सुहाग बनके तुझे ही फ़िज़ूल बेच गया
गुलाबी फूल दिखाकर बबूल बेच गया
यकीन था तुझे जिस शख़्स के उसूलों पर
सर ए बाज़ार वो सारे उसूल बेच गया
ये कैसा सौदा किया है दिखा के आईना
तुझे वो रास्ते की गर्द औ धूल बेच गया
जिन्हें सजाती रही अपनी सेज पर हर शब
तुझे वो तेरी ही तुरबत के फूल बेच गया
बनी तमाशा तेरी वस्ल भी जुदाई भी
नमक जख्मो के वास्ते नामाकूल बेच गया
यही फ़िज़ा की मोहब्बत का हश्र है दुनिया
वो बन के चाँद तुझे तेरी भूल बेच गया
वो खूबसूरत थी और खूबसूरत लोगों की मौत इतनी बदसूरत नहीं होनी चाहिए | दुःख हुआ |
ReplyDeleteक्या कहूं।
ReplyDeleteतुमने भावनाओं के मोतियों को
शब्दों के धागे में खूब पिरोया है
उस बेदिल का तो पता नहीं,
उसकी वफा देख जमाना रोया है
दुखद घटना है ये. गलती भले ही दोनों की थी, लेकिन भुगतना फ़िज़ा को पडी :(
ReplyDeletesahi likha ...accha nahi hua ..dukhad hai
ReplyDeleteरचना प्यारी,घटना दुखद है.........
ReplyDeleteमोहब्बत के ऐसे अंजाम अच्छे नहीं लगते.
अनु
आत्महत्या क्यों देवी ??
ReplyDelete(1)
शठ शोषक सुख-शांत से, पर पोषक गमगीन |
आखिर तुझको क्या मिला, स्वयं जिन्दगी छीन |
स्वयं जिन्दगी छीन, खून के आंसू रोते |
देखो घर की सीन, हितैषी धीरज खोते |
दोषी रहे दहाड़, दहाड़े माता मारे |
ले कानूनी आड़, बचें अपराधी सारे ||
Former air hostess kills herself; Haryana minister booked for abetment to suicide
(2)
दो दो हरिणी हारती, हरियाणा में दांव |
हरे शिकारी चतुरता, महत्वकांक्षा चाव |
महत्वकांक्षा चाव, प्रेम खुब मात-पिता से |
किन्तु डुबाती नाव, कहूँ मैं दुखवा कासे |
करे फिजा बन व्याह, कब्र रविकर इक खोदो |
दो जलाय दफ़नाय, तड़पती चाहें दो-दो ||
ईश्वर आत्मा को शान्ति दे।
ReplyDeleteइस रिश्ते में समझ की कमी दोनों ओर से थी.. बहरहाल अच्छा लिखा है आपने
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है .. मन व्यथित हो जाता है जानकर
ReplyDeleteयकीन था तुझे जिस शख़्स के उसूलों पर
ReplyDeleteसर ए बाज़ार वो सारे उसूल बेच गया ...
ये प्रेम था या सत्ता के नशे में जीना ... जो भी था पर ऐसा अंत किसी प्रेम का नहीं होना चाहिए ... सवाल कीर्ति है रचना ..
फिजा बेगम की मोहब्बत का अंजाम तो देख लिया, अब चाँद की बेवफाई का हश्र देखेंगे. जुर्म चाँद का और सजा मिली फिजा को. बहुत दुःख हुआ. लेकिन ऐसी फिजाओं की आंखें भी अब खुलेंगी कि कोई चाँद जो पराया है अपना नहीं हो सकता. बदनामी भी , दर्द भी और मौत भी. सभी शेर बहुत बढ़िया.
ReplyDeletedard dikh raha hai..
ReplyDeleteDr. Jenny se sach kaha...
मोहब्बत का ऐसा रूप दुखी कर जाता है ...
ReplyDeleteप्यार हमेशा सच्चा होना चाहिए .
मार्मिक प्रस्तुति ..... न जाने कितनी फिज़ाएँ यूं बर्बाद होती हैं फिर भी सीखती नहीं कुछ ...
ReplyDelete:(
ReplyDeleteरिश्तों की स्वार्थपरकता की भेंट चढ़ती है प्रेम कहानियां ...
ReplyDeleteकौन जाने प्रेम था भी या नहीं !
prem tha hi nhi sayad....
ReplyDeletekhoobsurti se kahi hai fiza ke dard ki bat....
चाँद को ग्रहण लगा गया जाते-जाते
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत ............शुभकामनाएँ.........
ReplyDelete.............जयहिन्द............z
............वन्दे मातरम्..........
sooooooooo sweeeeeeeeet written.
ReplyDelete