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Thursday, November 22, 2012

घुंघराली जलेबियाँ





ये मौसम का ही कसूर है और उस पर हमारी भुक्खड़ तबियत ..ज़रा मौसम बढ़िया हुआ तो मुह में पानी आते देर नहीं लगती ...इसे ही नीयत और लार गिरती है गरम जलेबी पर ..बचपन से आज तक लाल लाल रस में डूबी ..प्यार से अपने पास बुलाती है जितना सुकून गर्म जलेबी को खाने में मिलता है उतना किसी मिठाई को नहीं।। सुबह का नाश्ता गर्म जलेबी के बिना पूरा ही नहीं होता कटोरी भर दही और प्लेट भर जलेबी और क्या चाहिए ...अमृत ..परमानन्द . .... जब नन्हे मुन्ने थे लहंगा पहन कर कन्या भोज के लिए तैयार हो जाते थे ...दही जलेबी की कन्या जो खाने को मिलती थी , घर में मेहमान आये तो जलेबी का नाश्ता, ननिहाल (इलाहबाद ) में बिलकुल अलग पैकिंग में जलेबी देख कर दिल बाग़ बाग़ हो जाता था चोकोर डिब्बा कुछ पत्तलों से बना ..अभी भी वो कहीं भूले भटके दिख जाए तो अपने राम को जलेबी ही याद आती है
सब मिलता है गुडगाँव में पर जलेबी में वो बात नहीं ..केसर का स्वाद अपने ठेठ देहाती स्वाद से मैच नहीं करता ऐसा लगता है ..अलता महावर से सजी गाँव की गोरी को स्कर्ट पहना दिया हो बेमेल और बे- ढब (किसी केसर प्रेमी की भावनाए आहत हो तो प्लीज पुलिस में ना जाए ). देसी जलेबी के नाम पर पुराने शहर में एक ही ठिकाना है जहां लाइन लगाकर जलेबी खरीदनी पड़ती है ..पर  जुबान से मजबूर इंसान करे भी तो क्या उससे ही काम चला लेते है , कई अलग अलग शहरों में जलेबी की फॅमिली से मिलना हुआ है ... पनीर की जलेबी ,गुड़ की जलेबी ,विशाल जलेबा ...
अरे आप लोग सोचने लग गए कितनी केलोरी होती है ,चीनी और घी के अलावा कुछ नहीं होता ,बहुत नुक्सान करती है तो भाई जलेबी की खिलाफत सुनने वाले कान हम बक्से में बंद रखते है ... और हाँ ..जो सबसे ज्यादा समझा रहे है इस सीजन शादियों में जलेबी के स्टाल पर ही पाए जायेंगे ... जलेबी प्रेमियों के बीच हुई बहस में अक्सर जलेबी के बेस्ट पार्टनर पर अंतहीन बहस छिड़ते देखा है ...दूध के साथ ,रबड़ी  के साथ या दही के साथ या यूँही ... अभी तक तो सर्वसम्मति हुई नहीं
जबान अपनी अपनी ..स्वाद अपना अपना
कुछ आपको पता हो तो हमारा भी जलेबी ज्ञानं बढाइये ...प्यार से खाइए ...मिठास बढाइये
 चाशनी से तरबतर
घुंघराली जलेबियाँ
उकसाती है अक्सर
तोड़ दो सारी कसमें
और थाम लो हमें
मेनका -उर्वशी सी
घुंघराली जलेबियाँ
बनती है सुबह -सुबह
तोड़ने को सारे प्रण
बस आज और, बस
कल से मत देखना
उलझी लिपटी सी
घुंघराली जलेबियाँ
कहती है चख लो
गुनाहों  के ढेर से
मीठा टुकड़ा गुनाह का 


19 comments:

  1. यूँ हम मीठे के ज्यादा शौक़ीन नहीं,फिर भी जलेबियाँ तो ललचा ही जाती हैं.
    वैसे गुणगाँव से अच्छी जलेबियाँ तो लन्दन में मिलती हैं. आओ कभी, फिर रोज कहोगी आज देख लेते हैं कल से नहीं देखेंगे :):).

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  2. मीठा टुकड़ा गुनाह का ... सच ! सबके प्रण तोड़ के ही रहेगा :)

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  3. कुछ मीठा हो जाए।

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  4. अहा! जलेबी तो हमें बचपन से बहुत पसंद है. और फिर इलाहाबाद की जलेबियाँ और उसकी चचेरी बहन 'इमरती' के तो कहने ही क्या...शुक्र है कि यहाँ दिल्ली के हमारे मुहल्ले में बहुत अच्छी जलेबी मिलती है. अपने सामने बनवाती हूँ- कुरकुरी.
    और हाँ, जलेबी पेट के लिए अच्छी होती है और नुकसान नहीं करती, मेरी डॉक्टर सहेली ने बताया है :)

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  5. गुनाहों के ढेर से
    मीठा टुकड़ा गुनाह का..waah jalebi ..bahut sahi

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  6. वाकई ॥सबसे बढ़िया मिठाई है जलेबी .... खुद तो मुंह में पानी भरे थीं बाकी सबके मुंह में भी पानी आ गया ... अच्छी जलेबी खाये अरसा बीत गया ... यहाँ द्वारका में भी नहीं मिलती .... दुखती राग पर हाथ रख दिया ... वैसे जलेबी देख कर कोई कसं याद नहीं रहती ....

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  7. waah kyaa baat ..shaayd hi koi north indian ho jis ejalebi na bhaaye :(

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  8. हमारा तो मन सदा ही डोल जाता है..

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  9. वाह जी वाह ... शहद भर गया मुंह में :)

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  10. मेडम जी आपने पोहा-जलेबी नहीं खाई क्या कभी?....क्या कहा ? नहीं....तो आईये इस चटोरे शहर इन्दौर को भी एक बार आजमाईये ...

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  11. Ahaaa... tasveer dekh k mann kar gaye.. aur yaad aa gaya hamare Firozabad me Kachauri jalebi wala nashta :)

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  12. wah jalabi wah jalabi....

    jai baba banaras...

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  13. इसके ज्यादा मीठा और क्या होगा - कुछ भी नहीं - घुंघराली जलेबियाँ - लाजवाब

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  14. सब की अपनी अपनी जलेबियां हैं मिठाई हैं ,कोई काहू में मगन कोई काहू में मगन .

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  15. जलेबी एक ऐसी मिठाई है जिसकी शक्ल , बनावट पर कोई ध्यान नहीं जाता ,बस हाथ में आते ही गर्म गर्म खाने को जी ललच उठता है | अन्य मिठाइयों के साथ ऐसा नहीं है | ईश्वर के बनाए व्यक्ति को भी बस जलेबी सा समझ उसके गुणों से प्यार करना चाहिए | उसके रंग रूप से क्या वास्ता |

    मिठास भरती रचना आपकी |

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  16. बहुत बढिया जलेबी बनाई हैं। अच्छा लगा।

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  17. जलेबी मिठाइयों का राजा है मेरी नज़र में ... सस्ती .. मीठी ... गरम ...
    आह पानी आ गया मुंह में ...

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  18. आज जाना जलेबियाँ खाना गुनाह है
    किसी की लट को सुलझाना गुनाह है
    रसभरे लाल किसको नहीं लुभाते
    आज जाना रसपान करना गुनाह है
    ये गुनाहों के देवता तुम इतने हो मधुर
    मै सजाऊंगा तुम्हारी आरती ...चाहे ...गुनाह .. है

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