मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
बेहयाई ओढ़े थे तपते दिन बादलो को पर्दा गिराना ही पड़ा लू भी ढीठ सताती थी बहुत आसमां को रहम बरसाना ही पड़ा कांटे बो गई दोपहर पीठ पर मेरी बूंदों को मलहम लगाना ही पड़ा आह मेरी बे-असर रहती कबतक सावन को झूमकर आना ही पडा
कब तक चुप रहती सोनल...
ReplyDeleteउसको गाना गाना ही पडा....
:-)
happy monsoon.
sachhi
ReplyDeleteआह मेरी बे-असर रहती कबतक
ReplyDeleteसावन को झूमकर आना ही पडा
क्या खूब लिखा है आपने
सावन की तरह मन को भीगोती पंक्तियाँ !!
सावन कोsssss आने दोsssss .हम ये गाना गा लेते हैं :)
ReplyDelete:):) सावन का महिना तो शुरू हो गया पर बरखा नदारद है ..... गुड़गाँव में बारिश हुई क्या ? :)
ReplyDeleteआह मेरी बे-असर रहती कबतक
ReplyDeleteसावन को झूमकर आना ही पडा
....बहुत खूब! बारिश तो अभी नहीं आयी पर आपकी रचना के सावन ने मन को भिगो दिया..
आया सावन, पर वो सावन कहाँ
ReplyDelete:):)
ReplyDeleteआपके यहाँ आ गया है सावन,हम तो अभी भरे जेठ-से तप रहे हैं !!
ReplyDeleteआह में असर दमदार है,
ReplyDeleteबादल बरसने को बेकरार है..
सावन कों झूम के आना ही पड़ा ... सच है जब इतना हो इंतज़ार ... उनको तो आना ही था ... मस्त कर गई सावन की फुहार की तरह ...
ReplyDeleteयहाँ तो अभी तक नहीं आया ... :(
ReplyDeleteआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
वाह! क्या बात है!
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
बहुत ही बढ़िया ...........!
ReplyDeleteसावन बेचारा अभी डरा-डरा सा है कि कहीं देर से आने का पैसा न कट जाये। :)
ReplyDeleteअभी झूम कर कहा आया ...
ReplyDeleteफिर भी कम से कम बरसा तो !
आपकी आह में असर होता रहे :)
wah utaad wah...behtareen
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