों के लिये जीती है।

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  8. माँ की दुनिया, उसका संसार तो उसके बच्चों में ही सिमट कर रह जाता है! वो बच्चों के आने का महीनों इंतज़ार करती है। ख्यालों में खोई रह्ती है - ये बनाऊँगी, ये खिलाऊँगी और बच्चों को विदा करते ही उसकी दुनिया फिर वीरान हो जाती है !

    माँ की भावनाओं का बहुत सुन्दर चित्रण किया है आपने । बधाई सोनल!

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  9. वाह ...बहुत खूब मां का जिक्र बिल्‍कुल मां की तरह ...।

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  10. सच कहा... हम जिंदगी की आपाधापी में माँ को ही वक्त देना भूल जाते हैं!माँ हमसे सिर्फ हमारे थोड़े से साथ के अलावा कुछ नहीं चाहती!

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  11. माँ- .... कभी आश्वस्त होती है
    कभी बेचैन
    मैं उसके और अपने बीच का फर्क ढूंढती हूँ
    माँ कुछ और सोचती है मैं कुछ और ... इसे पढ़ते हुए बहुत कुछ सोच गई

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  12. माँ- .... कभी आश्वस्त होती है
    कभी बेचैन
    मैं उसके और अपने बीच का फर्क ढूंढती हूँ
    माँ कुछ और सोचती है मैं कुछ और ... इसे पढ़ते हुए बहुत कुछ सोच गई

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  13. ये तो मेरी कहानी है.. वीडियो चैट पर भी हम सब को देखकर रोटी रहती है!!

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  14. दोस्तों के बीच जिस बेटे की बातें
    ख़त्म नहीं होती घंटों तक
    अपनी माँ से बात करने पर
    विषय शब्द ढूंढें नहीं मिलते
    बहुत बढिया है.

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  15. बहुत खूब......... माँ तो बस माँ है..... उसकी अभिव्यक्ति भी कठिन है .... परन्तु आप्नके बखूब किया है ....

    अभिव्यक्ति पर याद आया ...... एक नया पोस्ट डाला है " वाह री अभिव्यक्ति" ...... समय मिले तो देखिएगा.....

    www.manojobc.blogspot.com

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  16. बहुत सुंदर.वैसे बेटियों के पास माँ के लिए शब्दों,वाक्यों,पहरों,निबन्धों से भी लम्बी बातें होती हैं करने को. समय कम पड़ता है बातें लम्बी हो जाती हैं.
    घुघूतीबासूती

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  17. माँ और बेटे में यही फर्क है .....
    शुभकामनायें माँ को !

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  18. जबसे महसूस किया है उसने
    मैं उसके हाल चाल पूछता हूँ
    और वो मेरी तबियत पूछती है
    और पसर जाता है सन्नाटा

    माँ की सही तस्वीर है ... बहुत संवेदनशील रचना

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  19. अब ये कहानी तो सब जगह एक सामान है. कथा लंबी है और समय है सिर्फ २४ घंटे का.

    ममतामयी तस्वीर पेश की है कबिता में. बधाई.

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  20. भावविभोर करती प्रस्तुति!

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  21. बहुत खूबसूरत कविता!! :)

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  22. बहुत ही भावुक रचना ... माँ के विभिन्न रूपों में ये भी एक है ... लाजवाब प्रस्तुति है ...

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  23. बहुत अच्छी कविता सोनल जी बधाई

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  24. बहुत अच्छी रचना,बधाई!

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  25. पर माँ तो सहेजती है हर घटना
    हर विषय हर रंग और हर स्वर
    जिससे एक फोन के कटने से
    दूसरा फोन आने तक व्यस्त रहती है

    बहुत खूब प्रस्‍तुति !!

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