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Tuesday, August 7, 2012

यही फ़िज़ा की मोहब्बत का हश्र है दुनिया



सुहाग बनके तुझे ही फ़िज़ूल बेच गया
गुलाबी फूल दिखाकर बबूल बेच गया
यकीन था तुझे जिस शख़्स के उसूलों पर
सर ए बाज़ार वो सारे उसूल बेच गया
ये कैसा सौदा किया है दिखा के आईना
तुझे वो रास्ते की गर्द औ धूल बेच गया
जिन्हें सजाती रही अपनी सेज पर हर शब 
तुझे वो तेरी ही तुरबत के फूल बेच गया
बनी  तमाशा तेरी  वस्ल भी जुदाई भी
नमक जख्मो के वास्ते नामाकूल बेच गया
यही फ़िज़ा की मोहब्बत का हश्र है दुनिया
वो बन के चाँद तुझे तेरी भूल बेच गया

20 comments:

  1. वो खूबसूरत थी और खूबसूरत लोगों की मौत इतनी बदसूरत नहीं होनी चाहिए | दुःख हुआ |

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  2. क्‍या कहूं।
    तुमने भावनाओं के मोतियों को
    शब्‍दों के धागे में खूब पिरोया है
    उस बेदिल का तो पता नहीं,

    उसकी वफा देख जमाना रोया है

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  3. दुखद घटना है ये. गलती भले ही दोनों की थी, लेकिन भुगतना फ़िज़ा को पडी :(

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  4. रचना प्यारी,घटना दुखद है.........
    मोहब्बत के ऐसे अंजाम अच्छे नहीं लगते.

    अनु

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  5. आत्महत्या क्यों देवी ??
    (1)
    शठ शोषक सुख-शांत से, पर पोषक गमगीन |
    आखिर तुझको क्या मिला, स्वयं जिन्दगी छीन |

    स्वयं जिन्दगी छीन, खून के आंसू रोते |
    देखो घर की सीन, हितैषी धीरज खोते |


    दोषी रहे दहाड़, दहाड़े माता मारे |
    ले कानूनी आड़, बचें अपराधी सारे ||
    Former air hostess kills herself; Haryana minister booked for abetment to suicide
    (2)
    दो दो हरिणी हारती, हरियाणा में दांव |
    हरे शिकारी चतुरता, महत्वकांक्षा चाव |

    महत्वकांक्षा चाव, प्रेम खुब मात-पिता से |
    किन्तु डुबाती नाव, कहूँ मैं दुखवा कासे |

    करे फिजा बन व्याह, कब्र रविकर इक खोदो |
    दो जलाय दफ़नाय, तड़पती चाहें दो-दो ||

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  6. ईश्वर आत्मा को शान्ति दे।

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  7. इस रिश्ते में समझ की कमी दोनों ओर से थी.. बहरहाल अच्छा लिखा है आपने

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  8. बहुत सही लिखा है .. मन व्‍यथित हो जाता है जानकर

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  9. यकीन था तुझे जिस शख़्स के उसूलों पर
    सर ए बाज़ार वो सारे उसूल बेच गया ...
    ये प्रेम था या सत्ता के नशे में जीना ... जो भी था पर ऐसा अंत किसी प्रेम का नहीं होना चाहिए ... सवाल कीर्ति है रचना ..

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  10. फिजा बेगम की मोहब्बत का अंजाम तो देख लिया, अब चाँद की बेवफाई का हश्र देखेंगे. जुर्म चाँद का और सजा मिली फिजा को. बहुत दुःख हुआ. लेकिन ऐसी फिजाओं की आंखें भी अब खुलेंगी कि कोई चाँद जो पराया है अपना नहीं हो सकता. बदनामी भी , दर्द भी और मौत भी. सभी शेर बहुत बढ़िया.

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  11. मोहब्बत का ऐसा रूप दुखी कर जाता है ...
    प्यार हमेशा सच्चा होना चाहिए .

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  12. मार्मिक प्रस्तुति ..... न जाने कितनी फिज़ाएँ यूं बर्बाद होती हैं फिर भी सीखती नहीं कुछ ...

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  13. रिश्तों की स्वार्थपरकता की भेंट चढ़ती है प्रेम कहानियां ...
    कौन जाने प्रेम था भी या नहीं !

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  14. prem tha hi nhi sayad....
    khoobsurti se kahi hai fiza ke dard ki bat....

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  15. चाँद को ग्रहण लगा गया जाते-जाते

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  16. स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत ............शुभकामनाएँ.........
    .............जयहिन्द............z
    ............वन्दे मातरम्..........







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